‘परमबीर सिंह ने मुझे आत्महत्या के झूठे केस में फँसाया’: एसीपी ने खोले पूर्व पुलिस कमिश्नर के भ्रष्टाचार सहित कई ‘गुप्त राज’

एसीपी एस निपुंगे (बाएँ), मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह (दाएँ)

मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह पर भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग के आरोप लगे हैं। इससे आने वाले दिनों में उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। रिपब्लिक टीवी को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में एसीपी एस निपुंगे ने परम बीर सिंह पर भ्रष्टाचार करने और आत्महत्या के मामले में उन्हें फँसाने का आरोप लगाया है। निपुंगे फिलहाल नासिक के ग्रामीण क्षेत्र में एसीपी के पद पर तैनात हैं।

परमबीर सिंह का भिवंडी में रैकेट

निपुंगे मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह पर यह आरोप उस दौरान लगाया था, जब ठाणे जिले के भिवंडी में ट्रैफिक विभाग के एसीपी थे। इस दौरान उन्होंने परमबीर सिंह के काले धंधों को उजागर कर दिया था। इसके बाद न केवल उनका ट्रांसफर कर दिया गया था, बल्कि उन्हें आत्महत्या के लिए उकसाने के झूठे मामले में भी फँसाया गया था।

रिपब्लिक टीवी को दिए इंटरव्यू में एसीपी निपुंगे ने बताया, “भिवंडी में कई गोदाम हैं, जिस कारण उस क्षेत्र से मल्टी-एक्सल गाड़ियाँ गुजरती हैं। इन वाहनों के दिन में इस इलाके में प्रवेश पर प्रतिबंध था। हालाँकि, जब मैं वहाँ तैनात था तो मैंने इलाके में लगने वाले ट्रैफिक जाम को देखा और इसकी पड़ताल शुरू की। कई ड्राइवरों के बयान लेने के बाद पता चला कि उन्हें फेक रसीद देने के बदले कुछ पैसे देने को कहा जाता था। जब मैं इसकी पड़ताल कर ही रहा था तो मुझे डीसीपी का फोन आया कि इन बयानों को लेना बंद करो इससे सीपी (परम बीर सिंह) नाराज हो सकते हैं। इस घटना के तीन दिन बाद ही मेरा ट्रांसफर कर दिया गया।”

आत्महत्या का झूठा केस

पुलिस अधिकारी ने बताया कि परमबीर सिंह उससे बौखलाए हुए थे और 2017 में उन्होंने महिला कॉन्स्टेबल सुभद्र पवार की आत्महत्या के मामले में फँसा दिया।

निपुंगे ने बताया, “उस महिला कॉन्स्टेबल का एक कॉन्स्टेबल के साथ संबंध था, लेकिन वो उसे शादी का झाँसा देकर उसके साथ रिलेशन में था। इस पर वह कॉन्स्टेबल मेरी बहन के तौर पर मेरे पास आई तो मैंने उसे शिकायत करने को कहा। इसके कुछ दिनों बाद वह मृत पाई गई। हैरानी की बात है कि मुझे इस मामले में सिर्फ इसलिए आरोपी बनाया गया था, क्योंकि मैंने उससे बातचीत की थी।”

उन्होंने आगे खुलासा किया कि कॉन्स्टेबल के शव का पोस्टमार्टम करने से पहले उसके आत्महत्या की खबर प्लांट की गई। कथित आत्महत्या की तस्वीर पाने वाले निपुंगे ने दावा किया है कि वास्तव में वो आत्महत्या नहीं, बल्कि हत्या थी। यह हत्या का मामला था न कि आत्महत्या का। उन्होंने परमबीर सिंह पर साठगाँठ करने और हत्या की वारदातों को आत्महत्या के तौर पर पेश करने का आरोप लगाया है।

पुलिस अधिकारी ने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए कहा, “महिला कॉन्स्टेबल की आत्महत्या का पोस्टमार्टम करने वाले डॉ गाडगे ने उसे फाँसी लगाकर की गई आत्महत्या करार दिया था। डॉ गाडगे ने ही मनसुख हिरेन की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी बनाई थी और उनके डूबने से मौत की घोषणा की थी।”

उन्होंने ये भी कहा कि जब भी कोई आत्महत्या का विवादित मामला सामने आता है तो उसमें परमबीर सिंह के शामिल होने का खुलासा होता है। चाहे वह सुशांत सिंह राजपूत, दिशा सालियान, मनसुख हिरेन या फिर इस कॉन्स्टेबल का हो।

नासिक में तैनात एसीपी निपुंगे ने बताया है कि आत्महत्या के झूठे मामले में जमानत नहीं मिल पाने और निलंबन के बाद उन्होंने परमबीर सिंह के ‘दाहिने हाथ’ माने जाने वाले अधिकारी काले का स्टिंग किया। इसमें वह कैमरे पर यह कहते हुए पकड़े गए थे कि जो भी परमबीर सिंह के रास्ते में आता है वह मुश्किल में पड़ जाता है। ये स्पष्ट हो गया है कि परमबीर से पंगा नहीं लेना चाहिए।

निपुंगे ने बताया है कि उन्होंने काले की स्टिंग के दौरान का वो वीडियो जमा किया है, जिसमें उन्होंने (काले) परमबीर सिंह के भ्रष्टाचार और अवैध गतिविधियों में शामिल होने और उनकी साँठगाँठ के बारे में कबूल किया है।

निलंबन का परिवार पर पड़ा गहरा असर

परमबीर सिंह के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने में देरी करने के सवाल पर निपुंगे ने कहा कि उनकी गिरफ्तारी और निलंबन का उनके परिवार पर गहरा असर पड़ा था। उनकी माँ का देहांत हो गया जबकि उनकी बड़ी बेटी डिप्रेशन में चली गई। पुलिस अधिकारी ने कहा कि जब वो जेल से बाहर आए तो उस दौरान परमबीर सिंह ठाणे में ही थे। कोई भी अधिकारी उनके खिलाफ नहीं जा सकता था।

एसीपी निपुंगे ने परमबीर सिंह पर घूस लेकर अधिकारियों को मनचाही पोस्टिंग देने का आरोप भी लगाया है। उन्होंने कहा, “परमबीर सिंह अपनी ड्यूटी से कहीं ज्यादा अवैध गतिविधियों में शामिल रहे हैं।”

एसीपी निपुंगे ने अपनी शिकायत मुख्यमंत्री, गृह मंत्री, नासिक थाने और पुलिस महानिदेशक को भेजी है, लेकिन मामले में अब तक एफआईआर दर्ज नहीं हो सकी है।

गौरतलब है कि इस साल फरवरी, 2021 में मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के सामने कार में बम मिलने के बाद परमबीर सिंह का ट्रांसफर कर दिया गया था। इस मामले के बढ़ने के बाद परमबीर सिंह ने एक पत्र लिखकर महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख पर पुलिस अधिकारियों के जरिए मुंबई के व्यापारियों से हर महीने 100 करोड़ रुपए की वसूली करने के आरोप लगाए थे।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया