‘जो सिर कलम नहीं करते, दंगे और धर्मांतरण नहीं करते, हम उनकी रक्षा कैसे कर रहे हैं:’ वाजिद खान की पत्नी के सपोर्ट में कंगना रनौत

वाजिद खान की पत्नी के सपोर्ट में उतरीं कंगना रनौत

बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत हमेशा अपने मुखर बयानों के कारण चर्चा में रहती हैं। अब उन्होंने दिवंगत म्यूजिक कंपोजर वाजिद खान की पत्नी कमलरुख (Kamalrukh) पर परिवार द्वारा धर्म परिवर्तन को लेकर बनाए गए दबाव पर सवाल उठाया है और ट्वीट कर प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) से पूछा है कि जो लोग दंगे और धर्म-परिवर्तन नहीं करते, उन्हें हम कैसे सुरक्षित रखें?

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कंगना रनौत ने धर्म परिवर्तन पर सवाल उठाते हुए तीन ट्वीट किए। उन्होंने पहले ट्वीट में लिखा, “पारसी इस राष्ट्र में वास्तविक रूप से अल्पसंख्यक हैं। वह देश पर कब्जा करने नहीं आए थे, वे साधक के रूप में आए थे और उन्होंने भारत माता का प्यार माँगा था। हमारे देश की सुंदरता, वृद्धि और आर्थिक मामलों में उनकी छोटी सी जनसंख्या ने बहुत बड़ा योगदान दिया है।”

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दूसरे ट्वीट में कंगना ने पीएमओ से सवाल करते हुए कहा, “वह मेरे दोस्त की विधवा और एक पारसी महिला है, जिसे उसके परिवार द्वारा धर्म परिवर्तन के लिए परेशान किया जा रहा है। मैं प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) से पूछना चाहती हूँ कि अल्पसंख्यक जो नाटक नहीं करते, किसी का सिर कलम नहीं करते, दंगे और धर्मांतरण नहीं करते, हम उनकी रक्षा कैसे कर रहे हैं? पारसियों की संख्या लगातार कम हुई है।”

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उन्होंने तीसरे ट्वीट में कहा, “माँ का वो बच्चा जो सबसे ज्यादा ड्रामा करता है उसे अटेंशन और फायदे मिलते हैं। जो ये सब पाने के लायक हैं, जो इसके ज्यादा लायक होते हैं, संवेदनशील होते हैं, उसके लिए एक नैनी (बच्चों का ध्यान रखने वाली) रखी जाती है। हमें आत्मचिंतन की जरूरत है।”

गौरतलब है कि हाल ही में वाजिद खान की पत्नी कमलरुख ने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिख कर अपनी भावनाएँ व्यक्त की थी। उन्होंने लिखा था, “मैं पारसी थी और वे मुस्लिम थे। यूँ समझ लीजिए कि हम ‘कॉलेज स्वीटहार्ट्स’ थे। यहाँ तक क‍ि जब हमने शादी की तो स्पेशल मैरिज एक्ट के अंतर्गत की।”

उन्होंने बताया कि उन पर इस्लाम में धर्मांतरण के लिए दबाव डाला जा रहा है और कैसे इस विषाक्त मजहब के खिलाफ उनकी लड़ाई संगीतकार के साथ तलाक के साथ खत्म हुई। कमलरुख ने लिखा कि हालाँकि वह सभी धर्मों को बहुत महत्व देती हैं, लेकिन धर्मांतरण में उन्हें विश्वास नहीं था। उनकी गरिमा और आत्म-सम्मान ने उन्हें उनके और उनके परिवार के लिए इस्लाम में परिवर्तित होने के लिए झुकने की अनुमति नहीं दी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया