‘मौत को करीब से देखा, भगवान का नाम जपने लगे’: नूहं हिंसा पर पुजारी ने कहा- हिंदुओं का सफाया करना चाहते थे हमलावर, ऐसा फिल्मों में ही देखा था

हरियाणा के नूहं मेवात में शोभायात्रा पर मुस्लिमों का हमला (फाइल फोटो)

हरियाणा के नूहं में 31 जुलाई 2023 को हिंदुओं की ‘ब्रिजमंडल यात्रा’ पर इस्लामिक भीड़ ने हमला कर दिया था। इस हमले के दौरान हजारों लोग मंदिर और आसपास के इलाके में फँस गए थे। उनमें से एक थे करनाल के हनुमान मंदिर के पुजारी अजीत शास्त्री। पुजारी ने कहा है कि उन्होंने नूहं में जो देखा, वैसा तो सिर्फ फिल्मों में होता है। मुस्लिमों का प्लान मंदिर में फँसे हिंदुओं का सफाया करना था।

एनबीटी से हुई बातचीत में अजीत शास्त्री ने कहा, “हमले के समय हालात इतने खराब हो चुके थे कि बता पाना मुश्किल है। हमारी धरती है, हमारा मंदिर है और मेवात तो हरियाणा का ही क्षेत्र है। लेकिन, जहाँ मुस्लिम बहुसंख्यक रहते हैं वहाँ तो जाने की सोच भी नहीं सकते। नूहं में जो कुछ भी देखा, इससे पहले सिर्फ फिल्मों में ऐसा देखा था। सच कहूँ तो मैंने उस दिन मौत को बेहद करीब से देखा।”

पुजारी ने आगे कहा, “दोपहर करीब 12 बजे पत्थरबाजी शुरू होते ही वहाँ अफरा-तफरी का माहौल हो गया था। पत्थरबाजी बढ़ती जा रही थी। इसलिए हम लोग नल्हड़ के शिव मंदिर में फँसकर रह गए। पहले तो वहाँ कुछ पुलिसकर्मी थे, लेकिन भीड़ को हिंसक होता देखकर वे भी वहाँ से चले गए। मंदिर में भारी संख्या में लोग फँसे हुए थे।”

उन्होंने यह भी कहा है, “भीड़ को जब यह पता चल गया था कि लोग मंदिर में फँसे हुए हैं तब मंदिर में ही फायरिंग शुरू कर दी। कुछ लोगों को गोली भी लगी। कई वाहनों में एक साथ आग लगा दी गई। पहाड़ी से हो रही फायरिंग और पत्थरबाजी से बचाने के लिए हम लोगों ने पुलिस को फोन किया था। लेकिन 7 बजे तक कोई नहीं आया।”

हमलावरों के मकसद को बताते हुए उन्होंने कहा, “मंदिर पर हमला कर रही भीड़ का एक ही मकसद था… जो लोग यहाँ फँसे हुए थे, वे बचकर जाने न पाएँ। वहाँ हालात बेकाबू होते जा रहे थे। करीब 8 बजे पुलिस के आने के बाद हम लोगों की जान बच पाई। वहाँ हर जगह फोर्स तैनात कर दी गई थी। तब कहीं जाकर हम लोग वहाँ से निकल पाए।”

अजीत शास्त्री का यह भी कहना है कि नल्हड़ गाँव में मुस्लिमों की आबादी बहुत अधिक है। वे लोग वहाँ के मंदिरों पर कब्जा करने और उन्हें हटाने की कोशिश में लगे रहते हैं। इन मंदिरों पर कब्जा न हो इसके लिए विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल समेत अन्य संस्थाएँ यहाँ काम करती हैं।

पुजारी ने कहा कि इस बार की ‘बृजमंडल यात्रा’ में संख्या अधिक थी। करीब 15-20 हजार लोग जुटे थे, लेकिन इस इलाके से मुस्लिमों का प्रभाव कम न हो इसलिए उन्होंने पहले से ही प्लानिंग बना ली थी। जब हिंदू तीन अलग-अलग मंदिरों में जा रहे थे। तभी मुस्लिमों ने हमला किया गया।

बताते चलें कि इसी मंदिर के बाहर महिलाओं की रक्षा करते हुए पानीपत बजरंग दल के प्रखंड संयोजक अभिषेक चौहान को कट्टरपंथियों ने गोली मार दी थी। इसके बाद भीड़ में से निकलकर एक कट्टरपंथी ने तलवार से गला काटकर उनकी हत्या कर दी थी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया