‘मैं व्हिसिल ब्लोअर’: मुंबई के पूर्व CP परमबीर सिंह की बॉम्बे HC से गुहार, महाराष्ट्र सरकार के एक्शन पर लगे रोक

परमबीर सिंह ने खटखटाया बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा

मुंबई के पूर्व पुलिस कमिशनर (CP) परमबीर सिंह ने गुरुवार को (अप्रैल 29, 2021) महाराष्ट्र सरकार के आदेश के ख़िलाफ़ बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अपनी याचिका में सिंह ने उच्च न्यायालय से माँग उठाई कि कोर्ट महाराष्ट्र सरकार को उनके विरुद्ध एक्शन लेने से रोकें। मामले में आगे की सुनवाई 4 मई 2021 को होगी।

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याचिका में परमबीर सिंह ने खुद को Whistle-blower बताते हुए प्रोटेक्शन की माँग की। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार द्वारा उनके विरुद्ध शुरू की गई दो प्रारंभिक जाँच पर रोक लगाने की माँग की। ये आदेश राज्य सरकार ने इसी साल 1 अप्रैल और 20 अप्रैल को दिए थे।

याचिका में उन्होंने दोनों आदेशों का हवाला देकर राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि ये सब उन्हें निशाना बनाने और उन्हें प्रताड़ित करने के लिए किया जा रहा है। याचिका में कहा है कि उनके विरुद्ध राज्य सरकार द्वारा की जा रही कार्रवाई भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 21 के खिलाफ़ है।

लाइव लॉ के अनुसार, याचिका में यह भी दावा किया गया है कि जब परमीबर सिंह 19 अप्रैल को महाराष्ट्र के डीजीपी संजय पांडे से मिले तो उन्होंने राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ लिखे गए पत्र को वापस लेने की ‘सलाह’ दी थी। इससे पहले बुधवार को परमबीर सिंह समेत कई अन्य पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध SC/ST एक्ट के तहत एफआईआर की थी

गौरतलब है कि मुंबई पुलिस कमिश्नर पद से हटाए जाने के बाद परमबीर सिंह ने सीएम उद्धव ठाकरे को एक पत्र लिखा था। इसमें उस समय राज्य के गृहमंत्री रहे अनिल देशमुख पर निलंबित इंस्पेक्टर सचिन वाजे के जरिए वसूली का आरोप लगाया था। उन्होंने दावा किया था कि देशमुख ने वाजे को सौ करोड़ रुपए की वसूली का टारगेट दे रखा था। शुरुआत में टालमटोल के बाद बाद देशमुख को इन आरोपों के कारण इस्तीफा देना पड़ा था। पिछले दिनों सीबीआई ने इस मामले में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। वहीं वाजे इस समय एंटीलिया बम केस में एनआईए की गिरफ्त में है।

परमबीर सिंह की ओर से वकील ने क्या कहा?

सिंह की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने न्यायाधीश एसएस शिंदे और मनीष पिटाले के सामने गुरुवार को पेश हुए। रोहतगी ने राज्य सरकार के दोनों आदेशों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 19 अप्रैल को सिंह जब डीजीपी से मिले तो उन्होंने उन्हें पत्र वापस लेने की सलाह दी।

रोहतगी के अनुसार, “पांडे ने सिंह से कहा कि वह तंत्र से इस तरह नहीं लड़ सकते और वही सरकार अब उनके (सिंह) के विरुद्ध तमाम आपराधिक मामलों में जाँच शुरू कर रही है। पांडे ने उन्हें सलाह दी थी कि वह सरकार को भेजा गया अपना पत्र वापस ले लें।”

रोहतगी के अनुसार राज्य सरकार सिर्फ़ मनगढंत शिकायतें सिंह के ख़िलाफ़ कर रही है। सिंह ने पांडे के साथ बातचीत को रिकॉर्ड कर उसकी कॉपी सीबीआई को भी दी है। रोहतगी ने बताया कि सरकार ने सिंह के खिलाफ प्रारंभिक जाँच शुरू करने के जो आदेश दिए हैं, वे स्पष्ट रूप से मनमाने ढंग से, पूरी तरह से अवैध, शून्य और निराधार हैं। बता दें कि इस केस में सरकारी अधिवक्ता दीपक ठाकरे ने प्रतिक्रिया देने के लिए समय माँगा।

अदालत ने क्या कहा?

रोहतगी की दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने जानना चाहा कि क्या जाँच में अभी सिंह को कोई कारण बताओ नोटिस जारी हुआ। अगर नहीं तो इतनी जल्दी क्या है। कोर्ट ने कहा, “हमें अंतरिम ऑर्डर जल्दबाजी में पास करने की क्या जरूरत। ये जाँच सर्विस रूल्स के उल्लंघन पर हो रही है। इसलिए ये सर्विस का विषय है। सरकार को याचिका में लगे आरोपों का जवाब देने दीजिए।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया