इंदौर के कोर्ट ने पत्नी को दिया आदेश, पति को दीजिए ₹5000/माह गुजारा भत्ता, जाने क्यों आया ऐसा निर्णय?

पारिवारिक न्यायालय ने ब्यूटी पार्लर चलाने वाली महिला को गुजारा भत्ता देने को कहा (प्रतीकात्मक चित्र)

मध्य प्रदेश के इंदौर में एक पारिवारिक न्यायालय ने एक महिला को आदेश दिया है कि वह अपने पति को ₹5000 प्रतिमाह गुजारा भत्ता दे। महिला और उसके पति का 2022 में विवाह हुआ था। पति ने अपनी पत्नी पर मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। इसी मामले में कोर्ट ने पत्नी, जो कि स्वरोजगार करती है, को आदेश दिया कि वह पति को भरण-पोषण के लिए धनराशि दे। सामान्य चलन के उलट पत्नी के गुजारा भत्ता भुगतान करने के आदेश के कारण यह मामला चर्चा में है।

क्या था पूरा मामला?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उज्जैन के रहने वाले अमन का नंदिनी से वर्ष 2020 में प्रेम सम्बन्ध बन गया था। इसके कुछ माह के बाद नंदिनी ने अमन को शादी का प्रस्ताव दिया। हालाँकि, अमन ने यह प्रस्ताव मानने से इंकार कर दिया और कहा कि वह अभी 12वीं की पढ़ाई कर रहा है इसलिए शादी नहीं कर सकता। उसने कहा कि वह पढ़ाई पूरी होने के बाद ही विवाह कर सकता है। नंदिनी ने इस पर अमन को धमकाना चालू कर दिया और शादी ना करने पर आत्महत्या की धमकी भी दी।

इसके चलते 2021 में आर्य समाज मंदिर में नंदिनी और अमन ने विवाह कर लिया। इन दोनों का विवाह ज्यादा दिन नहीं टिक पाया और महीने भर बाद ही विवाद चालू हो गया। इसके चलते अमन ने आरोप लगाया कि पत्नी नंदिनी उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करती थी। अमन ने नंदिनी के साथ रहना भी बंद कर दिया। अमन, नंदिनी की प्रताड़ना से तंग होकर अपने परिजनों के पास रहने लगा। इसके बाद नंदिनी ने अमन के गायब होने की रिपोर्ट दर्ज करवाई।

नंदिनी ने अमन के खिलाफ दहेज़ माँगने और प्रताड़ित करने का मामला भी दर्ज करवा दिया और गुजारा भत्ता की माँग की। इसके जवाब में अमन ने भी एक मामला दर्ज करवाया जिसमें कहा गया कि नंदिनी उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करती थी। उसीके दबाव में शादी करने की वजह से उसकी पढ़ाई छूट गई जिसके कारण वह बेरोजगार है। दूसरी तरफ नंदिनी ने कोर्ट में पहले बताया कि वह एक ब्यूटी पार्लर चलाती है जबकि बाद में उसने अपने आप को बेरोजगार बताया।

कोर्ट ने गुजारा भत्ता को लेकर क्या कहा?

कोर्ट ने इस मामले दोनों पक्षों को सुना और कहा कि नंदिनी के बयानों में एकरूपता नहीं है। साथ ही कोर्ट ने अमन के आरोपों को मानते हुए उसकी पत्नी नंदिनी को आदेश दिया कि वह ₹5000 प्रतिमाह दे, जिससे अमन का गुजारा हो सके। अमन के वकील मनीष झारोला ने कहा कि शायद यह मध्य प्रदेश में ऐसा पहला मामला है जिसमें पत्नी को यह आदेश हुआ है कि वह गुजारा भत्ता की धनराशि दे। गौरतलब है कि ऐसे अधिकांश मामलों में पति को ही गुजारा की राशि देनी होती है।

कोर्ट ने पत्नी को क्यों दिया आदेश?

दरअसल, कोर्ट के निर्णय के पीछे हिन्दू विवाह अधिनियम है। यह अधिनियम हिन्दू महिला और पुरुष के विवाह, तलाक और भरण पोषण सम्बन्धी मुद्दों के लिए 1955 में बनाया गया था। इसके अंतर्गत गुजारा भत्ता को लेकर नियम लिंगनिरपेक्ष है। यानी पति और पत्नी, दोनों ही एक दूसरे से गुजारा भत्ते की राशि की माँग कर सकते हैं। ऐसे में यह कोर्ट का अधिकार होगा कि वह किसे यह आदेश देता है। पूर्व में भी ऐसे ही मामले सामने आए हैं, जिसमें पत्नी को अपने पति को पैसे देने का आदेश हुआ।

हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत कहा गया है कि मुकदमे के दौरान पति या पत्नी, दोनों में से जिसके पास भी अपने खर्चे चलाने और मुकदमे का खर्चा उठाने के लिए कोई स्वतंत्र आय स्रोत ना हो, तो वह अपने साथी से इसकी माँग कोर्ट के जरिए कर सकता है। यही नियम दोनों के तलाक के समय दी जाने वाली धनराशि और बाद में दिए जाने वाले भरण पोषण पर लागू होंगे।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया