‘महाभारत विकलांगों की कथा, द्रौपदी मनोरोगी’: PM मोदी ने देश को दिया NIMHR, आरोप- डिप्टी रजिस्ट्रार मोहम्मद अशफाक ने कर दिया मदरसे सा हाल

सीहोर रेलवे स्टेशन पर अवेयरनेस प्रोग्राम के दौरान NIMHR के छात्र और डिप्टी रजिस्ट्रार मोहम्मद अशफाक (फोटो साभार: @nimhr_sehore)

द्रौपदी का मानसिक स्तर ठीक नहीं रहा होगा, वरना भरे दरबार में वस्त्र खींचने का वह विरोध करती। वह चीरहरण के दृश्य में एक मनोरोगी की तरह दिखाई देती है।

राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास संस्थान (NIMHR) के छात्रों को कक्षाओं में मा​नसिक स्वास्थ्य इसी तरह समझाया जाता है। यह दावा प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए एक पत्र में किया गया है। पत्र लिखने वालों ने खुद को संस्थान का छात्र और NIMHR के डिप्टी रजिस्ट्रार मोहम्मद अशफाक से प्रताड़ित बताया है। ऑपइंडिया से बातचीत में मोहम्मद अशफाक ने डिप्टी रजिस्ट्रार के पद पर होते हुए भी कक्षा लेने की बात मानी है। यह भी माना है कि उन्होंने महाभारत के किरदारों का उदाहरण दिया था। लेकिन उनका दावा है कि छात्र इसे जिस तरह से पेश कर रहे हैं, वह सही नहीं है।

क्या है NIMHR

राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास संस्थान (NIMHR) अपनी तरह का देश का इकलौता संस्थान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दृष्टि की उपज है। मध्य प्रदेश के सीहोर में 2019 में इसकी शुरुआत हुई। फिलहाल पुराने जिला पंचायत भवन से इसका संचालन हो रहा है। भोपाल-इंदौर हाइवे पर सीहोर जिले के सैकड़ाखेड़ा गाँव में करीब 25 एकड़ जमीन पर करीब 180 करोड़ रुपए की लागत से संस्थान का कैंपस तैयार हो रहा है। देश के इस पहले राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास संस्थान में 9 विभाग होंगे। 12 पाठ्यक्रमों का संचालन होना है। फिलहाल 3 पाठ्यक्रम चल रहे हैं। ये हैं;

  • डिप्लोमा इन वोकेशनल रिहैबिलिटेशन इंटेलेक्चुअल डिसेबिलिटी (DVR-ID)
  • डिप्लोमा इन कम्युनिटी बेस्ड रिहैबिलिटेशन (DCBR)
  • सर्टिफिकेट कोर्स इन केयर गिविंग (CCCG)

DVR-ID एक साल, DCBR दो साल और CCCG दस महीने का पाठ्यक्रम है। प्रत्येक पाठ्यक्रम में 30-30 सीटें हैं। फिलहाल संस्थान में 100 से ज्यादा छात्र हैं। इनमें करीब 60 फीसदी छात्राएँ बताई जाती हैं।

अभी पुराने पंचायत भवन से संचालित हो रहा सी​होर का राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास संस्थान (फोटो साभार: nimhr.ac.in)

NIMHR छात्रों के आरोप

राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास संस्थान (NIMHR) के छात्रों के नाम से तीन पन्नों का एक पत्र 16 दिसंबर 2022 को प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को भेजा गया है। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार खटीक को भी यह पत्र भेजा गया है। यह पत्र ऑपइंडिया के पास भी उपलब्ध है। पत्र में NIMHR के डिप्टी रजिस्ट्रार मोहम्मद अशफाक पर संस्थान को मनमाने तरीके से संचालित करने, कक्षा लेने, ऐतिहासिक हिंदू चरित्रों की विकलांगता के संदर्भ में गलत व्याख्या करने, छात्रों को करियर बर्बाद करने की धमकी देने जैसे आरोप लगाए गए हैं।

पत्र में कहा गया है कि मोहम्मद अशफाक आसपास के इलाकों के अपने समुदाय के लोगों को संस्थान के नाम पर अनुचित लाभ दिलाने का वादा भी करते ​हैं। यह भी कहा गया है कि मोहम्मद अशफाक की नियुक्ति से पहले संस्थान का माहौल इस तरह का नहीं था। उन्होंने अपने कथित इस्लामी तौर-तरीकों से संस्थान का माहौल किसी ‘पागलखाने’ जैसा कर दिया है। पत्र में इसके कारण छात्रों के भारी ‘मानसिक दबाव’ में होने की बात कही गई है। वैसे इस पत्र पर किसी छात्र का नाम नहीं है। पत्र के अंत में कहा गया है, “तत्काल संस्थान पर ध्यान दीजिए वरना यह पूरी तरह जेहादी अड्डा बन जाएगा। वह (मोहम्मद अशफाक) हमारा भविष्य खराब करने की धमकी देता है, इसलिए यह पत्र आपको बिना साइन के भेज रहे हैं। आप इस राष्ट्रीय संपत्ति को जेहादी से बचा लीजिए।”

NIMHR डायरेक्टर पर भी सवाल

राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास संस्थान (NIMHR) केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अधीन आता है। मंत्रालय में संयुक्त सचिव (DEPwD) पद पर तैनात राजेश कुमार यादव के पास अभी संस्थान के निदेशक (Director) का दायित्व है। उन्हें यह​ जिम्मेदारी मई 2022 में दी गई थी। पत्र में आरोप लगाया गया है कि यादव आज तक इस संस्थान में झाँकने भी नहीं आए हैं। डिप्टी रजिस्ट्रार मोहम्मद अशफाक ने भी ऑपइंडिया को बताया, “डायरेक्टर राजेश यादव ने कभी संस्थान का दौरा नहीं किया है।” मोहम्मद अशफाक द्वारा अपने तरीके से संस्थान को हाँकने की एक बड़ी वजह यही बताई जा रही है।

ऑपइंडिया की पड़ताल में यह बात सामने आई है कि राजेश यादव से पहले NIMHR डायरेक्टर का दायित्व डा. प्रबोध सेठ के पास था। वे दौरे पर आते थे। संस्थान को लेकर स्थानीय प्रशासन के साथ भी उन्होंने बैठकें की थी। इन आरोपों को लेकर हमने राजेश यादव के आधिकारिक नंबर पर भी संपर्क किया। आरोपों को लेकर पूछे जाने पर उन्होंने फोन काट दिया। उसके बाद भी हमने कई बार उनको कॉल किया। लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका। हमने राजेश यादव को इन आरोपों को लेकर मेल भी किया है। उसका भी जवाब नहीं मिला है। जवाब मिलने पर हम इस खबर को अपडेट करेंगे।

NIMHR के डिप्टी रजिस्ट्रार मोहम्मद अशफाक का जवाब

राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास संस्थान (NIMHR) के डिप्टी रजिस्ट्रार मोहम्मद अशफाक ने ऑपइंडिया से बातचीत में अपने खिलाफ प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए पत्र के बारे में जानकारी होने से अनभिज्ञता प्रकट की। उन्होंने कहा, “परीक्षा में शामिल होने के लिए 80 फीसदी अटेंडेंस चाहिए। कुछ छात्रों का अटेंडेंस 10 फीसदी भी नहीं है। मुझे लगता है कि ऐसे छात्रों ने ही शिकायत की होगी। यदि उन्होंने संस्थान में अर्जी दी होती तो इस पर चर्चा की जा सकती थी।”

बातचीत के दौरान मोहम्मद अशफाक उन छात्रों के बारे में जानने की दिलचस्पी दिखा रहे थे, जिन्होंने शिकायत भेजी है। उन्होंने जोर देते हुए कई बार कहा कि शिकायत उन छात्रों ने ही की होगी जिनका अटेंडेंस कम है और जिन्हें परीक्षा से रोका गया है। मनमाने तरीके से संस्थान को चलाने, आदेश निकालने और अपने समुदाय के लोगों को प्रश्रय देने के आरोपों पर उन्होंने कहा, “किसी सरकारी अधिकारी पर ऐसा आरोप लगना निराशाजनक है। सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के बगैर कोई कैसे आदेश निकाल सकता है।”

उन्होंने बताया कि मॉर्निंग में गेस्ट लेक्चर्स की क्लास होती है। इस दौरान उन्होंने छात्रों को पढ़ाया है। महाभारत का संदर्भ भी दिया है। डिप्टी रजिस्ट्रार ने बताया, “डिसेबिलिटी की कक्षा लेते हुए मैंने बताया था कि दिव्यांगता की जो हमारे यहाँ परिभाषा है, उसमें हमने नेत्रहीन धृतराष्ट्र को भी राजा के पद पर देखा। मैंने जो भी कहा था वो बड़े सम्मानीय शब्दों में कहा था। अब पता नहीं छात्रों ने उसे किस तरह से लिया। हमारे जो पूर्वज थे, उनका जो काल था, मुझे नहीं लगता उसके बारे में बताना उनकी कोई अवमानना है।”

कार्य पूरा होने के बाद कुछ इस तरह दिखेगा राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास संस्थान (फोटो साभार: nimhr.ac.in)

NIMHR में अटेंडेंस का विवाद क्या है?

राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास संस्थान (NIMHR) के कितने छात्रों को अटेंडेंस के कारण परीक्षा से रोका गया है, इसकी संख्या डिप्टी रजिस्ट्रार मोहम्मद अशफाक ने पूछे जाने पर भी ऑपइंडिया को नहीं बताया। अपनी पड़ताल में हमने पाया है कि ऐसे छात्रों की संख्या 11 है। DVR-ID के एक छात्र ने अपनी पहचान सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर ऑपइंडिया को बताया, “संस्थान मोहम्मद अशफाक के कब्जे में है। हमने कई बार उनसे मिलकर बात करने की कोशिश की। लेकिन वे मिलने से मना कर देते हैं। वे सार्वजनिक तौर पर छात्रों को जलील करते हैं। वे शिक्षक नहीं हैं। फिर भी क्लास लेते हैं। कक्षाओं में आकर बैठते हैं। छात्रों पर दबाव बनाते रहते हैं।” इस छात्र का दावा है कि वह उन छात्रों में नहीं है, जिनके अटेंडेंस कम हैं। उसने यह भी माना कि पत्र भेजने वाले छात्रों में वह शामिल है।

ऑपइंडिया के पास मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के हेल्पलाइन पर भेजी गई एक शिकायत का विवरण भी उपलब्ध है। 25 दिसंबर 2022 को की गई इस शिकायत में शिकायतकर्ता का दावा है कि पूरी फीस जमा करवाने के बाद उसे परीक्षा से रोका गया है। उसने अटेंडेंस में धांधली के आरोप भी लगाए हैं। सीहोर जिला कलेक्टर को भेजी गई इसी तरह की शिकायत का विवरण भी हमारे पास है। हम शिकायतकर्ता छात्रों की पहचान का खुलासा उनके आग्रह के कारण नहीं कर रहे हैं।

क्या NIMHR में विवाद की जड़ में अटेंडेंस ही है?

राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास संस्थान (NIMHR) के डिप्टी रजिस्ट्रार मोहम्मद अशफाक की माने तो पूरे विवाद के पीछे वे छात्र हैं, जिनका अटेंडेंस कम हैं। लेकिन, ऑपइंडिया के हाथ लगे कुछ दस्तावेजों से ऐसे लगता है कि आरोप हवा-हवाई नहीं हैं। मसलन, इस संस्थान को चलाने के लिए जो पदानुक्रम तय है, उसके अनुसार अकादमिक विभाग डिप्टी रजिस्ट्रार के अधीन नहीं आता। नीचे आप तय पदानुक्रम देख सकते हैं।

लेकिन नीचे आप 27 सितंबर 2022 को जारी वह सूचना देख सकते हैं, जिसमें अकादमिक सहित ​सभी विभागों को डिप्टी ​रजिस्ट्रार ने अपने अधीन बताया है।

नीचे आप वह आदेश भी देख सकते हैं, जिसमें एकेडिमक ऐंड रिसर्च वर्क कमिटी के चेयरपर्सन के तौर पर भी डिप्टी रजिस्ट्रार मोहम्मद अशफाक का नाम दर्ज है।

नीचे आप 21 दिसंबर 2022 को डिप्टी रजिस्ट्रार मोहम्मद अशफाक की ओर से निकाले गए एक आदेश को देख सकते हैं। दिसंबर में ही NIMHR से निकाले गए एक संविदाकर्मी ने ऑपइंडिया को बताया, “नियुक्ति के बाद से ही मोहम्मद अशफाक ने कर्मचारियों का शोषण करना शुरू कर दिया था और धीरे-धीरे हर विभाग पर कब्जा कर लिया। जिन लोगों ने उसके सामने घुटने नहीं टेके, उनको निकाल दिया गया। NIMHR में मैं दो साल से काम कर रहा था और एक दिन अचानक से उसने आने से मना कर दिया। मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं। मैं परिवार को कैसे पालूँगा।” इस पूर्व कर्मचारी का यह भी कहना है कि संस्थान के संसाधनों का इस्तेमाल मोहम्मद अशफाक निजी कार्यों के लिए भी करते हैं। उन जैसे कर्मचारियों का इस्तेमाल अपने घरेलू कार्यों के लिए भी करते थे। इस पूर्व कर्मचारी का यह भी आरोप है कि संस्थान में जो मानसिक रोगी परीक्षण के लिए आते हैं, उनकी भी कैमरों के जरिए डिप्टी रजिस्ट्रार निगरानी करते हैं। पीएमओ को छात्रों के नाम से जो शिकायत मिली है उसमें भी यह बात कही गई है।

डिप्टी रजिस्ट्रार मोहम्मद अशफाक ने ऑपइंडिया से बातचीत में सारे आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने कहा, “मुझे ज्वाइन करते हुए छह महीने हुए हैं। जो कमियाँ थी उसे दूर करने का काम किया है। मेरी कोशिश है कि 31 जुलाई 2023 तक संस्थान का नया भवन तैयार करने की जो समय सीमा तय की गई है, उसमें यह काम पूरा कर लिया जाए। जो पाठ्यक्रम हमने शुरू करने की सोच रखी है, उनकी शुरुआत हो जाए।” उन्होंने हमसे बातचीत में जरूरत के हिसाब से संस्थान में शिक्षणेत्तर और गैर शिक्षणेत्तर कर्मचारी होने की बात भी कही है।

क्या उपेक्षा से मर जाएगा PM मोदी का ड्रीम संस्थान?

डिप्टी रजिस्ट्रार मोहम्मद अशफाक पर संस्थान को ‘मदरसे’ की तरह चलाने, आसपास के मुस्लिमों को संस्थान की तरफ से लाभ दिलाने का प्रलोभन देने, कट्टरपंथी संगठन के संपर्क में होने जैसे आरोप भी लगाए गए हैं, हम इसकी पुष्टि नहीं करते। इन आरोपों को लेकर हमने केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार खटीक से फोन पर संपर्क की कई बार कोशिश की। लेकिन असफल रहे। हमने उन्हें मेल भी भेजा है। जवाब मिलने पर रिपोर्ट को अपडेट करेंगे। लेकिन हमने अपनी पड़ताल में यह पाया है कि इस संस्थान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच के अनुसार विकसित करने को लेकर जितना ध्यान दिए जाने की जरूरत है, उतनी नहीं दी जा रही। इसका एक कारण डायरेक्टर राजेश यादव की उदासीनता भी लगती है।

वैसे मोहम्मद अशफाक ने ऑपइंडिया से कहा, “माननीय प्रधानमंत्री चाहते हैं कि हम विश्वगुरु बनें। उनकी सोच के हिसाब से ही हम इसे विश्वस्तरीय संस्थान बनाने में लगे हैं। मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह एक बहुत बड़ा संस्थान बने, अच्छा संस्थान बने, हम बस उसके लिए ही लगे हुए हैं।”

मोहम्मद अशफाक ने हमें यह भी बताया कि ग्वालियर के ‘सेंटर फॉर डिसेबिलिटी स्पोर्ट्स‘ के डिप्टी डायरेक्टर की जिम्मेदारी भी उनको दी गई है। ऐसे में यह जरूरी लगता है कि उन पर लगे आरोपों की जाँच होनी चाहिए। पीड़ित छात्रों की समस्याओं का निदान किया जाना चाहिए। क्योंकि ज्यादा दिन नहीं हुए हैं जब मध्य प्रदेश के इंदौर के एक सरकारी लॉ कॉलेज से पढ़ाई की आड़ में लव जिहाद और मजहबी कट्टरता को बढ़ावा देने, देश और सेना के खिलाफ दुष्प्रचार किए जाने का मामला सामने आया था।

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