महाराष्ट्र पुलिस में दलाली और उद्धव-पवार का नाम: जिस महिला IPS ने खोले पोल, उनकी गिरफ्तारी पर HC की रोक

रश्मि शुक्ला फ़िलहाल हैदराबाद में पोस्टेड हैं (फाइल फोटो साभार: FPJ)

महाराष्ट्र की स्टेट इंटेलिजेंस कमिश्नर रहीं रश्मि शुक्ला के एक पत्र को लेकर ‘महा विकास अघाड़ी (MVA)’ सरकार कटघरे में आ गई थी, जिसमें उन्होंने राज्य में पुलिस अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग में दलालों के हावी होने की बात कही थी। इसके बाद मुंबई पुलिस ने शुक्ला और ‘अज्ञात लोगों’ के खिलाफ ट्रांसफर सम्बन्धी आंतरिक सूचनाओं को लीक करने का आरोप लगाते हुए FIR दर्ज कर लिया। उन पर गिरफ़्तारी की तलवार लटकने लगी।

अब मामला बॉम्बे हाईकोर्ट में चल रहा है। मुंबई पुलिस ने बॉम्बे हाईकोर्ट से कहा है कि अगर रश्मि शुक्ला जाँच में सहयोग करती हैं तो उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। रश्मि शुक्ला ने मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज की गई FIR को रद्द करने की माँग बॉम्बे उच्च-न्यायालय से की है। अब पुलिस ने भरोसा दिया है कि सुनवाई की अगली तारीख़ तक उनकी गिरफ़्तारी नहीं होगी, अगर वो जाँच में सहयोग करती हैं तो।

मुंबई पुलिस ने अप्रैल 26, 2021 को ही रश्मि शुक्ला को समन किया था। इसके बाद उन्होंने कोरोना वायरस संक्रमण की भयावह स्थिति को देखते हुए पुलिस के समक्ष उपस्थित होने में असमर्थता जताई थी। इसके 2 दिन बाद उनका बयान दर्ज करने के लिए फिर से समन भेजा गया। इसके बाद वो अधिवक्ता समीर नागरे के माध्यम से बॉम्बे HC पहुँचीं, जहाँ FIR रद्द कर के पुलिस को कोई सख्त कदम उठाने से रोकने का निर्देश देने की दरख़्वास्त की गई।

एसएस शिंदे और मनीष पितले की पीठ ने गुरुवार (मई 6, 2021) को सुनवाई करते हुए कहा कि कोरोना संक्रमण और हैदराबाद में पदस्थापित होने के कारण रश्मि शुक्ला को पुलिस के समक्ष उपस्थित होने में दिक्कत हुई होगी। पुलिस की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता डारियस खम्बाटा ने कहा कि अगर कोरोना महामारी की वजह से वो मुंबई नहीं आ सकती हैं तो मुंबई पुलिस की एक टीम उनके लोकेशन पर जाकर उनका बयान दर्ज कर सकती है।

शुक्ला की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी भी पेश हुए, जिन्होंने कहा कि मुंबई पुलिस उनके मुवक्किल को गिरफ्तार न करे और ये भी बताया कि वो जाँच में सहयोग कर रही हैं। शुक्ला के खिलाफ जिन धाराओं में मामला दर्ज किया है, उनमें 3 साल तक की सज़ा हो सकती है। इससे पहले मुंबई पुलिस को उनसे पूछताछ कर उनका बयान लेना होगा। CBI की तरफ से पेश हुए एडिशनल सोसिलिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि ये मामला राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख से भी जुड़ा है, इसीलिए CBI इसकी जाँच कर रही है।

कोर्ट ने साफ किया कि इस केस में दिए गए आदेश का उस पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। रश्मि शुक्ला की तरफ से हाईकोर्ट में 6 वकील पेश हुए। वहीं दो वकीलों ने राज्य सरकार का पक्ष रखा। मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने भी अपने खिलाफ दर्ज मामलों को CBI को ट्रांसफर करने के लिए हाईकोर्ट का रुख किया था। महाराष्ट्र में कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारी MVA सरकार के खिलाफ खड़े हैं।

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अब बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के बाद वीडियो कॉल से रश्मि शुक्ला का बयान दर्ज किया जाएगा और अगली सुनवाई तक उनकी गिरफ़्तारी नहीं होगी। वो फ़िलहाल सेन्ट्रल डेपुटेशन पर हैदराबाद में बतौर ADG, CRPF पोस्टेड हैं। उन्होंने ट्रांसफर-पोस्टिंग में पुलिस-नेता नेक्सस का खुलासा किया था। 1988 कैडर की शुक्ला 30 वर्षों से भी अधिक से पुलिस सेवा में हैं। याचिका में उन्होंने कहा था कि वो सिर्फ अपना कर्तव्य कर रही थीं, भ्रष्टाचार को उजागर कर रही थीं।

अगस्त 2020 में तत्कालीन DGP सुबोध जायसवाल को भेजे गए पत्र में रश्मि शुक्ला ने बताया था कि उनकी टीम ने कुछ ऐसे फोन कॉल्स को इंटरसेप्ट करने में कामयाबी पाई है, जिससे पता चला है कि कई लोग पुलिस अधिकारियों की मनमाने ट्रांसफर-पोस्टिंग कराने के बदले रुपए लेने के धंधे में शामिल हैं। 7 पन्ने के इस पत्र में कई बड़े नेताओं के नाम थे। पता चला कि रुपयों के बदले मनमानी ट्रांसफर-पोस्टिंग कराने वालों ने आपसी बातचीत में उद्धव ठाकरे, शरद पवार और अनिल देशमुख के नाम भी लिए हैं। 

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया