कोविशील्ड पर सुप्रीम कोर्ट पहुँचा वकील, कहा- साइडइफेक्ट की हो जाँच: ICMR के वैज्ञानिक बोले- चिंता ना करें, 10 लाख में सिर्फ 7 ही प्रभावित

कोविशील्ड की जाँच के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई है (चित्र साभार: india Today & News18)

एस्ट्राजेनेका निर्मित वैक्सीन कोविशील्ड के साइड इफेक्ट की जाँच के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लगाई गई है। यह याचिका कंपनी के यह स्वीकारने के बाद लगाई गई है कि इसकी वैक्सीन के कुछ दुर्लभ साइड इफ़ेक्ट हो सकते हैं। इस रिपोर्ट के बाद वैज्ञानिकों ने लोगों से अपील की है कि वह घबराए नहीं और इसका वैज्ञानिक आधार भी दिया है।

सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई याचिका में माँग की गई है कि कोविशील्ड वैक्सीन की जाँच के लिए एक विशेषज्ञ पैनल बनाया जाए। इसमें AIIMS के डॉक्टर शामिल किए जाएँ और इसकी निगरानी सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज करें। इसके अलावा यह भी माँग की गई है कि जिन लोगों को इस वैक्सीन की वजह से कोई बीमारी या मौत हुई, इन सभी मामलों में सरकार की तरफ से मुआवजा दिया जाए। इसके लिए अमेरिका का उदारहण दिया गया। यह याचिका एक वकील विशाल तिवारी ने लगाई है।

याचिका में कहा गया है कि देश में 170 करोड़ लोगों को यह वैक्सीन लगाई गई थी इसका निर्माण लाइसेंस के तहत सीरम इंस्टिट्यूट ने किया था। याचिका में दावा है कि देश में लोगों को यह वैक्सीन लगाए जाने के बाद हेरात अटैक के मामलों में वृद्धि देखी गई है।

वहीं वैक्सीन को लेकर मचे हल्ले के बीच इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) के वैज्ञानिक रमन गंगाखेड़कर ने मीडिया को बताया है कि लोगों को चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने बताया है कि वैक्सीन लेने वाले 10 लाख लोगों में से 7-8 को इसके साइड इफेक्ट का खतरा है। उन्होंने कहा कि पहली डोज लेने के बाद खतरा अधिक होता है, दूसरी दोसे लेने पर यह खतरा कम हो जाता है और तीसरे डोज के साथ यह और कम हो जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई साइड इफेक्ट होता भी है तो यह दो-तीन महीने में सामने आते हैं।

उन्होंने यह भी बताया कि TTS साइड इफेक्ट कोई नई बात नहीं है और जब वैक्सीन को मंजूरी दी गई थी तो उसके 6 महीने के भीतर TTS को एक दुर्लभ साइड इफेक्ट के रूप में पहचान लिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि जहाँ साइड इफेक्ट का खतरा मात्र 10 लाख में से 7-8 लोगों को है तो वहीं इसका फायदा करोड़ों को लोगों को मिला था।

गौरतलब है कि हाल ही में एक रिपोर्ट में बताया गया था कि एस्ट्राजेनेका ने अपनी वैक्सीन के कारण कुछ दुर्लभ मामलों में TTS होने की बात स्वीकारी थी। एस्ट्राजेनेका ने यह बात यूके के हाई कोर्ट में दिए गए कागजों में स्वीकार की थी। एस्ट्राजेनेका ने माना था कि इससे खून के थक्के जमने की समस्या हो सकती है। एस्ट्राजेनेका के विरुद्ध यूके में 51 लोगों ने मामला दायर कर रखा है कि इस कम्पनी की वैक्सीन लेने के बाद उनको नुकसान हुआ। इन्होने एस्ट्राजेनेका से हर्जाने की माँग की है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया