झारखंड में सोने के साथ-साथ मिला लिथियम का भी विशाल भंडार: इलेक्ट्रिक से लेकर अंतरिक्ष सेक्टर तक में आएगी क्रांति, देश के आएगा काम

झारखंड में सोने औऱ लिथियम के भंडार (प्रतीकात्मक तस्वीर)

झारखंड के कोडरमा जिले में हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण में स्वर्ण भंडार के साथ ही लिथियम के भंडार की भी खोज की गई है। इस खोज से भारत को कार्बनिक ऊर्जा को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण हथियार मिल गया है। लिथियम एक महत्वपूर्ण धातु है जिसका उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों, लैपटॉप और मोबाइल फोन जैसी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की बैटरी में किया जाता है। लिथियम का उपयोग अंतरिक्ष उद्योग में भी किया जाता है, जैसे कि रॉकेट ईंधन के रूप में।

जानकारी के मुताबिक, कोडरमा के माइका बेल्ट में लिथियम की खोज के लिए आगे के चरण की तैयारी की जा रही है। अभी शुरुआती खोज में लिथियम का पता चला है, लेकिन ये कितना बड़ा भंडार है, इसका पता नहीं लगाया जा सकता है। पर ये माना जा रहा है कि ये लिथियम भंडार काफी बड़ा है। चूँकि भारत में अभी लिथियम निकालने की तकनीकी का विकास नहीं हो पाया है, ऐसे में माना जा रहा है कि इसकी निकासी के लिए विदेशी कंपनियों की मदद भी ली जा सकती है।

जीएसआई के महानिदेशक जनार्दन प्रसाद के मुताबिक, साल 2050 तक देश में बैट्री पर निर्भरता बढ़ने वाली है। इसके लिए लिथियम सबसे जरूरी तत्व है। इसलिए लिथियम की खोज पर फोकस किया जा रहा है। कोडरमा में मिला यह भंडार भारत को दुनिया के सबसे बड़े लिथियम उत्पादक देशों में से एक बना सकता है।

राँची के तमाड़ में 2 स्वर्ण भंडार

इस बीच, झारखंड में सोने के दो नए भंडार का पता चला है। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) ने राज्य सरकार से राँची के तमाड़ ब्लॉक स्थित इन दोनों गोल्ड रिजर्व की नीलीमी की प्रक्रिया शुरू करने से संबंधित रिपोर्ट सौंप दी है। ये स्वर्ण भंडार राँची जिले के तमाड़ ब्लॉक के बबाईकुंडी और सिंदौरी-घनश्यामपुर में मिले हैं। बबाईकुंडी में अनुमानित 510 किलो और और सिंदौरी में अनुमानित 767 किलो सोना मिलने की उम्मीद है।

राँची में पहले भी मिले हैं स्वर्ण भंडार

भारत में सोने का सबसे बड़ा भंडार राँची में ही है। राँची के तमाड़ स्थित परासी में देश का सबसे बड़ा स्वर्ण भंडार मिला है, जिसकी खदान विकसित की जा रही है। यहाँ अनुमानत: 70 हेक्टेयर के क्षेत्र में 9894 किलो सोना मिलने की उम्मीद है। इस स्वर्ण भंडार के खनन के लिए रूंगटा माइंस ने नीलामी में सफलतापूर्वक बोली लगाई थी, लेकिन साल 2017 में खदान हासिल के बावजूद अभी तक यहाँ स्वर्ण उत्खनन शुरू नहीं हो सकता है।

वहीं, अब कोडरमा में लिथियम का भंडार मिलने से विशेषज्ञों को नई उम्मीद भी जगी है।

क्या है लिथियम?

लिथियम एक रासायनिक तत्व है जिसका प्रतीक Li और परमाणु संख्या 3 है। यह आवर्त सारणी का तीसरा तत्व है और यह सबसे हल्की धातु और सबसे कम घनत्व-वाला ठोस पदार्थ है। रासायनिक दृष्टि से यह क्षार धातु समूह का सदस्य है और अन्य क्षार धातुओं की तरह अत्यंत अभिक्रियाशील है, यानि अन्य पदार्थों के साथ तेज़ी से रासायनिक अभिक्रिया कर लेता है।

लिथियम के भौतिक गुण

यह एक चांदी जैसी सफेद धातु है।

यह बहुत नरम है और इसे चाकू से आसानी से काटा जा सकता है।

यह पानी के साथ तेजी से अभिक्रिया करता है और हाइड्रोजन गैस और लिथियम हाइड्रॉक्साइड का निर्माण करता है।

यह हवा में जल जाता है और लिथियम ऑक्साइड का निर्माण करता है।

लिथियम के रासायनिक गुण

यह एक बहुत ही प्रतिक्रियाशील तत्व है।

यह पानी के साथ तेजी से अभिक्रिया करता है और हाइड्रोजन गैस और लिथियम हाइड्रॉक्साइड का निर्माण करता है।

यह हवा में जल जाता है और लिथियम ऑक्साइड का निर्माण करता है।

यह अन्य धातुओं के साथ आसानी से मिश्र धातु बनाता है।

लिथियम के उपयोग

यह इलेक्ट्रिक बैटरी में उपयोग किया जाता है, विशेष रूप से इलेक्ट्रिक वाहनों और लैपटॉप में।

यह धातुओं के मिश्र धातुओं में उपयोग किया जाता है, जैसे कि अलुमिनियम-लिथियम मिश्र धातु, जो हल्के और मजबूत होते हैं।

यह औषधीय उत्पादों में उपयोग किया जाता है, जैसे कि एंटीडिप्रेंट और मनोविकाररोधी।

यह अंतरिक्ष उद्योग में उपयोग किया जाता है, जैसे कि रॉकेट ईंधन के रूप में।

इसके अलावा इसके और भी कई महत्वपूर्ण उपयोग हैं। यह इलेक्ट्रिक वाहनों और लैपटॉप जैसी नई तकनीकों के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया