जिस नाबालिग से किया था दुष्कर्म, उससे शादी के लिए कोर्ट ने आरोपित को दी अंतरिम जमानत: कर्नाटक हाई कोर्ट ने बताया विशेष परिस्थिति, जानिए पूरा मामला

कर्नाटक हाई कोर्ट (चित्र साभार: Banglore Mirror)

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने हाल ही में बच्चों के यौन अपराध से संबंधित पॉक्सो अधिनियम के आरोपित को पीड़िता से विवाह करने के लिए 15 दिनों की अंतरिम जमानत दे दी है। पीड़िता अब वयस्क हो चुकी है और उसने एक बच्चे को भी जन्म दिया है, जिसकी उम्र एक साल है। कोर्ट ने कहा कि यह आदेश मामले की विशेष परिस्थितियों को देखते हुए पारित किया गया है।

कर्नाटक हाई कोर्ट की न्यायाधीश एम. नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने कहा कि इस आदेश में उस माँ का भाग्य भी शामिल है, जिसे कम उम्र में ही बच्चे का पालन-पोषण करना होगा। यह एक माँ के लिए बेहद कठिन परिस्थिति है। इसलिए पीड़िता से विवाह के लिए आरोपित को अंतरिम जमानत दी जाती है। यह याचिका आरोपित ने दाखिल की थी।

कोर्ट ने कहा, “इन विशेष परिस्थितियों में माँ को इतनी कम उम्र में बच्चे का पालन-पोषण करना है, जो बेहद कठिन परिस्थितियों में है। इसलिए माँ और बच्चे की स्थिति को देखते हुए मैं याचिकाकर्ता को पीड़िता से विवाह करने की अनुमति देकर परिवारों की शिकायतों को दूर करना उचित समझता हूँ। पीड़िता अब 18 वर्ष से अधिक की हो चुकी है।”

न्यायाधीश ने आगे कहा, “उक्त विवाह के उद्देश्य से मैं सीआरपीसी की धारा 482 के तहत अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते हुए याचिकाकर्ता को अंतरिम जमानत देना उचित समझता हूँ, ताकि याचिकाकर्ता बाहर आकर पीड़िता से विवाह कर सके। मामले में मौजूद विशेष परिस्थितियों के कारण यह कदम उठाया गया है, क्योंकि माँ को बच्चे का पालन-पोषण करना है।”

न्यायालय ने कहा कि नवजात शिशु को नहीं पता है कि क्या हुआ है और उसे भविष्य में किसी भी तरह की बदनामी नहीं झेलनी चाहिए। आदेश में आगे कहा गया है, “इसलिए, बच्चे के हितों की रक्षा करने और बच्चे के पालन-पोषण में माँ की जिम्मेदारी को ध्यान में रखते हुए यह निर्देश जारी करना आवश्यक पाया गया है।”

दरअसल, पीड़िता की माँ ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि उसकी बेटी और आरोपित याचिकाकर्ता के बीच स्कूल में प्रेम संबंध थे। दोनों अक्सर मिलते थे। 15 फरवरी 2023 को आरोपित उसकी बेटी को अपनी बाइक पर बैठाकर एक सुनसान जगह पर ले गया और उसका यौन उत्पीड़न किया। शिकायत में कहा गया है कि घटना के समय पीड़िता की उम्र 16 साल और 9 महीने थी।

शिकायत के बाद पुलिस ने आरोपित के खिलाफ पॉक्सो सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया। जाँच के बाद पुलिस ने आरोपित के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। तब से वह न्यायिक हिरासत में है। इस दौरान न्यायालय ने पाया कि पीड़िता ने एक बच्चे को जन्म दिया है। दोनों पक्षों के वकील ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता और पीड़िता एक-दूसरे से प्यार करते हैं।

दोनों पक्षों के वकीलों का यह भी तर्क था कि दोनों के माता-पिता ने उनके रिश्ते में हस्तक्षेप किया था। साथ ही यह भी कहा गया कि यौन क्रिया के परिणामस्वरूप एक बच्चा पैदा हुआ, जो अब एक साल का है। याचिकाकर्ता पीड़िता से विवाह करना चाहता है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उसे और बच्चे के सामने मुश्किल स्थिति ना आए।

इस मामले में दोनों पक्षों के बीच समझौते के कारण अपराध को कम करने की माँग करते हुए याचिका दायर की गई थी। न्यायालय ने पाया कि पीड़िता अब वयस्क हो गई है और डीएनए रिपोर्ट से साबित हुआ कि आरोपित ही बच्चे का पिता है। इन सब तथ्यों को देखते हुए कोर्ट ने लड़की से शादी करने के लिए आरोपित को 15 दिनों की अंतरिम बेल दे दी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया