‘बलिदान स्वीकार, धर्म का अपमान बर्दाश्त नहीं’: लोकेश मुनि ने बताया जमीयत के मंच से मदनी को क्यों ललकारा, मुस्लिम भीड़ के सामने जैन मुनि ने दी थी चुनौती

लोकेश मुनि ने बताया जमीयत के मंच से क्यों ललकारा (फोटो साभार : ANI)

लोकेश मुनि ने कहा है वे बलिदान स्वीकार कर सकते हैं। लेकिन अपने सामने अपनी धर्म और संस्कृति का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकते। जैन मुनि ने बताया है कि यही कारण है कि उन्होंने मौलाना अरशद महमूद मदनी के बयान का विरोध किया था। उन्हें शास्त्रार्थ की चुनौती दी थी।

जैन मुनि ने इस घटना का एक वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा है, “मुझे अपनी शहादत मंजूर थी। मैं अपनी आँखों के सामने अपने धर्म, संस्कृति का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकता। इसलिए विरोध किया, शास्त्रार्थ की चुनौती दी।”

जैन मुनि ने रविवार (12 फरवरी 2023) को मदनी को जमीयत के मंच से ही चुनौती दी थी। जब वे मदनी का विरोध कर रहे थे, तब सामने मुस्लिम भीड़ मौजूद थी और मंच पर विभिन्न धर्मों के गुरु मौजूद थे। दिल्ली के रामलीला मैदान में जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के अधिवेशन का रविवार को आखिरी दिन था। लोकेश मुनि के विरोध के बाद जैन और हिंदू धर्मगुरुओं ने जमीयत का मंच छोड़ दिया था।

इस्लामी संगठन जमीयत के प्रमुख मौलाना अरशद महमूद मदनी ने मनु, आदम तथा ॐ और अल्लाह को एक बताया था। इसको लेकर जैनाचार्य लोकेश मुनि ने मौलाना को लताड़ लगाते हुए मंच छोड़ दिया था।

मौलाना मदनी को लोकेश मुनि ने लगाई थी लताड़

मौलाना मदनी के बेतुके बयानों पर फटकार लगाते हुए जैन आचार्य लोकेश मुनि ने कहा था, “मदनी ने जो कहा है उससे कोई भी सहमत नहीं है। मैं आपसे निवेदन करता हूँ यदि हमें जोड़ने की बात आपको करनी है तो प्यार-मोहब्बत की बात कीजिए। आपने जितनी कहानी सुनाई है ओम, अल्लाह, मनु, ये वो उससे कहीं अधिक 4 गुना कहानी मैं सुना सकता हूँ। मदनी साहब को मैं शास्त्रार्थ के लिए बुला रहा हूँ। आप दिल्ली आइए या मुझे सहारनुपर बुलाइए।”

उन्होंने मदनी की बातों का खण्डन करते हुए कहा है, “आपने जो बात कही मैं उससे सहमत नहीं हूँ। चारों धर्म के संत या कोई भी अन्य इससे सहमत नहीं हैं। हम केवल आपस मे मिल-जुलकर रहने को लेकर सहमत हैं। ये जो कहानी है ओम, मनु, अल्लाह, उसकी औलाद ये अब फालतू की बातें हैं। आपने सारा पलीता लगा दिया एकता के सद्भावना के सम्मेलन में।”

मनु, आदम तथा ओम और अल्लाह को बताया था एक

दरअसल, मौलाना अरशद मदनी ने जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के कार्यक्रम में कहा था, “मैंने धर्म गुरुओं से पूछा कि जब कोई नहीं था न श्रीराम थे, न ब्रह्मा थे और न शिव थे, जब कोई नहीं था तो मनु पूजते किसको थे। कोई कहता है कि शिव को पूजते थे। बहुत कम लोग ये बताते हैं कि मनु ओम को पूजते थे। ओम कौन है? बहुत से लोगों ने कहा कि उनका कोई रूप-रंग नहीं है। वो दुनिया में हर जगह हैं। अरे बाबा इन्हीं को तो हम अल्लाह कहते हैं। इन्हें ही आप ईश्वर कहते हैं।”

मौलाना ने आगे कहा है, “इन्हें ही तो हम अल्लाह, आप ईश्वर, फारसी बोलने वाले खुदा और अंग्रेजी बोलने वाले गॉड कहते हैं। इसका मतलब यह है कि मनु ही आदम थे। वह ओम यानी अल्लाह को पूजते थे। हजरत आदम जो नबी थे, सबसे पहले उन्हें भारत की धरती के भीतर उतारा। अगर चाहता तो आदम को अफ्रीका, अरब, रूस में उतार देता। वो भी जानते हैं, हम भी जानते हैं कि आदम को दुनिया में उतारने के लिए भारत की धरती को चुना गया।”

यही नहीं मौलाना ने संघ प्रमुख मोहन भागवत की घर वापसी वाले बयान मदनी ने कहा है कि इस्लाम भारत के लिए कोई नया मज़हब नहीं है। बल्कि अल्लाह ने पैगंबर आदम यानी मनु को यहीं उतारा, उनकी पत्नी हव्वा को उतारा, जिन्हें वे (हिंदू) हमवती कहते हैं और वे सारे नबियों, मुसलमानों, हिंदुओं, ईसाइयों के पूर्वज हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया