जब सुप्रीम कोर्ट से 11 साल के लड़के ने कहा- ‘मैं जिंदा हूँ’, उसके मर्डर पर नाना और मामा पर चल रहा था केस

सुप्रीम कोर्ट (फोटो साभार: agazbharat.com)

सुप्रीम कोर्ट में एक अजब केस पेश आया, जब 11 साल के एक बच्चे ने अपनी हत्या के मामले में आरोपित बनाए गए नाना और चार मामाओं को बेकसूर बताया है। पीलीभीत के इस लड़के ने सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि उसके पिता ने इन लोगों पर झूठा केस दर्ज कराया था। इसको लेकर कोर्ट ने यूपी सरकार और एसपी को नोटिस जारी किया है।

दरअसल बीते हफ्ते इस केस की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही थी। सुनवाई के दौरान जज उस समय हैरान रह गए, जब यह बच्चा खुद कोर्ट में हाजिर होकर बताया कि उसकी हत्या नहीं हुई है। उसने कहा कि कि वह जिंदा है और उसकी हत्या का केस झूठा है। इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई के लिए याचिका स्वीकार कर ली।

लड़के ने कोर्ट के सामने ये भी दावा किया कि उसके पिता ने उसके ननिहाल के लोगों पर ये झूठा केस दर्ज कराया था। इस याचिका को मंजूर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “अगले आदेश तक याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाएगा।” कोर्ट ने इस केस को लेकर यूपी सरकार, पीलीभीत के पुलिस अधीक्षक और न्यूरिया पुलिस स्टेशन के थाना प्रभारी को भी नोटिस जारी किया है।

इस मामले में बच्चे के वकील कुलदीप जौहरी ने टीओआई को बताया, “लड़के की माँ की शादी फरवरी 2010 में उसके पिता हुई थी। और अधिक दहेज की माँग को लेकर उसके पिता ने उसकी माँ को बेरहमी से पीटा था। मार्च 2013 में पिटाई की वजह से उसकी माँ की मौत हो गई। इसके बाद से लड़का अपने किसान नाना के साथ रह रहा था।”

बेटी की मौत के बाद बच्चे के नाना ने अपने दामाद के खिलाफ आईपीसी की धारा 304-बी (दहेज हत्या) के तहत एफआईआर दर्ज कराई। इस दौरान लड़के के पिता ने उसके नाना से बेटे की कस्टडी देने की माँग की। इसको लेकर दोनों पक्षों के बीच कानूनी लड़ाई शुरू हो गई। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के खिलाफ मामले दर्ज करवाए।

वकील जौहरी के मुताबिक, इस साल की शुरुआत में लड़के के पिता ने अपने ससुर और उनके चार बेटों यानी अपने अपने साले पर अपने बेटे की हत्या का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करवाई थी। इसके बाद ही पुलिस ने बच्चे के नाना और चार मामा को IPC की धारा 302 (हत्या), 504 (जानबूझकर अपमान) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया।

वकील जौहरी ने बताया, “उसके मुवक्किल ने एफआईआर को रद्द करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी। नतीजा उन्हें लड़के के साथ उसके जीवित होने के सबूत के तौर पर सुप्रीम कोर्ट में पेश होना पड़ा।” इस मामले में कोर्ट ने अगली सुनवाई जनवरी 2024 में तय की है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया