उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में थाने की जमीन पर बनी मजार के मामले में ऑपइंडिया की खबर का बड़ा असर हुआ है। बलरामपुर पुलिस ने 11 साल पहले थाने की जमीन पर मजार बनाने में बड़ी भूमिका निभाने वाले तत्कालीन लेखपाल रहे मोहम्मद सईद को गिरफ्तार कर लिया है। रिटायर हो चुके मोहम्मद सईद पर समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान कागजातों में हेराफेरी करने और फर्जी दस्तावेज बनाने का आरोप है। रिटायर्ड लेखपाल की गिरफ्तारी रविवार (21 अप्रैल, 2024) को हुई है।
बलरामपुर पुलिस ने मोहम्मद सईद की गिरफ्तारी की पुष्टि की है। पुलिस के मुताबिक साल 2013 में सादुल्लानगर थाने की जमीन पर जबरन कब्ज़ा कर के मजार बनाने के मामले में केस दर्ज कर के जब जाँच की गई। इस जाँच में तत्कालीन लेखपाल मोहम्मद सईद का भी नाम सामने आया। मोहम्मद सईद ने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए फर्जी कागजात तैयार करवाए थे। उसने सरकारी कागजों में हेराफेरी भी की। सईद को न्यायालय में पेश कर के जेल भेज दिया गया है।
सपा के पूर्व MLA का भाई पहले से है गिरफ्तार
बलरामपुर पुलिस ने सईद से पहले मारूफ अनवर हाशमी को गिरफ्तार किया था। मारूफ की गिरफ्तारी 1 अप्रैल, 2024 को FIR दर्ज होते ही कर ली गई थी। मारूफ थाने की जमीन कब्ज़ा कर बनी मजार का मुतव्वली था। वह समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक और अखिलेश यादव के करीबी आरिफ अनवर हाशमी का भाई है।
बाहर से बुलाए जाते थे मौलवी, होते थे उर्स
ऑपइंडिया ने 2 अप्रैल 2024 को इस मामले में अपनी खबर प्रकाशित की थी। खबर का शीर्षक ‘जहाँ बननी थी सिपाहियों की बैरकें वहाँ हो रहे थे उर्स’ सपा सरकार में पुलिस को धमका कर थाने की जमीन पर बना दी मजार, हिट्रीशीटर है पूर्व MLA आरिफ अनवर हाशमी’ था। इस खबर में हमने बताया था कि किस प्रकार से साल 2013 में पुलिस वालों को ही धौंस दिखा कर समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक आरिफ अनवर हाशमी ने थाने की ही जमीन कब्ज़ा ली थी। यहाँ पक्की मजार बना कर उसे ‘मजार शरीफ शहीद ए मिल्ल्त अब्दुल कुद्दूस शाह रहमतुल्लाह अलैह’ नाम दे दिया दिया गया था।
पुलिस स्टेशन की इस जमीन पर सिपाहियों के रहने के लिए बैरकें बनना प्रस्तावित था। लम्बे समय तक यह मामला कोर्ट और अन्य कारणों से लंबित रहा। बलरामपुर पुलिस के वर्तमान अधीक्षक IPS केशव कुमार ने इस मामले को गंभीरता से लिया और अधीनस्थों को आरोपितों पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए। आखिरकार इन सभी आरोपितों पर IPC की धारा 420, 468, 120 बी, 186, 434, 467 और 471 के साथ सार्वजनिक सम्पत्ति क्षति अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई है।