सुप्रीम कोर्ट पैनल को फोन में नहीं मिले पेगासस: 29 मोबाइल की जाँच की, 5 में जो स्पाइवेयर मिले उनके भी Pegasus होने के प्रमाण नहीं

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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में गुरुवार (25 अगस्त 2022) को पेगासस (Pegasus) मामले में टेक्निकल कमेटी द्वारा दायर की गई रिपोर्ट पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने कमेटी की रिपोर्ट को नोट करते हुए कहा कि टेक्निकल कमेटी द्वारा जाँचे गए 29 मोबाइल फोन में पेगासस के उपयोग के बारे में कोई सबूत सामने नहीं आया है।

इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने की। सीजेआई रमना ने कहा कि पेगासस मामले में बनी जस्टिस रवींद्रन की रिपोर्ट को गुप्त रखने की जरूरत नहीं है। रिपोर्ट कहती है कि 29 मोबाइल फोन में से 5 में मैलवेयर पाया गया है, लेकिन इससे ये नहीं कहा जा सकता कि ये पेगासस स्पाइवेयर है।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस आरवी रवींद्रन की अगुवाई वाली कमेटी रिपोर्ट को तीन भागों में पेश किया गया। इनमें टेक्निकल कमेटी की दो रिपोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस आरवी रवींद्रन की देखरेख कमेटी की एक रिपोर्ट शामिल थी। इनमें से केवल एक ही रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाएगा।

चीफ जस्टिस ने कहा, “हम सिफारिश के बाद जस्टिस रवींद्रन की रिपोर्ट का तीसरा हिस्सा वेबसाइट पर सार्वजनिक करेंगे।” चीफ जस्टिस ने आगे कहा, “हम पूरी रिपोर्ट देखे बिना फिलहाल इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं। 5 फोन में मैलवेयर मिला है, लेकिन जासूसी के कोई सबूत नहीं मिले हैं।”

बता दें इस मामले में केंद्र सरकार पर आरोप लगाया गया था कि सरकार पेगासस स्पाईवेयर के जरिए लोगों की जासूस कर रही है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने जाँच कर रही टेक्निकल कमेटी को इस साल मई में 4 हफ्ते का समय दिया था। इस दौरान कमेटी को निर्देश दिए गए थे कि वो जाँच करें कि क्या लोगों के फोन या अन्य डिवाइस में जासूसी करने के लिए पेगासस स्पाईवेयर डाला गया था। फिलहाल, इस मामले की सुनवाई को अगले 4 हफ्तों के लिए टाल दिया गए है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया