पंजाब में भारतीय सेना के जवान की लिंचिंग मामले में आरोपितों के खालिस्तानी लिंक आए सामने: जानें कैसे हुआ खुलासा

पंजाब में भारतीय सेना के जवान की लिंचिंग में आरोपितों का खालिस्तानी संबंध आया सामने

पंजाब के गुरदासपुर में भारतीय सेना के जवान दीपक सिंह की लिंचिंग के मामले में आरोपितों के खालिस्तान आंदोलन से संबंध सामने आ रहे हैं। ट्विटर यूजर AkkaPrasanna ने अपने एक ट्विटर थ्रेड में सिख सियासत की 2018 की एक रिपोर्ट के बारे में बताया है, जिसमें मुख्य आरोपित दलजीत सिंह उर्फ बॉबी की पुलिस कस्टडी से रिहाई की खबर का उल्लेख किया गया है। बॉबी की रिहाई की जानकारी सिख यूथ फेडरेशन भिंडरावाले (SYFB) के प्रमुख रंजीत सिंह ने साझा की थी।

दलजीत सिंह उर्फ बॉबी भारतीय सेना के जवान की लिंचिंग के मामले में मुख्य आरोपित है और फरार है। हालाँकि, खालिस्तान समर्थकों ने बॉबी के निर्दोष होने की बात कहनी शुरू कर दी है और सेना के जवान पर ‘ईशनिंदा’ का आरोप लगाया है।

https://twitter.com/AkkaPrasanna/status/1411750552757628929?ref_src=twsrc%5Etfw
दलजीत सिंह की रिहाई की रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट (बाएं), सोर्स : सिख सियासत दलजीत सिंह की हाल की फोटो (दाएं) सोर्स : दीप सिद्धू फ़ेसबुक

यहाँ ध्यान देने योग्य बात है कि रंजीत सिंह (दमदमी टकसाल) ने एक किताब ‘शहीद-ए-खालिस्तान’ लिखी थी, जिसमें खालिस्तानी आतंकी जरनैल सिंह भिंडरावाले का गुणगान किया गया था। साथ ही इस किताब में दूसरे खालिस्तानी आतंकियों की जीवनी के साथ-साथ इससे जुड़ी कुछ ऐतिहासिक घटनाओं का विवरण दिया गया था। इस किताब को दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में खालिस्तान समर्थक दीप सिद्धू ने बाँटा था। किताब बाँटने के दौरान एक तस्वीर में किताब पकड़े हुए सिद्धू को रंजीत सिंह के साथ देखा गया था। 

(बाएं) दीप सिद्धू (ऑरेंज पगड़ी में) भिंडरावाले पर लिखी किताब को प्रमोट करता हुआ (सोर्स : हिन्दू पोस्ट) एवं (दाएं) भिंडरावाले पर रंजीत सिंह के द्वारा लिखी गई किताब का कवर

ऑपइंडिया दमदमी टकसाल के सदस्य और कथावाचक बरजिन्दर सिंह परवाना के बारे में पहले ही बता चुका है। उसने एक वीडियो जारी किया था, जिसमें वह दीपक सिंह की लिंचिंग को यह कहते हुए जायज ठहरा रहा है कि दीपक ने गुरु ग्रंथ साहिब की ‘बेअदबी’ की है। जब हमने परवाना की सोशल मीडिया प्रोफाइल चेक की तो यह सामने आया कि वह खुलकर भिंडरावाले का समर्थन करता रहा है। वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि उसके हाथ पर भिंडरावाले का एक बड़ा सा टैटू बना हुआ है।  

बरजिन्दर सिंह परवाना के लाइव वीडियो में दिखाई दिया भिंडरावाले का टैटू (सोर्स: फेसबुक वीडियो)

दमदमी टकसाल का इतिहास :

दमदमी टकसाल की स्थापना 18वीं शताब्दी में गुरु गोबिन्द सिंह जी ने की थी। इसका उद्देश्य था गुरु ग्रंथ साहिब की शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार करना। टकसाल के पहले प्रमुख बाबा दीप सिंह जी थे, जो गुरु गोबिन्द सिंह जी के सहयोगी थे। दमदमी शब्द दमदमा साहिब गुरुद्वारा से निकला है, जहाँ सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिन्द सिंह जी ने ग्रंथ साहिब को वर्तमान स्वरूप दिया। टकसाल का मतलब एक ऐसा संस्थान है जहाँ पक्के सिख तैयार किए जाते हैं।

गौरतलब है कि जरनैल सिंह भिंडरावाले भी दमदमी टकसाल का ही छात्र था। उसने टकसाल की जालंधर-अमृतसर हाइवे के आसपास चौक मेहता गाँव में स्थित शाखा में तालीम ली थी। उसने 11 साल की उम्र से ग्रंथों को पढ़ना शुरू किया था और 1977 में 30 साल की उम्र में दमदमी टकसाल की जिम्मेदारी ले ली थी। भिंडरावाले 1984 में अपनी मौत तक इसका प्रमुख नेता बना रहा। यह माना जाता है कि टकसाल का प्रमुख बनने के बाद से ही भिंडरावाले अलगाववाद और हिंसा का पर्याय बन गया था।  

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया