विराजमान थे राम-जानकी, मंदिर की एक-एक ईंट निकाल खोल ली बिरयानी रेस्टोरेंट: पाकिस्तानी आबिद रहमान की कानपुर में पंक्चर बनाने वाले मुख्तार से ये कैसी डील

कानपुर में मंदिर पर कब्जा कर खोला बिरयानी रेस्टोरेंट (फोटो साभार: दैनिक जागरण)

उत्तर प्रदेश के कानपुर से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। सरकारी रिकॉर्ड में जो जगह राम-जानकी मंदिर के तौर पर दर्ज है, वहाँ आज बिरयानी की रेस्टोरेंट की चल रही है। शत्रु संपत्तियों की तलाश के दौरान यह बात सामने आई है।

रिपोर्टों के अनुसार यह जगह कानपुर के बेकनगंज स्थित डॉक्टर बेरी चौराहा पर है। भवन संख्या 99/14ए रिकॉर्ड में राम-जानकी मंदिर ट्रस्ट का है। यहाँ भगवान श्रीराम का मंदिर था। बताया जाता है कि अस्सी के दशक तक यहाँ पूजा हुआ करती थी। लेकिन अब मंदिर का कुछ ही हिस्सा बचा हुआ है। वह भी जर्जर हाल में है। मंदिर के अन्य हिस्सों को तोड़कर उसका इस्तेमाल रेस्टोरेंट की रसोई के तौर पर किया जा रहा है।

रेस्टोरेंट चलाने वाले व्यक्ति का दावा है कि उसने यह संपत्ति आबिद रहमान से खरीदी थी। रिपोर्ट के अनुसार आबिद रहमान 1962 में पाकिस्तान चला गया था, जहाँ उसका परिवार पहले से ही रह रहा था। 1982 में उसने यह संपत्ति मंदिर परिसर में साइकिल मरम्मत की दुकान चलाने वाले मुख्तार बाबा को बेच दी।

मुख्तार के बेटे महमूद उमर का दावा है कि उसके पास इससे संबंधित सभी आवश्यक कागजात मौजूद हैं और वह जल्द ही प्रशासन के नोटिस का जवाब देगा। यह भी बताया जा रहा है कि रेस्टोरेंट बनाने के लिए मंदिर ट्रस्ट के आगे हिंदुओं की जो 18 दुकानें थीं उसे भी एक-एक कर तोड़ दिया गया

ईटीवी भारत ने शत्रु संपत्ति प्रभारी व एसीएम-सात दीपक पाल के हवाले से बताया है कि उनके पास इस जमीन को लेकर पिछले साल सितंबर-अक्टूबर में शिकायत आई थी। एसडीएम की जाँच में पता चला कि इशहाक बाबा नाम का व्यक्ति इस मंदिर का केयरटेकर था। बाद में उसका बेटा मुख्तार बाबा यहीं साइकिल मरम्मत और पंक्चर बनाने का काम करने लगा।

शत्रु संपत्ति संरक्षक कार्यालय के मुख्य पर्यवेक्षक और सलाहकार कर्नल संजय साहा ने कहा कि इस मामले में लोगों को नोटिस भेजा गया है। उन्हें जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया है। कर्नल संजय साहा ने बताया, “हमने उन्हें पाँच विशिष्ट सवालों के साथ नोटिस भेजा है और उनके जवाबों का हमें इंतजार हैं। हालाँकि, अभी तक कोई भी प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।”

मिली जानकारी के अनुसार पिछले साल शत्रु संपत्ति संरक्षण संघर्ष समिति द्वारा शिकायत दर्ज किए जाने के बाद इस मामले में जाँच शुरू की गई थी। लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि जो जमीन राम-जानकी मंदिर ट्रस्ट के नाम से दर्ज है, जहाँ कभी मंदिर था, उसे कोई मुस्लिम व्यक्ति कैसे बेच या खरीद सकता है?

शत्रु संपत्ति अधिनियम

शत्रु संपत्ति अधिनियम (Enemy Property Act), 1968 पाकिस्तान से 1965 में हुए युद्ध के बाद पारित हुआ था। इस अधिनियम के अनुसार, जो लोग 1947 के विभाजन या 1965 में और 1971 में लड़ाई के बाद पाकिस्तान चले गए और वहाँ की नागरिकता ले ली, उनकी सारी अचल संपत्ति ‘शत्रु संपत्ति’ घोषित कर दी गई और भारत सरकार ने उसे जब्त कर लिया। यह अधिनियम शत्रु की संपत्ति की देखभाल का अधिकार संपत्ति के लीगल वारिस या लीगल प्रतिनिधि को देता है।

इस कानून में संशोधन के बाद शत्रु संपत्ति अधिनियम, 2017 आया। इसने शत्रु संपत्ति की परिभाषा बदल दी है। इसके मुताबिक, अब वे लोग भी शत्रु हैं, जो भले ही भारत के नागरिक हो, लेकिन उन्हें विरासत में ऐसी संपत्ति मिली है जो कि किसी पाकिस्तानी नागरिक के नाम है। इस संशोधन ने ऐसी सम्पतियों का मालिकाना हक भी भारत सरकार को दे दिया है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया