उमेश को मारने के लिए अतीक अहमद ने किया iPhone इस्तेमाल, जेल में बैठ फेसटाइम से रची पूरी साजिश: बेटे असद को बचाने के सब जुगाड़ फेल

अतीक अहमद और उमेश पाल (साभार: भास्कर/बिफोर प्रिंट)

यूपी के प्रयागराज में उमेश पाल हत्याकांड में रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं। उमेश पाल की हत्या की साजिश आईफोन के फेसटाइम पर रची गई थी। जेल से अतीक अहमद और उसका भाई अशरफ इस ऐप के जरिए संपर्क में थे। इतना ही नहीं, हत्याकांड में अतीक के बेटे असद को बचाने के लिए पहले से तैयारी कर ली गई थी और उसे लखनऊ में मौजूदगी दिखाई गई थी।

कहा जा रहा है कि अतीक के भाई अशरफ का साला सद्दाम बरेली जेल जाकर उसकी अतीक से बात कराता था। सद्दाम की गतिविधियों पर STF की नजर थी। अतीक और अशरफ की बातचीत एसटीएफ लगातार सुन रही थी। इसके बाद वे फेसटाइम का इस्तेमाल करने लगे। इसलिए उनकी साजिश का पता नहीं चल पाया। उमेश पाल की हत्या करने वाले शूटरों से अतीक ने फेसटाइम पर ही बात भी की थी।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों के बीच अधिकतर बातचीत जमीन के सौदों और मुकदमों की पैरवी को लेकर होती थी। कुछ मामलों में उमेश पाल के बढ़ते दखल पर अशरफ नाराज था और अतीक से हिसाब चुकाने के लिए कह रहा था। वहीं, अतीक मध्यस्थों के जरिए मामला सुलझाने की बात कहता था। दो महीना पहले फेसटाइम के जरिए बातचीत करने लगे।

वहीं, उमेश पाल की हत्या को अंजाम देने और अतीक के बेटे असद को बचाने के लिए पहले ही जुगाड़ कर लिया गया था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, घटना के समय मोहम्मद असद के मोबाइल का लोकेशन लखनऊ में था। इतना ही नहीं, घटना के वक्त लखनऊ में असद के एटीएम से पैसे भी निकाले गए थे।

जाहिर है कि असद को घटनास्थल पर होने के बावजूद उसे लखनऊ में दिखाने की तैयारी की गई थी, ताकि उसे बचाया जा सके। हालाँकि, उमेश पाल की हत्या की पूरी वारदात CCTV कैमरे में कैद हो गई थी और पुलिस ने असद की पहचान कर ली थी।

पुलिस को आशंका है कि असद जानबूझकर अपना मोबाइल और एटीएम कार्ड लखनऊ में छोड़कर आया था। पुलिस का मानना है कि एटीएम कार्ड किसी नजदीकी व्यक्ति को दिया गया था, ताकि घटना के वक्त पैसे निकाल सके।

बता दें कि माफिया अतीक और उसके गुर्गों पर यूपी सरकार की कार्रवाई जारी है। अब अतीक अहमद और उससे जुड़े अपराधियों के 20 से अधिक अवैध निर्माणों को सूचीबद्ध किया गया है। अवैध निर्माण के ध्वस्तीकरण से संबंधित निर्णय सोमवार (13 मार्च 2023) तक निर्णय लिया जाएगा।

फरार शूटरों के अलावा उनके रिश्तेदारों और मददगारों की सूची तैयार की गई है। उनके दर्जन भर से अधिक लोगों के अवैध निर्माणों को जिला प्रशासन और पीडीए की ओर से चिह्नित किया गया है। जिन लोगों की संपत्तियों को चिह्नित की गई है उनमें फरार शूटर गुड्डू मुस्लिम, गुलाम अहमद और साबिर के निर्माण भी शामिल हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया