‘इस्लाम में महिलाओं का सम्मान नहीं, पूर्वजों ने डर से त्यागा था धर्म’: बरेली के मंदिर में मुस्कान सैफी की घर वापसी, राजेश को चुना अपना जीवनसाथी

बरेली में मुस्कान सैफी ने मंदिर में हिन्दू धर्म अपना कर राजेश कुमार को चुना अपना जीवन साथी

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में एक मुस्लिम लड़की ने घर-वापसी कर के हिन्दू धर्म में शामिल होने का निर्णय लिया है। लड़की का नाम मुस्कान सैफी है जो अब ख़ुशी नाम से जानी जाएँगी। ख़ुशी ने राजेश कुमार नाम के युवक से मंदिर में विवाह भी किया है। इस दौरान उन्होंने वैदिक विधि-विधान से हवन किया और गायत्री मंत्र का जाप किया। यह विवाह रविवार (30 जून 2024) को अगत्स्य मुनि आश्रम में सम्पन्न हुआ है। इस अवसर पर हिन्दू संगठनों के साथ आचार्य पंडित के के शंखधर ने वर और वधू को आशीर्वाद दिया।

मुस्कान सैफी मूलतः दिल्ली के संगम विहार की रहने वाली हैं। उनके पिता पहले हिन्दू थे लेकिन दिल्ली में एक मुस्लिम महिला से निकाह करने के बाद उन्होंने इस्लाम कबूल कर लिया था। इस बीच सोशल मीडिया पर मुस्कान की बातचीत बरेली के इज्जत नगर इलाके के राजेश कुमार से शुरू हो गई। कुछ ही दिनों में दोनों अच्छे दोस्त बन गए। यह दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में बदल गई। 19 वर्षीया मुस्कान और 23 साल के राजेश शादी करना चाहते थे लेकिन उनके परिजन इस रिश्ते के खिलाफ थे। मुस्कान पर तो तमाम पाबंदियाँ भी कायम कर दी गईं।

मुस्कान के प्रेमी राजेश ने अपनी प्रेमिका से शादी के प्रयास जारी रखे। उन्हें अगत्स्य मुनि आश्रम के बारे में जानकारी मिली। रविवार (30 जून) को राजेश बरेली से और मुस्कान सैफी दिल्ली से आश्रम पर अपने कुछ परिचितों के साथ पहुँची। उन्होंने आश्रम के पुजारी पंडित के के शंखधर से अपना विवाह करवाने की गुजारिश की। पंडित शंखधर ने दोनों के कागजात देखे। इन तमाम कागजातों में मुस्कान का वो शपथ पत्र भी है जिसमें वो अपनी घर वापसी व शादी बिना किसी के दबाव में स्वेच्छा से बता रहीं हैं।

आखिरकार मुस्कान का विवाह वैदिक विधि-विधान से राजेश के साथ हो गया। शादी के बाद आचर्य पंडित के के शंखधर व हिन्दू संगठनों के कुछ अन्य सदस्यों ने वर-वधू को आशीर्वाद दिया। मुस्कान सैफी से ख़ुशी बनीं दुल्हन और राजेश कुमार ने एक दूसरे को पति-पत्नी के रूप में पा कर बेहद ख़ुशी जताई। मुस्कान सैफी का कहना है कि उनकी बचपन से हिन्दू धर्म में आस्था थी। मुस्कान ने यह भी लिखित तौर पर दिया है कि उन्हें पता है कि उनके पूर्वज हिन्दू थे जो कई तरह के अत्याचारों की वजह से धर्मांतरित हो गए थे।

मुस्कान सैफी का यह भी कहना है कि इस्लाम में महिलाओं का सम्मान नहीं है और वो तीन तलाक व हलाला जैसी कुप्रथाओं से डरती हैं। शादी के बाद मुस्कान ख़ुशी-ख़ुशी अपनी ससुराल चली गईं हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया