कोर्ट ने जुबैर को 4 दिन की पुलिस कस्टडी में भेजा, काम नहीं आई वामपंथी वकील की दलील, कहा था – मजहब के कारण बना रहे निशाना

पटियाला हाउस कोर्ट में ले जाया जाता हुआ मोहम्मद जुबैर (टोपी में, फोटो साभार: ANI)

हिन्दू देवी-देवताओं का अपमान करने वाले मोहम्मद जुबैर को दिल्ली पुलिस ने पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया है। DCP केपीएस मल्होत्रा ने उन आरोपों को नकार दिया है कि मोहम्मद जुबैर की गिरफ़्तारी राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने बताया कि उसके आपत्तिजनक ट्वीट के कारण ट्विटर पर घृणास्पद बयानों, की झड़ी लग गई, जो सांप्रदायिक सौहार्द के लिए ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि पुलिस की जाँच में 2 चीजें महत्वपूर्ण थीं – गैजेट्स और मंशा। पुलिस ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में मोहम्मद जुबैर के बैंक खाते से 50 लाख रुपए से भी अधिक का लेनदेन हुआ है।

दिल्ली पुलिस के अधिकारी ने बताया कि मोहम्मद जुबैर इन दोनों ही मामलों में कपटी निकला। उसने अपने मोबाइल फोन को फॉर्मेट कर लिया था। गिरफ़्तारी का आधार यही बना। पुलिस अधिकारी ने कहा, “अगर आप सोशल मीडिया पर किसी विचार को आगे बढ़ाते हैं, ये आपके विचार हो जाते हैं। रीट्वीट करना और ये कहना कि मुझे कुछ नहीं पता – दोनों एक साथ नहीं चल सकता। जिम्मेदारी आपकी है। समय मायने नहीं रखता, क्योंकि एक रीट्वीट और चीजें नई हो जाती हैं।”

डीसीपी KPS मल्होत्रा ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति कई मामलों में नामजद है तो हमारी जिम्मेदारी बनती है कि उससे उन सभी मामलों में पूछताछ करें। उन्होंने कहा कि इस मामले में न्यायपालिका शामिल है, उसकी कस्टडी दी गई और जमानत नामंजूर कर दी गई, इसीलिए इस केस में कुछ दम तो होगा। उन्होंने कहा कि इसे राजनीतिक रूप से प्रेरित बता देना सही नहीं है। उन्होंने बताया था कि पुलिस इस मामले में मोहम्मद जुबैर के और रिमांड की माँग करेगी।

नए वीडियो में मोहमद जुबैर को पटियाला हाउस कोर्ट ले जाए जाते हुए देखा जा सकता है। इस दौरान उसने अपनी रंग-बिरंगी टोपी और मास्क से अपने चेहरा को ढके रखा। इससे पहले उसे रात को गिरफ्तार किए जाने के बाद मात्र एक दिन के ही रिमांड पर भेजा गया था। मोहम्मद जुबैर की तरफ से ताज़ा सुनवाई में अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर पेश हुईं। उन्होंने बताया कि जुबैर AltNews में काम करता है और उसका काम फैक्ट-चेक का है, क्योंकि आजकल खासा दुष्प्रचार और झूठी खबरें सोशल मीडिया में हैं।

उन्होंने दावा किया कि इस ट्वीट में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है। साथ ही हड़बड़ी में साइन करा कर गिरफ्तार किए जाने का आरोप भी लगाया। उन्होंने बताया कि जिस तस्वीर को लेकर विवाद है, वो ‘किसी से ना कहना (1983)’ फिल्म का है। साथ ही दावा किया कि किसी तरह की भी एडिटिंग नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि ये आज़ाद देश है और लोग जो चाहे बोल सकते हैं। उन्होंने इस केस को मूर्खता करार दिया। उन्होंने इसे दुर्भावनापूर्ण टार्गेटिंग करार दिया।

उन्होंने कहा कि ये एक फिल्म का दृश्य है, जिसमें हनीमून पर जाने वालों का मजाक बनाया गया है। उन्होंने इसे कानून का उल्लंघन और प्रताड़ना करार दिया। साथ ही पुलिस पर रिमांड कॉपी तक न दिए जाने का आरोप मढ़ा। वृंदा ग्रोवर ने दावा किया कि जब कई अन्य लोग इसी चीज को शेयर कर रहे हैं तो सिर्फ जुबैर की गिरफ़्तारी क्यों हुई, क्या मजहब और काम के कारण? वृंदा ग्रोवर ने दावा किया कि जुबैर ने शक्तिशाली लोगों को चनौती दी है और शिकायत दर्ज कराने वाला ट्विटर हैंडल ‘हनुमान भक्त’ किसी समुदाय या समाज का प्रवक्ता नहीं है।

उन्होंने अदालत में लोकतंत्र की भी दुहाई दी। साथ ही ‘सत्ता के सामने सच्चाई’ बोलने पर निशाना बनाए जाने का आरोप लगाया। इसके बाद अदालत में फिल्म का सीन भी चलाया गया। वहीं दिल्ली पुलिस ने बताया कि मोहम्मद जुबैर ने महाभारत से जुड़े ट्वीट्स कर मजाक बनाया था और फोन ब्लेंक लेकर पूछताछ के समय आया था। कोर्ट ने उसे 4 दिन की पुलिस कस्टडी में भेज दिया।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया