मथुरा कोर्ट ने स्वीकार की श्रीकृष्ण जन्मभूमि से सटी ईदगाह मस्जिद को हटाने की याचिका: अगली सुनवाई 18 नवंबर को

श्रीकृष्ण जन्मभूमि से ईदगाह को हटाने की याचिका स्वीकार

अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि को कानूनी प्रक्रिया के साथ पाने के बाद अब मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मामला बेहद गरम है। ऐसे में आज (अक्टूबर 16, 2020) मथुरा के जिला कोर्ट में जज ने श्रीकृष्ण विराजमान की याचिका स्वीकार कर ली है।

इस मामले में अब अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी। कोर्ट ने दूसरे पक्ष को भी उनका मत रखने के लिए नोटिस जारी किया है। बता दें कि इस याचिका में श्रीकृष्ण जन्मस्थान के समीप बने ईदगाह को हटाने की माँग कुछ लोगों के समूह द्वारा की गई है।

इस संबंध में जिला जज मथुरा साधनी रानी ठाकुर की कोर्ट में 12 अक्टूबर को दायर की गई थी। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि के 13 एकड़ के कटरा केशव देव मंदिर के परिसर पर 17वीं शताब्दी में शाही ईदगाह बनाया गया था।

उनका कहना है कि इस समय जहाँ मस्जिद है कभी वहाँ कंस का कारागार था और वहीं पर कृष्ण का मंदिर था। मुगलों ने इसे तुड़वा कर वहाँ शाही ईदगाह मस्जिद बनवा दी।

गौरतलब है कि इससे [पहले मामले को लेकर मथुरा की सिविल जज कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी, लेकिन वहाँ से याचिका खारिज कर दी गई थी, जिसके बाद हिंदू पक्ष ने जिला जज की कोर्ट में अपील दाखिल की

याचिका के जरिए 13.37 एकड़ जमीन पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मालिकाना हक माँगा है, जिसमें ईदगाह भी शामिल है। इसमें जमीन के मालिकाना हक को लेकर 1968 में हुए समझौते को गलत बताया गया हैं।

बता दें कि याचिका स्वीकृति के बाद श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान, ईदगाह ट्रस्ट, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, शाही मस्जिद ईदगाह को नोटिस भेजा जाएगा।

गौरतलब है कि पुजारियों के एक निकाय ने शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने वाली याचिका दायर करने कि निंदा भी की है। अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के अध्यक्ष महेश पाठक ने कहा कि कुछ बाहरी लोग मथुरा में मंदिर-मस्जिद के मुद्दे को उठाकर शांति भंग करने की कोशिश कर रहे है। उनका तो यह भी कहना है कि 20 वीं शताब्दी में दोनों पक्षों के बीच समझौता होने के बाद श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर मथुरा में कोई मंदिर-मस्जिद विवाद नहीं है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया