ट्रेन दुर्घटना के बाद ‘कवच’ को बनाया जा रहा निशाना, जबकि ओडिशा वाले रूट में ये था ही नहीं: चरणबद्ध तरीके से इस रक्षा प्रणाली से किया जा रहा लैस

'कवच' की टेस्टिंग (तस्वीर-तेलगु समयम)

ओडिशा के बालासोर में तीन ट्रेनों के बीच हुई टक्कर में 260+ लोगों के मारे जाने के बाद रेलवे पर सवाल उठाए जा रहे हैं। विपक्षी दल से लेकर सोशल मीडिया यूजर्स पूछ रहे हैं कि जब रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जब ‘कवच’ का उद्घाटन किया था तो उन्होंने कहा था कि इस रक्षा प्रणाली से ट्रेनों की टक्कर नहीं होगी, क्योंकि ट्रेन ड्राइवरों को पहले ही अलर्ट मिल जाएगा।

सोशल मीडिया यूजर रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव और रेल मंत्रालय पर तंज कस रहे हैं। राहुल नाम के यूजर ने इसको लेकर ट्वीट किया है। वहीं, राजद ने भी भाजपा सरकार पर तंज कसा है।

कॉन्ग्रेस नेता श्रीनिवास बीवी ने वैष्णव का वो वीडियो शेयर करते हुए तंज कसा है, जिसमें वे कवच प्रणाली को लेकर विस्तार से बता रहे थे। श्रीनिवास ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “जब एक Train Derail होकर दूसरे Railway Track पर आ गयी थी, तब ‘Kavach’ कहाँ था?? 300 के आसपास मौतें, करीब 1000 लोग घायल। इन दर्दनाक मौतों के लिए कोई तो जिम्मेदार होगा?”

बता दें कि भारतीय रेलवे द्वारा विकसित कवच का उद्घाटन पिछले साल मार्च में हुआ था। उस दौरान कहा गया था कि यह भारतीय रेलवे के लिए मील का पत्थर साबित होगा। रेल हादसों को रोकने में भारतीय रेलवे के इस कवच को मास्टर स्ट्रोक और बड़ी क्रांति कहा जा था।

मार्च 2022 में कवच टेक्नोलॉजी के ट्रायल में एक ही पटरी पर दौड़ रही दो ट्रेनों को दौड़ाया गया था। इनमें से एक ट्रेन में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) सवार थे और दूसरी ट्रेन के इंजन में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन मौजूद थे। इन ट्रेनों में कवच लगा होने के कारण एक ही पटरी पर आमने-सामने आने के बावजूद ट्रेन नहीं टकराए थे और यह परीक्षण सफल रहा था।

इस बीच अब तक के भीषणतम ट्रेन दुर्घटनाओं में से एक बालासोर ट्रेन दुर्घटना को लेकर घिरने पर रेलवे ने जवाब दिया है। रेलवे के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने कहा है जिस रूट पर यह दुर्घटना हुई है, उस रूट पर ऐंटी-कॉलिजन कवच सिस्टम नहीं लगाया गया था। रेलवे द्वारा हर रूट पर कवच को लगाने की प्रक्रिया जारी है।

साल 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के 2,164 किलोमीटर के लिए कवच प्रणाली को रेलवे बोर्ड ने स्वीकृत किया है। सिग्नल एवं दूरसंचार विभाग द्वारा पहले चरण में 615 किलोमीटर लंबी नागपुर से झारसुगुड़ा रेल खंड में सर्वे का कार्य आरंभ किया जा चुका है।

क्या है कवच रक्षा प्रणाली

कवच एक एंटी कोलिजन डिवाइस नेटवर्क है जो कि रेडियो कम्युनिकेशन, माइक्रोप्रोसेसर, ग्लोबर पोजिशनिंग सिस्टम तकनीक पर आधारित है। इस तकनीक की मदद से रेलवे ‘जीरो एक्सीडेंट’ के लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल होगा। इसके तहत जब दो आने वाली ट्रेनों पर इसका उपयोग होगा तो ये तकनीक उन्हें एक दूसरे का आकलन करने में और टकराव के जोखिम को कम करने में ऑटोमेटिक ब्रेकिंग एक्शन शुरू कर देगी। इससे ट्रेनें टकराने से बच सकेंगीं।

यदि ड्राइवर कहीं स्पीड कंट्रोल करना या ब्रेक लगाना भूल जाता है तो कवच (Kavach ) प्रणाली ब्रेक इंटरफेस यूनिट द्वारा ट्रेन को कंट्रोल कर लेती है। कवच प्रणाली द्वारा प्रदान की जाने वाली अन्य विशेषताओं में रेलवे फाटकों पर स्वत: सीटी बजाना और जोखिम की स्थिति में अन्य ट्रेनों को नियंत्रित एवं सावधान करने के लिए ऑटो-मेनुअल एसओएस प्रणाली को तुरंत सक्रिय करना शामिल है।

कवच सिस्टम के एक्टिवेट होते ही आसपास के क्षेत्र में सभी ट्रेनों का संचालन तुरंत रुक जाता है। रेलवे मंत्री अश्विन वैष्णव ने इस तकनीक के संबंध में बताया था कि ये SIL4 प्रमाणित है, जिसका अर्थ है कि 10,000 सालों में कोई एक गलती की संभावना है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया