‘आपत्तिजनक पोस्ट लाइक करना अपराध नहीं, शेयर/रीट्वीट करना अपराध’: इलाहाबाद हाईकोर्ट से इमरान को राहत, जामा मस्जिद की हिंसक भीड़ का मामला

इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुताबिक किसी आपत्तिजनक पोस्ट को लाइक करना अपराध नहीं (प्रतीकात्मक चित्र)

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि किसी आपत्तिजनक पोस्ट को लाइक करना अपराध नहीं है। हालाँकि अदालत ने ऐसी पोस्ट को रिट्वीट या शेयर करना अपराध की श्रेणी में बताया है। 18 अक्टूबर 2023 को उच्च न्यायालय ने यह आदेश मोहम्मद इमरान क़ाज़ी की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। काज़ी पर आगरा के मंटोला थाने में 1 जुलाई 2019 को केस दर्ज हुआ था।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति अरुण कुमार देशवाल की अदालत में हुई। आरोपित मोहम्मद इमरान काजी की तरफ से एडवोकेट जय राज ने बहस की। बहस के दौरान काजी के वकील ने अपने मुवक्किल के खिलाफ साल 2019 में आगरा के मंटोला थाने में दर्ज FIR को निरस्त करने की माँग की थी।

इस FIR में काजी पर फेसबुक फरहान उस्मान द्वारा की गई एक आपत्तिजनक पोस्ट लाइक करने का आरोप लगा था। इस FIR में 6 नामजदों के साथ 10 अन्य अज्ञात के भी नाम थे। इस पोस्ट की वजह से शहर का माहौल खराब होना बताया गया था।

FIR में दर्ज नामजद आरोपित इमरान क़ाज़ी ने अपने खिलाफ दर्ज केस को हाईकोर्ट में चैलेन्ज किया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि इमरान क़ाज़ी के खिलाफ हिंसा में शामिल होने या उसके भड़काने का कोई सबूत पुलिस पेश नहीं कर पाई है। उन्होंने बताया कि मामले के विवेचक अनुज कुमार ने अपनी केस डायरी में इमरान काजी का रोल फरहान उस्मान की एक फेसबुक पोस्ट को लाइक करना बताया है। हालाँकि बाद में यह पोस्ट भी डिलीट कर ली गई थी।

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुनाया। फैसले में हाईकोर्ट ने कहा कि फेसबुक पर किसी पोस्ट को लाइक करना अपराध का आधार नहीं माना जा सकता है। इसी दौरान हाईकोर्ट ने आपत्तिजनक पोस्ट को शेयर या रीट्वीट करना अपराध की श्रेणी में बताया।

आरोपित इमरान काजी को बड़ी राहत देते हुए इस केस से उनका नाम हटाने के आदेश भी दिए गए। हालाँकि यह राहत इसी मामले में 5 अन्य नामजद और 10 अन्य अज्ञात आरोपितों के लिए नहीं होगी। हाईकोर्ट ने सेशन कोर्ट को निर्देश दिया है कि इस मामले में जिन अन्य आरोपितों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं, वो केस चलाया जाए।

क्या था पूरा मामला

यह मामला है 1 जुलाई 2019 का। तब आगरा की जामा मस्जिद पर लगभग 600 की संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने बिना अनुमति भीड़ जुटा कर हिंसा की थी। पुलिस सब इंस्पेक्टर राकेश सिंह ने इस घटना की FIR दर्ज करवाई थी। तब उन्होंने भारतीय मुस्लिम विकास परिषद आगरा के अध्यक्ष समी अगाई, मुस्लिम महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष फरहान उस्मान, चंचल उस्मानी, इमरान उस्मान, इमरान काजी और इमरान खान पर केस दर्ज करवाया था। उन सभी पर सोशल मीडिया के माध्यम से भीड़ को भड़काने का आरोप था।

पुलिस ने यह केस IPC की धारा 147, 148 और 149 के साथ IT एक्ट की धारा 67 के तहत दर्ज किया था। ऑपइंडिया के पास FIR कॉपी मौजूद है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया