370 पर शाह फैसल+शेहला रशीद को सुप्रीम कोर्ट ने याचिका वापस लेने की अनुमति दी, संवैधानिक पीठ 2 अगस्त से करेगी सुनवाई

शाह फैसल और शेहला रशीद को याचिका वापस लेने की अनुमति (फाइल फोटो, साभार: आउटलुक इंडिया)

आर्टिकल 370 को निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ 2 अगस्त 2023 से सुनवाई करेगी। मंगलवार (11 जुलाई 2023) को शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले की सुनवाई सोमवार और शुक्रवार को छोड़कर रोजाना आधार पर होगी। साथ ही आईपीएस अधिकारी शाह फैसल और फ्रीलांस प्रदर्शनकारी शेहला रशीद को इससे जुड़ी अपनी याचिका वापस लेने की भी अनुमति दे दी है।

इस मामले की सुनवाई करने वाली संवैधानिक पीठ में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत शामिल हैं। पीठ ने सभी पक्षों को 27 जुलाई तक सभी दस्तावेज, संकलन और लिखित प्रस्तुतियाँ दाखिल करने के भी निर्देश दिए हैं।

उल्लेखनीय है कि आर्टिकल 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को हासिल विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद शाह फैसल और शेहला रशीद ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। लेकिन बाद में दोनों ने ही कोर्ट से कहा कि वे इस मामले में ‘पक्ष’ नहीं बनना चाहते। इसलिए याचिका से उनके नाम हटा दिए जाएँ। मंगलवार की सुनवाई के दौरान दोनों की अपील स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उनका नाम याचिका से हटाने का आदेश दिया है।

केंद्र के हलफनामा पर विचार नहीं

अनुच्छेद 370 को हटाने के अपने फैसले को लेकर केंद्र सरकार ने सोमवार (10 जुलाई 2023) को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था। इस हलफनामे में केंद्र ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर ने तीन दशक तक आतंकवाद झेला है। इसे खत्म करने के लिए अनुच्छेद 370 को खत्म करना एकमात्र विकल्प था। अनुच्छेद 370 हटने के बाद से जम्मू-कश्मीर में शांति, उन्नति और समृद्धि का ऐसा माहौल बन गया है, जैसा पहले कभी नहीं रहा। साथ ही कहा था कि 3 दशक के लंबे समय तक घाटी में रही अस्थिरता के बाद अब जन-जीवन सामान्य हो गया है। 

इसके अलावा स्कूल-कॉलेज, हॉस्पिटल समेत अन्य संस्थानों के अच्छी तरह से चलने की बात कही गई है। बताया गया है कि रोजाना होने वाली पत्थरबाजी और विरोध प्रदर्शन जैसी घटनाएँ भी अब बंद हो गईं हैं। यही नहीं केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराने तथा G-20 जैसी बड़ी बैठक कराने का भी उदाहरण अपने हलफनामे में दिया है। हालाँकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस सुनवाई के दौरान वह केंद्र के हलफनामे पर विचार नहीं करेगा।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया