ज्ञानवापी के लिए पैसे देता था मुख्तार अंसारी! रिपोर्ट में दावा -माफिया की मौत के बाद मुकदमों पर पड़ेगा असर, महंगे वकीलों की फीस कैसे दी जाएगी?

मुख्तार अंसारी देता था ज्ञानवापी के लिए पैसे (फोटो साभार : जागरण)

ज्ञानवापी से जुड़े मामलों की सुनवाई एक ही दिन में जिला कोर्ट से लेकर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक में होती रहती थी। अब लगता है, वो रुक जाएगी। भास्कर ने अपनी रिपोर्ट में बीजेपी नेता के हवाले से दावा किया है कि मुख्तार अंसारी ज्ञानवापी को चंदे देता था और उन पैसों से मुकदमे बाजी की जाती थी। बीजेपी नेता ने कहा कि साल 2012 से मुख्तार अंसारी की ओर से पैसे दिए जाते हैं। उनका दावा है कि अब ज्ञानवापी के मुकदमे को लड़ने पर फर्क पड़ सकता है, क्योंकि फंड की कमी आ सकती है।

इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि साल 2022 में भी ज्ञानवापी पक्ष के लिए हो रहे फंडिंग की जाँच का मुद्दा उठा था, लेकिन बाद में ये माँग ढीली पड़ गई। माफिया विरोधी मंच के अध्यक्ष और बीजेपी नेता सुधीर सिंह का दावा है कि साल 2012 में पहली बार मुख्तार अंसारी ने ज्ञानवापी के लिए 10 लाख रुपए दिए थे। मुख्तार अंसारी अपने इलाजे के लिए बीएचयू पहुँचे थे। यहाँ उनकी मुलाकात मुफ्ती अब्दुल बातिन से हुई थी। मुफ्ती की तरफ से ही ज्ञानवापी के जर्जर होने की दुहाई दी गई, जिसके बाद मुख्तार ने अपने पीए को बुलाकर 10 लाख रुपए मंगवाए और उन्हें दे दिए। सुधीर सिंह का दावा है कि ये लेनदेन उनकी मौजूदगी में हुई थी, क्योंकि वो भी उस समय समाजवादी पार्टी के नेता थे।

सुधीर सिंह ने कहा, “मुख्तार अंसारी ने आगे भी पैसे देने का वादा किया। वो सेशन कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक केस लड़ने के लिए पैसे भिजवाता था।” हालाँकि अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने इस दावे को खारिज किया है। ज्वॉइंट सेक्रेटरी एसएम यासीन ने कहा कि मुख्तार से कभी पैसे नहीं लिए गए। मुख्तार ने खुद से चंदा दिया हो, ऐसा कोई वाकया उन्हें याद नहीं। वहीं, मुफ्ती अब्दुल बातिन नोमानी ने भी वही बाते दोहराई और कहा कि जो व्यक्ति साल 2005 से जेल में बंद हो, वो हमारी मदद क्या करेगा?

अपने दावे के बारे में बात करते हुए सुधीर सिंह ने बताया, “साल 2012 में मुख्तार अंसारी को यूरिक एसिड की समस्या थी, जिसके इलाज के लिए वो बीएचयू आए थे। वहीं मुफ्ती नोमानी से उनकी मुलाकात हुई। इस मुलाकात के दौरान मुफ्ती नोमानी ने कहा कि ज्ञानवापी की हालत जर्जर होती जा रही है, वो कभी भी गिर सकती है। मरम्मत के लिए रकम की जरूरत है। इस पर मुख्तार ने अपने पीए को कहकर 10 लाख रुपए गाड़ी से मँगवाए और उन्हें दे दिया। इसके बाद मुफ्ती ने रकम को नाकाफी बताया, तो मुख्तार ने और भी मदद करने की बात कही, साथ ही कहा कि हर माह उन्हें रकम पहुँचती रहेगी।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया