असम के ‘फॉरेस्ट मैन ऑफ इंडिया’ जादव पायेंग कॉमनवेल्थ के ‘पॉइंट्स ऑफ़ लाइट’ अवार्ड से सम्मानित

जादव पायेंग को सम्मानित करते हुए निक लो (चित्र साभार- eastmojo.com)

असम के पर्यावरण कार्यकर्ता और ‘फॉरेस्ट मैन ऑफ इंडिया’ के नाम से लोकप्रिय जादव ‘मोलाई’ पायेंग को बुधवार (मार्च 11, 2020) को 128वें राष्ट्रमंडल पॉइंट्स ऑफ़ लाइट अवार्ड से सम्मानित किया गया। यूनाइटेड किंगडम की महारानी क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय द्वारा पायेंग को पर्यावरण संरक्षण के लिए उनके द्वारा की जा रही है असाधारण स्वैच्छिक सेवा के लिए इस सम्मान के लिए चुना गया था।

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जादव पायेंग को कोलकाता में ब्रिटिश उप उच्चायुक्त निक लो (Nick Low) द्वारा 11 मार्च को सम्मानित किया गया। साथ ही, उन्हें नई दिल्ली में 2020 के कर्मयोगी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। वर्ष 2015 में उन्हें भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया था। उनका जन्म असम के स्वदेशी ‘मिसिंग जनजाति’ (Mising Tribe) में हुआ था।

निक लो ने अपने ट्विटर अकाउंट से तस्वीर शेयर करते हुए लिखा है कि वे जादव पायेंग को 128वें राष्ट्रमंडल पॉइंट्स ऑफ़ लाइट अवार्ड को देते हुए सम्मानित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने लिखा है कि एक ऐसे आदमी को जिसने 1,360 एकड़ से ज्यादा ऐसी भूमि को जीवन दिया, जहाँ कुछ भी नहीं था। साथ ही उन्होंने लिखा है कि जादव ने इस हरी-नीली पृथ्वी को दोबारा ठीक करने की उम्मीद जगाई है और साबित किया है कि अकेला इंसान भी बहुत कुछ कर सकता है।

जादव मोलाई पायेंग एक पर्यावरणविद और जोरहाट के वानिकी कार्यकर्ता हैं, जिन्हें लोकप्रिय नाम ‘फ़ॉरेस्ट मैन ऑफ इंडिया’ से भी जाना जाता है। कई दशकों के दौरान, उन्होंने ब्रह्मपुत्र नदी के एक सैंडबार पर पेड़ लगाए और उन्हें जंगल में बदल दिया। इन्होंने अपनी मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति से केवल मिट्टी और कीचड़ से भरी जमीन को फिर से हरा-भरा कर दिया। जादव पायेंग ऐसा कई वर्षों से कर रहे हैं। उन्होंने करीब 550 हेक्टेअर पर नदी किनारे के पास जंगल का निर्माण कर विभिन्न प्रजातियों के जानवरों और पक्षियों का घर बनाने का काम किया है, जिसका नाम उनके नाम पर ‘मोलाई वन’ रखा गया है। यह जंगल असम के प्रसिद्ध माजुली द्वीप पर स्थित है।

कॉमनवेल्थ पॉइंट्स ऑफ़ लाइट पुरस्कार की स्थापना अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज एचडब्ल्यू बुश (George H. W. Bush) द्वारा 1990 में की गई थी, जिन्हें 1989 में चालीसवाँ राष्ट्रपति बनाया गया था। यह पुरस्कार 53 राष्ट्रमंडल देशों के प्रेरणादायक वालंटियर को सम्मानित करने के लिए दिया जाता है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया