जामिया का कटा विडियो: रवीश ने जानबूझ कर क्यों दिखाया एडिटेड विडियो? समझिए क्रोनोलॉजी

जामिया लाइब्रेरी के वायरल CCTV फुटेज से उठते हैं कई सवाल

जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों ने एक सीसीटीवी फुटेज जारी किया है। इस वीडियो फुटेज के हवाले से दावा किया जा रहा है कि पुलिस ने यूनिवर्सिटी के भीतर लाइब्रेरी में घुस कर छात्रों की पिटाई की। पुलिस पर तरह-तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं। जैसा कि अपेक्षित था, मीडिया व लिबरलों के गिरोह विशेष ने इस वीडियो को वायरल करने में पूरी ताक़त लगा दी और और साथ ही दिल्ली पुलिस, गृह मंत्रालय, अमित शाह और केंद्र सरकार को लपेटने में लग गए। लेकिन, सच्चाई कुछ और ही प्रतीत हो रही है। वो हमें इसी वीडियो के लम्बे वर्जन को देखने के बाद पता चलता है।

थोड़े लम्बे वीडियो में स्पष्ट दिख रहा है कि ये छात्र पढ़ने के लिए लाइब्रेरी में नहीं बैठे हुए थे। पुलिस ने उन्हीं उपद्रवी छात्रों की पिटाई की, जिन्हें उन्होंने चिह्नित किया। जामिया नगर में हुई हिंसा के दौरान सैकड़ों वाहन फूँक डाले गए थे और पुलिस पर पत्थरबाजी की गई थी। वीडियो में दिख रहा है कि पुलिस जैसे ही लाइब्रेरी में पहुँचती है, उपद्रवी छात्र किताबें खोल कर पढ़ने का नाटक करते हैं। उससे पहले वो हड़बड़ी में किताबें बंद कर के बैठे हुए थे।

ऑपइंडिया पर देखें जामिया लाइब्रेरी काण्ड का पूरा वीडियो जो छिपाया गया

आपको याद होगा कि जामिया मिलिया इस्लामिया के प्रशासन और छात्रों, दोनों ने ही पुलिस को जाँच में सहयोग नहीं किया। जब पुलिस जाँच के लिए सीसीटीवी फुटेज लेने पहुँची, तब छात्रों ने हंगामा किया और पुलिस को वो फुटेज नहीं लेने दिया। आख़िर जामिया के छात्र क्या छिपाना चाहते थे? हमारे कुछ और भी सवाल हैं, जो इस वीडियो को देखने के बाद उभरते हैं:

  1. जामिया का ये वीडियो हिंसा के 60 दिनों बाद क्यों रिलीज किया गया? इतने दिन तक इन्तजार क्यों? उपद्रवी छात्रों और गिरोह विशेष के बीच क्या सेटिंग चल रही थी?
  2. वीडियो को काट-छाँट कर क्यों जारी किया गया? पूरा वीडियो आने से उपद्रवी छात्रों की पोल खुल जाती, क्या इसीलिए वीडियो को अपने हिसाब से काट कर पेश किया गया?
  3. ऊपर हम पूछ चुके हैं कि जामिया का प्रशासन और छात्र पुलिस की जाँच में सहयोग क्यों नहीं कर रहे हैं? सीसीटीवी फुटेज में ऐसा क्या था कि इसे पुलिस को नहीं दिया गया था?
  4. ये वीडियो किसने जारी किया? पुलिस ने तो नहीं किया है। फिर जामिया के छात्रों ने किया? या फिर गिरोह विशेष ने?
  5. पूरी क्रोनोलॉजी कुछ यूँ लग रही है। बसें जलाओ, पत्थरबाजी करो, अराजकता फैलाओ और फिर लाइब्रेरी में छिप कर पढ़ने का नाटक करो। पुलिस चिह्नित कर कार्रवाई करे तो सहानुभूति कार्ड खेलो। कहीं यही क्रोनोलॉजी तो नहीं है?

हालाँकि, फ़िलहाल सोशल मीडिया पर गिरोह विशेष द्वारा दिल्ली पुलिस को बदनाम करने का खेल जारी है। रवीश कुमार से लेकर बरखा दत्त तक इसी काम में लगे हुए हैं। किसी ने पूरा वाला वीडियो शेयर करने की जहमत नहीं उठाई है। आधे-अधूरे वीडियो के आधार पर अफवाहों का बाजार गर्म किया जा रहा है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया