काँवड़ यात्रा करने वाले बाबू खान का मुस्लिमों ने किया बहिष्कार, मस्जिद से बाहर निकाला: रोज सुबह करते हैं शिव मंदिर की सफाई

काँवड़ ले जाने वाले बाबू खान (फोटो साभार: दैनिक भास्कर)

मुस्लिमों में भी बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है, जिन्होंने अपने पुरखों और उनकी संस्कृति को आज तक नहीं भुलाया है। यही कारण है कि छठ जैसे महापर्व में और काँवड़ जैसी धार्मिक यात्रा में बड़ी संख्या में मुस्लिम शामिल होते हैं। हालाँकि, ऐसे लोगों को कट्टरपंथी मुस्लिमों की धमकियों का भी सामना करना पड़ता है।

उत्तर प्रदेश के बागपत के बाबू खान ऐसे ही व्यक्ति हैं, जो पिछले 5 सालों से सावन में काँवड़ यात्रा करते हैं। हालाँकि, इसको लेकर उन्हें कर तरह की परेशानियों का भी सामना करना पड़ा। जब पहली बार 2018 में उन्होंने काँवड़ यात्रा की तो कट्टरपंथी मुस्लिमों ने उन्हें मस्जिद से बाहर निकाल दिया। कट्टरपंथियों की इस करतूत के बावजूद वे अभी भी काँवड़ यात्रा पर जाते हैं।

बाबू खान ने दैनिक भास्कर को बताया, “जब मैं पहली बार काँवड़़ लेकर गया तो घर में खूब लड़ाइयाँ हुईं, लेकिन परिवार को किसी तरह समझा लिया। 2018 में पुरा महादेव मंदिर पर जलाभिषेक करने के बाद अगले दिन सुबह नमाज पढ़ने के लिए 5 बजे मैं मस्जिद तो वहाँ मेरा बहिष्कार कर दिया गया और मुझे मस्जिद से बाहर निकाल दिया गया।”

बाबू खान ने बताया कि इस घटना के बाद उन्होंने पुलिस में शिकायत की। मस्जिद से बाहर निकालने पर कानूनी कार्रवाई करते हुए हुए उन्हें मस्जिद से बाहर निकालने वाले कई लोगों को जेल भी भेजा।

बाबू खान का कहना है कि वह सबसे पहले सुबह 5 बजे गाँव की मस्जिद में नमाज पढ़ते हैं और फिर शिव मंदिर में जाकर उसकी सफाई करते हैं। बाबू खान का कहना है, “मैंने इस्लाम धर्म नहीं छोड़ा है, सिर्फ काँवड़ लाने में आस्था है। इसलिए हर साल काँवड़ लेने के लिए हरिद्वार आता हूँ।”

काँवड़ को लेकर अपनी शुरुआत को लेकर बाबू खान ने बताया कि साल 2018 में वह दिल्ली के आजादपुर मंडी से ट्रक लेकर जा रहे थे। जब यूपी में कैराना पुलिस चौकी के नजदीक पहुँचे तो वहाँ जाम लगा हुआ था। उन्होंने देखा कि हजारों काँवड़िए आगे चल रहे थे। उन्होंने बताया, “यहीं पर मेरे मन में ख्याल आया कि अगर मैं भी काँवड़िया होता तो इसी तरह काँवड़ लेकर आ रहा होता।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया