दलित की दाढ़ी से तौलिए गंदे होंगे, फिर दूसरे मजहब वाले कैसे बाल बनवाएँगे: रियाज़, इशाक़, जाहिद के खिलाफ FIR

दलितों के बाल-दाढ़ी न बनाने पर रियाज़ आलम, इशाक़ और जाहिद के ख़िलाफ़ FIR दर्ज (प्रतीकात्मक तस्वीर)

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के पीपलसना गाँव में समुदाय विशेष नाइयों द्वारा दलितों के बाल-दाढ़ी बनाने से इनकार करने की ख़बर शनिवार (13 जुलाई 2019) को सामने आई थी। इस मामले में ताज़ा समाचार यह है कि तीन नाइयों जिनमें रियाज़ आलम, इशाक़ और जाहिद शामिल हैं, उनके ख़िलाफ़ रविवार (14 जुलाई 2019) को FIR दर्ज कर ली गई है। पुलिस ने तीनों आरोपितों के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता (IPC) और एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है।

ख़बर के अनुसार, यह कार्रवाई 45 वर्षीय महेश चंद्र की दर्ज कराई शिक़ायत के आधार पर हुई है क्योंकि वो जातिगत भेदभाव को रोकना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “यह कई वर्षों से चल रहा है, लेकिन अब हमने अपनी आवाज़ उठाने का फैसला किया है।”

दरअसल, समुदाय विशेष के नाइयों ने दलितों के बाल-दाढ़ी बनाने को लेकर यहाँ तक कह दिया था कि दलितों के बाल-दाढ़ी नहीं बनाने का सिलसिला काफ़ी पुराना है और यह आगे भी जारी रहेगा। इसके अलावा इन नाइयों ने न केवल खुद दलितों की बाल-दाढ़ी बनाने से मना किया बल्कि जो उनके बाल-दाढ़ी बनाते हैं उनकी भी दुकान बंद करवा देते हैं। इससे तंग आकर गाँव के दलितों ने भोजपुर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस ने मामले की जॉंच के लिए टीम का गठन किया गया। पुलिस का कहना था कि आरोप सही पाए जाने पर उचित कार्रवाई की जाएगी।

गाँव के दलित समुदाय के बुजुर्गों का कहना है कि यह भेदभाव वे अरसे से झेलते आ रहे हैं। लेकिन, चाहते हैं कि उनकी नई पीढ़ी को इससे आजादी मिले। इसलिए जाति के आधार पर भेदभाव अब खत्म होना चाहिए।

पीड़ितों का आरोप है कि यहाँ लोग पढ़-लिख ज़रूर गए हैं, लेकिन अपनी पुरानी सोच बदलने को तैयार नहीं हैं। 

इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक गाँव के कल्लन ने बताया कि वे लोग दलितों से नफ़रत करते हैं इसलिए अपनी दुकानें बंद कर रखी हैं। वे उन लोगों के बाल नहीं काटते। जिसके कारण उनके घर कोई रिश्तेदारी नहीं करता, कोई लड़की नहीं देता और बेतरतीब बाल-दाढ़ी के कारण उनसे घृणा करते हैं।

आरोपित नाइयों के अनुसार पहले गाँव के दलित बाहर से बाल कटा के आ जाया करते थे, लेकिन अब वे यहाँ बाल कटाने पर अमादा हैं। एक ग्रामीण के मुताबिक नाई समाज का ये मानना है कि अगर वे दलितों के बाल काटेंगे तो उनके यहाँ समुदाय विशेष के लोग बाल नहीं कटवाएँगे और अगर वे दलितों के बाल नहीं काटते तो वे प्रशासन से उनकी शिकायत कर देंगे।

इस मामले में स्थानीय निवासी नौशाद ने इंडिया टुडे को बताया कि दलित पहले कभी भी गाँव में नाई की दुकान पर नहीं जाते थे। वे बाल कटाने और दाढ़ी बनवाने के लिए भोजपुर जाया करते थे।

नौशाद के मुताबिक़ जब पुलिस ने नाइयों को हिरासत में लिया उस समय उन्हें अंदाज़ा भी नहीं था कि गाँव के दलितों ने उनके ख़िलाफ़ शिकायत की है। उनका कहना है कि उन्होंने अपने 45 साल की उम्र में किसी दलित को गाँव की दुकानों पर बाल कटाते नहीं देखा। उनका कहना है, अगर दलित गाँव की इन दुकानों पर आकर बाल कटाएँगे और दाढ़ी बनवाएँगे तो तौलिए गंदे हो जाएँगे , फिर बाद में उनके मजहब वाले कैसे अपने बाल बनवाएँगे ?

अली अहमद का कहना है कि इस गाँव में 95 प्रतिशतदूसरे समुदाय के हैं। आज दलित नाई की दुकान में जाने की माँग कर रहे हैं, कल को शादी-घर बुक करने की माँग करेंगे। ये लोग यहाँ अराजकता पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। यहाँ दशकों से शांति बनी हुई थी। इस मामले को गलत मक़सद से हवा दी जा रही है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया