देश में ‘समान नागरिक संहिता (UCC)’ के लागू होने की सुगबुगाहट के साथ ही ‘ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड’ की भौंहें तन गई हैं। विधि आयोग ने UCC को लेकर जनता के सुझाव माँगे हैं। इस पर AIMPLB ने कहा है कि भारत में इसकी ज़रूरत नहीं है और ये देश के संसाधनों की बर्बादी है। बोर्ड ने अनावश्यक, अव्यवहारिक और खतरनाक करार दिया। प्रवक्ता SQR इलियास ने कहा कि देश की विविधता ही इसकी पहचान है, ऐसे में इससे छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए।
इस दौरान बोर्ड ने जनजातीय समाज के अधिकारों को ढाल बनाते हुए कहा कि इससे उन्हें मिले विशेष अधिकार भी खत्म हो जाएँगे। उन्होंने तर्क दिया कि बोर्ड के कानून कुरान से लिए गए हैं, जिसे काटने की इजाजत किसी मुस्लिम को भी नहीं है तो फिर सरकार कैसे किसी कानून के जरिए इसमें हस्तक्षेप कर सकती है। उन्होंने दावा किया कि देश में अन्य संप्रदायों की भी यही चिंताएँ हैं। साथ ही देश में दंगे भड़कने की धमकी देते हुए इलियास ने कहा कि सरकार को इससे बचना चाहिए।
उधर UCC और अवैध मजारों के ध्वस्तीकरण पर ‘इत्तेहाद-ए- मिल्लत काउंसिल’ के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रज़ा भी भड़क गए हैं। बरेली के मुस्लिम नेता ने कहा कि पहले भाजपा अपने मंदिरों को तोड़े, फिर मजारों की बात करे। उन्होंने एक्शन के रिएक्शन की बात करते हुए कहा कि हमारे सब्र का इम्तिहान न लिया जाए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में जो हो रहा है उसे पूरे देश में दोहराने की साजिश चल रही है। मौलाना ने कहा कि अगर मजारों पर बुलडोजर चलता रहा तो उत्तराखंड पहुँच कर मुस्लिम हुकूमत का घेराव करेंगे।
मौलाना तौकीर रज़ा ने ‘लव जिहाद’ को भी ‘भगवा ट्रैप’ करार देते हुए कहा कि हमने पाबंदी लगाई है कि अगर कोई लड़का हिन्दू लड़की लेकर आता है तो उसका और उसके परिवार का बहिष्कार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमने अपने नौजवानों को नियंत्रण में समझा-बुझा कर रखा है। मौलाना तौकीर रज़ा ने कहा, “हमने भी चूड़ियाँ नहीं पहन रखी हैं।” उन्होंने पूजा स्थल कानून की बात करते हुए दावा किया कि 1921 से पहले बने सभी ऐसे स्थल वैध हैं।