‘हमारी लड़ाई सरकार के खिलाफ नहीं, खापें हमें माफ कर दें’: साक्षी मलिक का वीडियो, बताया- चंद्रशेखर रावण और सत्यपाल मलिक ने दिया सपोर्ट

पहलवान साक्षी मलिक और उनके पति सत्यव्रत कादियान (फोटो साभार: @SakshiMalik का ट्विटर अकाउंट)

कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ आंदोलन करने वालों में शामिल पहलवान साक्षी मलिक और उनके पति सत्यव्रत कादियान का एक वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में पहलवानों ने कहा है कि उनका आंदोलन सरकार के खिलाफ नहीं बल्कि बृजभूषण के खिलाफ है। साथ ही उन्होंने कहा है कि नाबालिग महिला पहलवान के घरवालों को धमकाया जा रहा था। इसलिए उसने अपने बयान बदले हैं।

सत्यव्रत कादियान ने कहा है, “हमने बार-बार यह कहा है कि हमारी लड़ाई सरकार के खिलाफ नहीं है। हमारी लड़ाई रेसलिंग फेडरेशन के प्रेसिडेंट के खिलाफ है, क्योंकि उसने जो भी शोषण किया है वो पद पर रहने के दौरान किया है।” उन्होंने कहा है कि हमारी लड़ाई सरकार से वैसे भी नहीं हो सकती है, क्योंकि बृजभूषण शरण सिंह भी सत्ताधारी दल से है। साथ ही जिन लोगों ने आंदोलन की अनुमति ली, वो भी बीजेपी के ही नेता हैं। पहलवानों ने दावा किया है कि भाजपा नेता तीर्थ राणा और बबीता फोगाट ने आंदोलन की अनुमति ली थी। उन्होंने परमीशन लेटर भी दिखाया है, जिसमें राणा और बबीता का नाम देखा जा सकता है।

सत्यव्रत ने आगे कहा है, “हमारे ऊपर आरोप लगा कि हमारा आंदोलन राजनीति से प्रेरित है। ऐसा कहा गया कि कॉन्ग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा ने हमें इसके लिए उकसाया है। यह सबको पता है कि हम जनवरी में पहली बार जंतर-मंतर पर प्रदर्शन के लिए आए थे। इस प्रदर्शन की परमिशन बीजेपी के दो नेताओं से ली थी। हमारे पास इसका सबूत भी है। ऐसे में यह कैसे हो सकता है कि आंदोलन कॉन्ग्रेस नेताओं ने कराया हो।” 

कादियान ने आगे कहा है कि कुश्ती से जुड़े 90 फीसदी लोगों को पता था कि फेडरेशन के अंदर ये सब चल रहा है। कुछ लोगों ने यह देखा भी था और मीडिया में इसका सबूत भी पेश किया गया। उन्होंने कहा, “कई लोग इसके खिलाफ आवाज उठाना चाहते थे। लेकिन पहलवानों के बीच एकता की कमी थी। अगर किसी ने अकेले ही आवाज उठाने की कोशिश की तो यह बात फेडरेशन के प्रेसिडेंट तक पहुँच जाती थी। इसके बाद उस शख्स के करियर में दिक्कत आनी शुरू हो जाती थी।”

साक्षी मलिक ने कहा, “हमारे ऊपर दूसरा आरोप यह भी था कि हम इतने समय तक चुप क्यों थे। इसके कई कारण हैं। सबसे पहली बात यह कि एकता की कमी थी। दूसरा कारण रही वो नाबालिग लड़की, जिसने कई बार अपने बयान बदले क्योंकि उसके परिवार को डराया, धमकाया गया। ऐसे में कोई अकेले-अकेले आवाज कैसे उठाता।”

उन्होंने कहा कि कुश्ती में आने वाले सभी खिलाड़ी बहुत गरीब परिवार से होते हैं। इन लोगों में हिम्मत नहीं होती कि इतने पावरफुल शख्स के खिलाफ आवाज उठा सकें। आपने यह महसूस किया होगा कि देश के टॉप रेसलर्स ने आवाज उठाई और उन्हें किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा।

कादियान ने यह भी दावा किया है कि जब पहलवान हरिद्वार में मेडल बहाने गए थे। तब वहाँ एक व्यक्ति बजरंग के पास आया और उसे साइड में ले गया। वहाँ उसने बजरंग से कहा कि तुम्हारे मुद्दे पर ऊपर बात चल रही है। मेडल विसर्जित मत करो। उसने 7 बजे तक बजरंग को रोके रखा। इसके बाद वहाँ भीड़ जुट गई और ऐसा माहौल बना कि अगर मेडल बहाने जाते तो वहाँ हिंसा हो जाती। इसलिए पहलवानों ने फैसला बदल लिया।

सत्यव्रत कादियान ने कहा है कि 28 तारीख को महिला पहलवानों के साथ जो व्यवहार हुआ, वो पूरे देश ने देखा है। कैसे उन्हें घसीटा गया और कैसे जबरदस्ती अरेस्ट किया गया। हमने कोई कानून नहीं तोड़ा था और न ही किसी कानून का उल्लंघन किया था। इसके बावजूद पुलिस की ओर से हमारे साथ बर्बर व्यवहार किया गया।

उन्होंने कहा, “हम यह भी साफ कर देना चाहते हैं कि 28 मई की जो महिला सम्मान महापंचायत थी वो हमारी ओर से नहीं बुलाई गई। यह हमारे खाप चौधरियों ने दी थी। हमें तो यह बाद में पता चला कि 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन भी है। हमने अपने बड़े-बुजुर्गों के आदेश का पालन किया।”

इस वीडियो में पहलवानों ने ये भी कहा, “हमें सुनने में आ रहा है कि कई खापें हमसे नाराज हैं। मेरी सभी से हाथ जोड़कर विनती है कि हमसे जो गलती हुई है, उसे माफ कर दो। संयुक्त किसान मोर्चा, भाई चंद्रशेखर रावण, सत्यपाल मलिक, महिला संगठनों, छात्र संगठनों का दिल से धन्यवाद। तीरथ राणा और बबिता फोगाट का भी धन्यवाद, जिन्होंने पहलवानों को आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया और सरकार से बात कराई।”

वहीं बृजभूषण के खिलाफ चार्जशीट दाखिल होने के बाद पहलवान विनेश फोगाट की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। विनेश ने ट्विटर पर ‘सुनो द्रोपतीशस्त्र उठा लो, अब गोविंद ना आएँगे’ कविता शेयर की है। 

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया