अप्रैल 2014 से 1.37 करोड़ ग्रामीण आवासों का निर्माण, लगभग 7 करोड़ लोगों को मिला अपना घर

लगभग 7 करोड़ लोगों के सर पर आई छत

मोदी सरकार की चर्चा में न रहनेवाली योजनाओं ने कितने लोगों के जीवन पर प्रत्यक्ष प्रभाव डाला है, वो नीचे दिए गए आँकड़ों से सामने आता है। न सिर्फ़ घर, बल्कि उसमें बिजली, पानी, गैस सिलिंडर की सुविधा के साथ-साथ रोज़गार की गारंटी को सम्मिलित करते हुए सरकार ने साबित किया है कि एक योजना में बाक़ी योजनाओं के समावेश से ग़रीबों के जीवन पर कितना फ़र्क़ पड़ सकता है।

राज्यों के सहयोग से ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा अप्रैल 2014 से 1.37 करोड़ आवासों का निर्माण कार्य पूरा किया गया। आवासों के निर्माण कार्य पूरा होने का वर्षवार ब्यौरा (प्रत्येक आवास का तस्वीर सहित संपूर्ण ब्यौरा pmay-g.nic.in पर उपलब्ध है) निम्न है :  

आवासों के निर्माण कार्य पूरा होने का वर्षवार ब्यौरा

सारणी से स्पष्ट है कि जहाँ 2014-15 में 12 लाख आवासों का निर्माण हुआ था, वहीं 2018-19 में यह संख्या पाँच गुनी बढ़कर 65 लाख हो जाने वाली है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 20 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण का शुभारंभ किया था। राज्यों के सहयोग से ग्रामीण विकास मंत्रालय को विश्वास है कि मार्च, 2019 तक एक करोड़ आवासों का लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा। पीएमएवाई-जी योजना के अंतर्गत निर्धनतम लोगों को आवास देने का लक्ष्य रखा गया है जो अभी कच्चे घरों में रहते हैं। 4.75 लाख घरों के निर्माण की मंजूरी लंबित है क्योंकि राज्य सरकारों द्वारा भूमिहीनों को ज़मीन देने का कार्य पूरा नहीं हो पाया है। ऐसे मामले तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और बिहार से संबंधित है।

ग्रामीण आवास कार्यक्रम से न सिर्फ गरीबों को आवास मिलता है बल्कि उन्हें महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत 90/95 दिनों का रोज़गार भी प्राप्त होता है। इन आवासों को सौभाग्य योजना के तहत विद्युत आपूर्ति की जाती है तथा उज्ज्वला योजना के तहत एलपीजी कनेक्शन दिए जाते हैं।

इन आवासों में स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत शौचालयों का निर्माण किया जाता है। 1.37 करोड़ ग्रामीण आवासों के लाभान्वितों के लिए दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत आजीविका के अवसर उपलब्ध कराए जाते हैं। पीएमएवाई-जी योजना के तहत निर्धनतम लोगों के चयन के लिए त्रिस्तरीय प्रक्रिया अपनाई जाती है – सामाजिक-आर्थिक जनगणना 2011, ग्राम सभा और जीयो–टैगिंग।

साभार: पत्र सूचना कार्यालय

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया