उत्तराखंड: बलिदानी जवान की पत्नी सेना में बनीं ऑफ़िसर

संगीता मल्ल की कहानी समाज के लिए बड़ी प्रेरणा है

प्रचलित कहावतें हैं कि पहाड़ की नारी का हृदय भी पहाड़ की तरह मजबूत होता है। 2 सितंबर 2015 का दिन था जब देहरादून के राइफलमैन शिशिर मल्ल बारामुला के राफियाबाद में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान बलिदान होने की खबर से सारा उत्तराखंड शोक में डूब गया था। 9 घंटे चली उस भीषण मुठभेड़ में वीर जवानों ने आतंकी संगठन लश्कर-ए-इस्लाम के आतंकी को मार गिराया था। लेकिन इसके साथ ही दुख इस बात का था कि इस मुठभेड़ में राइफलमैन शिशिर मल्ल को अपनी जान गँवानी पड़ी थी।

परिवार पर पहले से ही दुखों का पहाड़ टूटा हुआ था क्योंकि शिशिर की मृत्यु से 3 महीने पहले ही उनके पिता का निधन हो गया था। लेकिन इस सब घटना के बीच उस परिवार में एक ऐसी महिला थी, जिसने निराश होकर परिस्थितियों के सामने विवश होना नहीं, बल्कि समाज के लिए उदाहरण बनना स्वीकार किया। ये महिला थी बलिदानी राइफलमैन शिशिर मल्ल की पत्नी संगीता मल्ल।

हाल ही में चेन्नई के ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (OTA) में अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के साथ ही संगीता मल्ल भारतीय सेना में शामिल हो गई हैं। संगीता की कहानी बेहद मोटिवेशनल और भावुक कर देने वाली है। वर्ष 2013 में शिशिर से शादी करने से पहले संगीता एक स्कूल टीचर थीं। शिशिर गोरखा राइफल्स का हिस्सा थे और जम्मू-कश्मीर के बारामूला सेक्टर में तैनात थे।

सितंबर 2015 में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शिशर की मृत्यु के बाद संगीता ने अपनी सास की सेवा के लिए टीचिंग की जॉब छोड़ दी। संगीता को न सिर्फ अपने पिता और पति की मौत से उबरना था, बल्कि इसी दौरान उनका गर्भपात भी हो गया था। यह उनके लिए हर तरह से विपत्तियों से घिरने जैसा था। एक ही समय में अपने पति और बच्चे को खोने के बाद भी संगीता ने मजबूत आत्मविश्वास दिखाया और धैर्य से काम लिया।

वर्ष 2016 में उत्तराखंड के रानीखेत में इंवेस्टीचर सेरेमनी में शामिल होने के बाद संगीता सेना जॉइन करना चाहती थीं, यहाँ शिशिर को मृत्युपरांत सेना मेडल मिला था। सेना का हिस्सा बनने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की और OTA परीक्षा पास कर ली। अकादमी में कठिन ट्रेनिंग के बाद वह अब शॉर्ट सर्विस कमीशन में लेफ्टिनेंट के रूप में सेना में कार्यरत हो गई हैं। शिशिर का परिवार देहरादून स्थित चंद्रबनी में रहता है।

यह बात चौंकाने वाली है कि बलिदानी शिशिर मल्ल के पिता भी सेना में ही थे। सूबेदार मेजर सुरेश बहादुर मल्ल 3/9 गोरखा राइफल से रिटायर थे। शिशिर का छोटा भाई सुशांत मल्ल भी 1/11 गोरखा राइफल में तैनात है। पिता और बेटों के बाद अब इस परिवार की बहू ने भी सेना की राह चुनी है। संघर्ष और कठिनाइयों के बावजूद आज लेफ्टिनेंट संगीता के कंधे पर सितारे सजे हैं और चेहरे पर विजयी मुस्कान है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया