राज्यसभा में सर्वसम्मति से पास हुआ महिला आरक्षण विधेयक, मोदी सरकार ने बताया क्या है जनगणना और परिसीमन वाला हिसाब-किताब

राज्यसभा में पूर्ण बहुमत से पारित हुआ 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम, 2023', प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांसदों को दिया धन्यवाद

संसद के विशेष सत्र में 128वें संविधान संशोधन के माध्यम से लाया गया महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन अधिनियम, 2023) अब राज्यसभा में भी पास हो गया है। राज्यसभा में वोटिंग के दौरान इस बिल के पक्ष में सभी ने आवाज उठाई, वहीं विरोध में एक भी आवाज नहीं आई। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बिल के सर्वसम्मति से पास होने की घोषणा की। हालाँकि, संवैधानिक प्रावधानों के चलते औपचारिक वोटिंग कराई गई। 214 सदस्यों ने इसके पक्ष में वोट किया, जबकि विपक्ष में एक भी वोट नहीं पड़ा।

राज्यसभा में वोटिंग से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सदन में पहुँचे, इसके बाद वोटिंग की कार्यवाही पूरी की गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस बिल पर चर्चा के लिए 132 सदस्य खड़े हुए, जो कि ऐतिहासिक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला आरक्षण बिल का समर्थन करने के लिए सभी सांसदों का अभिनंदन करते हुए आभार व्यक्त किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि महिला आरक्षण बिल पर जिस तरह से एकजुटता संसद में दिखी है, ये एक अप्रतिम उदाहरण की तरह याद रहेगा। पीएम मोदी ने कहा कि नारी शक्ति को सम्मान सिर्फ विधेयक पारित होने से नहीं मिल रहा, बल्कि सभी के मन में सकारात्मक सोच के होने से मिल रहा है। ये हमारे उज्जवल भविष्य की गारंटी बनने वाली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में सभी सांसदों से सर्वसम्मति से मतदान की अपील की और सभी को हृदय से धन्यवाद दिया।

वित्त मंत्री और कानून मंत्री ने सरकार की ओर से दिए जवाब

इस बिल पर सरकार की तरफ से जवाब देने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोर्चा सँभाला। उन्होंने चुन-चुन कर कॉन्ग्रेस पर हमला बोला और अतीत में की गई कॉन्ग्रेस की गलतियों को भी गिनाया। इस दौरान उन्होंने कहा कि जनगणना के बाद परिसीमन होने के बाद ये कानून लागू होगा। वहीं, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा सरकार को घेरा, उन्होंने कहा कि ये कानून 9 साल में कभी भी लाया जा सकता था।

हालाँकि, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने विपक्ष के सवालों के जवाब में कहा कि जनगणना जैसा महत्वपूर्ण कार्य संपन्न होने के बाद ही इस कानून को लागू किया जा सकता है। इसके लिए 2026 तक संवैधानिक बाध्यताओं को पार करने तक हमें रुकना होगा, तभी परिसीमन हो पाएगा।

मल्लिकार्जुन खड़गे ने की सरकार को घेरने की कोशिश

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि भाजपा की सरकार प्रचंड बहुमत में है। आप ने एक झटके में तमाम चीजें कर दी। नोटबंदी कर दी। लेकिन महिला आरक्षण का मुद्दा लटकाए रखा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार रोटेशन में महिला आरक्षण अभी से दे सकती थी। उन्होंने कहा कि ओबीसी कैटिगिरी की महिलाओं को भी आरक्षण दिया जा सकता था, इसके लिए संविधान में संसोधन कर प्रावधान लाया जा सकता था।

उन्होंने कहा कि तमाम असहमतियों के बावजूद मैं पूरी तरह से बिल का समर्थन करता हूँ। उन्होंने बैकवर्ड क्लास की महिलाओं को आरक्षण में शामिल न करने के लिए सरकार पर सवाल उठाया। उन्होंने सरकार से इस कानून को लागू करने के लिए तारीख भी पूछा।

महिला आरक्षण का मुद्दा भाजपा के घोषणापत्र का हिस्सा

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि बहुत सोच-समझकर यह विधेयक तैयार किया है क्योंकि देखा गया है कि पूर्व की सरकारों ने भी कोशिश की लेकिन वह विफल रही। उन्होंने कहा कि लंबे समय से इसकी जरूरत महसूस की जा रही थी। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार अनुच्छेद 370 निरस्त करने का मुद्दा भाजपा के हर घोषणापत्र में रहा है, उसी प्रकार महिला आरक्षण का मुद्दा भी शामिल रहा है।

महिला आरक्षण राजनीति नहीं, आस्था का मुद्दा

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि महिला आरक्षण बिल भाजपा के लिए कभी राजनीति का विषय नहीं रहा बल्कि आस्था का मुद्दा रहा है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक ‘जुमला’ नहीं है जैसा कि कई विपक्षी सदस्यों ने आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि यह कानूनी प्रक्रिया है जिसमें समय लगेगा।

इससे पहले, सरकार की ओर से जवाब देते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि आखिर कब से ये कानून लागू होगा। उन्होंने कहा कि जहाँ तक महिलाओं के लिए प्रस्तावित आरक्षण के कार्यान्वयन की बात है, विधेयक के अधिनियमित होने के बाद और विधेयक के लागू होने के बाद जब भी पहली जनगणना होती है और उस जनगणना के प्रासंगिक आँकड़े प्रकाशित किए जाते हैं, तो नए सिरे से परिसीमन की भी कवायद की जाती है।

PV नरसिम्हा राव सरकार को भी दिया श्रेय

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “मैं उस समय पंचायत राज में 33 प्रतिशत आरक्षण लाने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की सरकार को श्रेय देना चाहती हूँ। परिणामस्वरूप, हमने पंचायत स्तर पर एक जमीनी सुधार देखा है, जहाँ आज कई राज्यों द्वारा 33% आरक्षण है। इसे बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया है, जो पंचायत स्तर पर महिलाओं के योगदान को दर्शाता है।”

जल्दबाजी की बात करने वाले पहुँच जाएंगे सुप्रीम कोर्ट

भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जो लोग जल्दबाजी में महिला आरक्षण को 2024 के संसदीय चुनाव से ही लागू कराने की बात कर रहे हैं, वही ऐसे कदम के खिलाफ सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे। उन्होंने कहा कि वर्ष 1991 में नरसिंह राव की सरकार ने कार्यपालक आदेश जारी कर ऊँची जाति के गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया था लेकिन उच्चतम न्यायालय ने इसे असंवैधानिक घोषित कर आरक्षण खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा, “महिलाओं को आरक्षण देने का फैसला करने और इसे लागू करने में केंद्र सरकार कोई वैधानिक त्रुटि नहीं छोड़ सकती।”

लोकसभा में प्रचंड बहुमत से पास हुआ था बिल

इससे पहले, संसद के विशेष सत्र में सबसे पहले लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश किया गया था। लोकसभा में ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम, 2023’ 2 के मुकाबले 454 मतों से पास हो गया था। इसके साथ ही लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33% आरक्षण दिए जाने का रास्ता अब साफ़ हो गया है। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सभी 3 कैटेगरी में, यानी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और सामान्य वर्ग महिलाओं को 33% आरक्षण मिलेगा। उन्होंने कहा कि सीटों के आरक्षण के निर्धारण का कार्य पारदर्शी तरीके से किया जाएगा।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया