DLF लैंड डील में रॉबर्ट वाड्रा को नहीं मिली है क्लीनचिट, जाँच के लिए बनी है नई SIT: हरियाणा सरकार ने कॉन्ग्रेस के झूठ का किया पर्दाफाश

रॉबर्ट वाड्रा (साभार: इंडिया.कॉम)

हरियाणा में DLF लैंड डील मामले में रॉबर्ट वाड्रा को कथित क्लीन चिट दिए जाने पर राजनीति गरमा गई है। हरियाणा के पूर्व सीएम भूपिंदर हुड्डा सहित कॉन्ग्रेस पार्टी दावा कर रही है कि वाड्रा को क्लीन चिट मिल गई है। वहीं, जगदीश खट्टर की नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने इससे इनकार किया है।

हरियाणा पुलिस ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय को सूचित किया है कि रॉबर्ट वाड्रा की स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी और रियल एस्टेट डेवलपर डीएलएफ के बीच भूमि सौदे में संदिग्ध अनियमितताओं की जाँच के लिए इस साल विशेष जाँच दल (SIT) का पुनर्गठन किया गया है।

हलफनामे में कहा गया है कि आगे की जाँच के लिए 22 मार्च 2023 को एक नई SIT गठित की गई है। इसमें एक डीसीपी, दो एसीपी, एक इंस्पेक्टर और एक एएसआई शामिल हैं। पुलिस ने एक अन्य हलफनामे के माध्यम से कहा कि इस मामले से संबंधित पूरा रिकॉर्ड अभी तक संबंधित विभागों द्वारा प्रदान नहीं किया गया है।

पुलिस ने कहा कि स्थानीय प्राधिकरण ने नियमों के उल्लंघन की सूचना नहीं दी है, फिर भी डीसीपी, मानेसर, गुरुग्राम की देखरेख में मामले की जाँच की जा रही है। पुलिस का कहना है कि कुछ रिकॉर्ड की अभी पूरी तरह से जाँच किया जाना बाकी है।

पुलिस विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि मामले की अभी गहन जाँच की जा रही है। उन्होंने कहा, “एसआईटी की जाँच का फोकस राजस्व नुकसान तक ही सीमित नहीं है। इसका उद्देश्य उन सभी लोगों को बेनकाब करना है जो कुछ व्यक्तियों को वित्तीय लाभ के लिए आपराधिक साजिश में शामिल हैं, और बदले में लेनदेन से जुड़े हैं।”

हाईकोर्ट को दिए अपने हलफनामे में पुलिस ने कहा, “तहसीलदार, मानेसर, गुरुग्राम द्वारा यह बताया गया कि स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने 18 सितंबर, 2019 को डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड को 3.5 एकड़ जमीन बेची और उक्त लेनदेन में किसी भी नियम / नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया है।”

इसमें आगे कहा गया है, “तहसीलदार, वज़ीराबाद, गुरुग्राम से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, यह स्पष्ट रूप से कहा गया था कि विचाराधीन भूमि डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड के नाम पर नहीं मिली है और भूमि अभी भी एचएसवीपी/एचएसआईआईडीसी, हरियाणा के नाम पर मौजूद है।”

हरियाणा पुलिस के मुताबिक, एसआईटी के रिमाइंडर के बावजूद रिकॉर्ड उपलब्ध कराने वाले कुछ अधिकारी जाँच में शामिल नहीं हुए हैं। साथ ही कानून के तहत आवश्यक कार्रवाई के लिए संबंधितों को पत्र भेजे जा रहे हैं।

हलफनामे में मामले के संबंध में पुलिस विभाग को प्राप्त कई अभिलेखों का विवरण भी दिया गया है। पुलिस ने अदालत को बताया कि वजीराबाद गुरुग्राम में स्थित 350 एकड़ भूमि के बारे में विस्तृत जानकारी मांगने के लिए इस साल जनवरी में संपदा अधिकारी को भी सूचित किया गया था, जिसे 2010 में डीएलएफ रिटेल डेवलपर्स को हस्तांतरित किया गया था।

बता दें कि भूमि सौदा मामले में डीएलएफ रियल एस्टेट डेवलपर्स, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और अन्य के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज होने के पाँच साल बाद SIT का पुनर्गठन किया गया है। साल 2012 में 30.5 एकड़ भूमि के इस सौदे में हुड्डा, रॉबर्ट वाड्रा और अन्य पर धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश एवं अन्य अपराधों का आरोप लगाया गया है।

दरअसल, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय राज्य के सांसदों और विधायकों (वर्तमान या पूर्व) के खिलाफ आपराधिक मामलों के लंबित होने के संबंध में स्वत: संज्ञान लेकर मामले की सुनवाई कर रहा है। अदालत जाँच प्रक्रिया में तेजी लाने के साथ-साथ इनकी सुनवाई और निगरानी के संबंध में निर्देश जारी करती रही है। कोर्ट के आदेश के बाद सरकार की ओर से यही स्टेटस रिपोर्ट फाइल की गई है।

दरअसल, संबंधित अधिकारियों द्वारा SIT को पूरा विवरण अभी तक उपलब्ध नहीं कराने की जानकारी कोर्ट में दिए जाने को ही कॉन्ग्रेस और पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा क्लीन चिट बता रहे हैं। इसे हरियाणा सरकार ने जानबूझकर भ्रम फैलाने की कोशिश बताया है। मुख्यमंत्री के ओएसडी जवाहर यादव ने इसको लेकर ट्वीट भी किया।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया