इधर आतंकी गोली मार रहे, उधर कश्मीरी ईंट-भट्टा मालिक मजदूरों के पैसे खा रहे: टारगेट किलिंग के बाद गैर-मुस्लिम बेबस

दहशत में घाटी छोड़ते प्रवासी मजदूर (फोटो: आजतक)

केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के कश्मीर घाटी में गैर-कश्मीरियों को टारगेट कर हत्या करने के बाद दूसरे प्रदेशों से आए श्रमिक अब वापस लौटने को मजबूर हो रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में 12 गैर-स्थानीय लोगों की हत्या के बाद इन प्रवासी मजदूरों में डर का माहौल है और वे जल्द से जल्द अपने गाँव वापस लौट जाना चाहते हैं। प्रवासियों का कहना है कि जिस तरह से आतंकी चुन-चुन कर बाहरी लोगों को निशाना बना रहे हैं, उससे उनके परिजन चिंतित हैं और उन्हें वापस लौटने के लिए दबाव दे रहे हैं।

पलायन को मजबूर मजदूरों ने आजतक से कहा कि वे लौटकर दोबारा कभी कश्मीर नहीं आएँगे, क्योंकि यहाँ आतंकी बाहरी लोगों को धमकी दे रहे हैं और चुन-चुनकर हत्या कर रहे हैं। इन मजदूरों का कहना है कि उनके पास कोई जमा-पूँजी नहीं है। उन्होंने बताया कि जिस ईंट-भट्टे में वे काम कर रहे थे, वहाँ के मालिकों ने उनके बकाया पैसे भी नहीं दिए।

घाटी में गोल-गप्पे बेचने वाले बिहार निवासी विकास चौधरी अंग्रेजी दैनिक न्यू इंडियन एक्सप्रेस से कहते हैं, “गोल-गप्पे बेचने वाले दो लोगों की हत्या हो चुकी है। मैं भी गोल-गप्पे बेचता हूँ। हम डरे हुए हैं। इन एक गोल-गप्पा विक्रेता अरविंद कुमार साहू, जिसे आतंकियों ने ईदगाह मैदान के सामने गोली मारकर हत्या कर दी थी, हमारे बगल के गाँव के रहने वाला था। अब मुझे अपनी चिंता हो रही है, इसलिए अपने गाँव लौट रहा हूँ।”

घाटी में मजदूरी करने वाले आशीष कहते हैं कि अपनी जिंदगी को दाँव पर लगाने से अच्छा है कि गाँव लौट जाएँ। उनका कहना है कि परिवार और उनकी जान की सुरक्षा पहली प्राथमिकता है, इसलिए वह परिवार को लेकर घाटी छोड़ रहे हैं।

वभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार के भागलपुर निवासी 60 वर्षीय दिनेश मंडल पिछले 40 साल से कश्मीर में आइसक्रीम बेच रहे थे, लेकिन अब उन्होंने अपने गाँव लौटने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, “हालात खराब हैं। गैर-कश्मीरी लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। हम इन परिस्थितियों में कश्मीर में और नहीं रह सकते।”

एक अन्य आइसक्रीम विक्रेता सतीश कुमार कहते हैं, “हर कोई डरा हुआ है। पहले वेंडरों को सड़कों पर निशाना बनाया जाता था, लेकिन अब उनके कमरों पर हमला किया जा रहा है। स्थानीय लोग कहते हैं कि रूक जाओ, लेकिन हमने अब कश्मीर छोड़ने का फैसला किया है।”

गौरतलब है कि पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर में प्रवासी मजदूरों के साथ-साथ घाटी के हिंदुओं और सिखों को टारगेट कर उनकी हत्या की गई थी। आतंकियों द्वारा आम नागरिकों को निशाना बनाए जाने के बाद सेना ने अपना अभियान तेज कर दिया है। इसके अलावा, आतंकियों ने सेना पर भी हमला किया था।

घाटी में इस तरह की घटनाओं में बढ़ोतरी पर आतंकवादियों पर कड़ा प्रहार करने की माँग तेज हो गई है। घाटी में सेना ने आतंकवादियों को जबरदस्त चोट भी दी है। सेना ने घेर-घेर कर आतंकियों को मौत की नींद सुलाने का अभियान चला रखा है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया