जिस प्रोफेसर अफीफुल्लाह को AMU ने छात्रा के यौन शोषण में दी क्लीनचिट, वह पुलिस की जाँच में निकला दोषी: चार्जशीट दाखिल

यौन शोषण के आरोपित AMU प्रोफेसर अफीफुल्लाह के खिलाफ अलीगढ़ पुलिस ने दाखिल की चार्जशीट

‘अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी’ (AMU) के प्रोफेसर अफीफुल्लाह के खिलाफ पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी है। उन पर एक पीएचडी छात्रा ने यौन शोषण का आरोप लगाया था। पुलिस ने अपनी जाँच में अफीफुल्लाह को दोषी माना है। लेकिन यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अपनी आंतरिक जाँच में इस प्रोफेसर को क्लीनचिट दी थी।

3 अक्टूबर 2023 को अलीगढ़ के जुडिशियल मजिस्ट्रेट ने इस आरोप-पत्र स्वीकार करते हुए पुलिस को प्रोफेसर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की अनुमति प्रदान की। पीड़िता छात्रा ने ऑपइंडिया से बात करते हुए निष्पक्ष जाँच के लिए योगी सरकार और यूपी पुलिस का आभार जताया है। साथ ही एएमयू प्रशासन पर आरोपित प्रोफसर की करतूतों को छिपाने का आरोप लगाया है।

अलीगढ़ पुलिस ने पीड़िता को 1 सितंबर 2023 को ही IGRS के माधयम से माँगी गई सूचना पर चार्जशीट दाखिल होने की जानकारी दे दी थी। चार्जशीट में अलीगढ़ पुलिस ने अदालत में यह स्वीकार किया है कि छात्रा ने व्हाट्सएप और कुछ अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स सबूत जमा किए हैं। इनसे प्रथम दृष्टया यौन उत्पीड़न के आरोप प्रमाणित होते हैं।

अदालत ने चार्जशीट का लिया संज्ञान

3 अक्टूबर 2023 को अलीगढ़ के जुडिशियल मजिस्ट्रेट की अदालत में इस चार्जशीट पर संज्ञान लिया गया। अदालत ने केस दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। अब प्रोफेसर अफीफुल्लाह को ट्रायल का सामना करना पड़ेगा। अफीफुल्लाह पर IPC की धारा 354 (क) (लैंगिक उत्पीड़न) के तहत चार्जशीट दाखिल हुई है। दोषी पाए जाने पर इस केस में अधिकतम 3 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।

बिना अनुमति देश नहीं छोड़ सकता अफीफुल्लाह

अपने ऊपर दर्ज FIR में प्रोफेसर अफीफुल्लाह को अलीगढ़ की सेशन कोर्ट से 28 जून 2023 को अग्रिम जमानत लेनी पड़ी थी। अपने आवेदन में अफीफुल्लाह ने पीड़िता पर ही दोष मढ़ने का प्रयास करते हुए खुद को बेगुनाह बताया था। सेशन कोर्ट ने इस याचिका पर अफीफुल्लाह को सशर्त जमानत दी थी। जमानत की शर्तों में पुलिस को जाँच में सहयोग करना, पीड़िता या गवाहों को न तो धमकाना और न ही उन पर दबाव बनाना, बिना अनुमति देश न छोड़ना आदि शामिल हैं। हालाँकि पुलिस ने अफीफुल्लाह की अग्रिम जमानत का विरोध किया था।

अफीफुलाह की अग्रिम जमानत में रिवॉल्वर

अफीफुल्लाह को 1 लाख रुपए के मुचलके पर अग्रिम जमानत मिली है। इसमें जमानतदार अबरार अहमद खान हैं। अबरार अहमद खान ने जमानत के तौर पर अपनी लाइसेंसी रिवॉल्वर लगाई है।

AMU प्रशासन ने दी थी क्लीनचिट

आरोपित प्रोफेसर अफीफुल्लाह AMU के वाइल्ड लाइफ विज्ञान विभाग में चेयरमैन के पद पर कार्यरत हैं। पीड़िता ने 2 मई 2023 को ई मेल के जरिए AMU प्रशासन से अफीफुल्लाह के करतूतों की शिकायत की थी। शिकायत में छात्रा ने अफीफुल्लाह पर 5 साल से गंदे ऑफर देने, अश्लील हरकतें करने, ऊल-जुलूल माँगे करने, लिपस्टिक व कपड़ों पर आपत्तिजनक कमेंट करने का आरोप लगाए थे। इस शिकायत पर AMU ने 8 सदस्यों की एक आंतरिक कमेटी बनाई थी।

इस कमेटी में सीमा हाकिम, संगीता सिंघल, फ़ाज़िला शाहनवाज, सुबूही अफ़ज़ल, आदिला सुल्ताना, अल्विया फरहीन, मारिया शाहिद और जावेद सईद शामिल थे। इन सभी ने 26 मई 2023 को अपनी जाँच रिपोर्ट में प्रोफेसर अफीफुल्लाह को अच्छे चरित्र वाला बताया था। रिपोर्ट में पीड़िता पर अंग्रेजी में कमजोर होने का आरोप लगा दिया गया था। जाँच दल ने इस विवाद की जड़ में 25 हजार रुपए का लेन-देन बताया था। AMU प्रशासन के ज्वाइंट रजिस्ट्रार मोहम्मद इमरान ने 1 अगस्त को एक और पत्र जारी करते हुए अफीफुल्लाह को 26 मई को मिली क्लीनचिट को सही बताया था।

AMU से क्लीनचिट तो पुलिस में शिकायत

26 मई 2023 को AMU प्रशासन द्वारा प्रोफेसर अफीफुल्लाह को क्लीनचिट मिलने के बाद पीड़िता ने अलीगढ़ पुलिस में FIR दर्ज करवाई। यह FIR IPC की धारा 354 के तहत महिला थाने में दर्ज हुआ था। महिला पुलिस इंस्पेक्टर सरिता द्विवेदी द्वारा लगभग 5 माह की जाँच के बाद आखिरकार अफीफुल्लाह पर IPC 354 (क) के तहत चार्जशीट दाखिल हुई है।

योगी आदित्यनाथ और UP पुलिस को दिया धन्यवाद

ऑपइंडिया से बात करते हुए पीड़िता ने योगी आदित्यनाथ और UP पुलिस का धन्यवाद दिया। उन्होंने हमें बताया कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ने उनके ही नहीं बल्कि कई अन्य लड़कियों के साथ हुई ऐसी ही उत्पीड़न की घटनाओं को दबाने की कोशिश की है। पीड़िता के मुताबिक यूनिवर्सिटी प्रशासन अफीफुल्लाह जैसे लोगों को इसलिए बचाता है, क्योंकि वहाँ उसी के सोच वालों की भरमार है। एक पर एक्शन होने के बाद बाकियों पर भी कार्रवाई करनी पड़ेगी।

हमसे बातचीत में पीड़िता ने यह भी बताया कि उनकी पढ़ाई दाँव पर लगी है। AMU प्रशासन बार-बार निवेदन के बावजूद उनको पीएचडी पूरी करने के लिए महिला प्रोफेसर गाइड नहीं दे रहा। पीड़िता का यह भी कहना है कि जब AMU में आतंकियों का समर्थन किया जाता है तब वहाँ का प्रशासन चुप रहता है, लेकिन अपने लिए न्याय माँगती एक लड़की के खिलाफ सभी लोग उठ खड़े होते हैं।

राहुल पाण्डेय: धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।