शरीर के चक्रों पर आधारित 7 मंजिला भवन, कमल की पंखुड़ियों वाला शीर्ष: जानिए स्वर्वेद मंदिर को, जिसका उद्धाटन PM मोदी ने किया, दीवारों पर रामायण-महाभारत अंकित

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में स्वर्वेद महामंदिर का किया उद्घाटन (फोटो साभार : X_ANI/swarved-mahamandir.org)

भारत की धार्मिक-आध्यात्मिक राजधानी वाराणसी में दुनिया के सबसे बड़े ध्यान केंद्र ‘स्वर्वेद महामंदिर’ का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (18 दिसंबर 2023) को उद्घाटन किया। 3 लगभग 3 लाख वर्गफुट में बने स्वर्वेद महामंदिर में एक साथ 20 हजार लोग योग कर सकते हैं। इस महामंदिर के उद्धाटन के समय 25 हजार कुंडीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ भी किया गया।

इस कार्यक्रम का आयोजन 17-18 दिसंबर 2023 को विहंगम योग संत समाज के 100वें वार्षिकोत्सव ‘शताब्दी समारंभ महोत्सव’ के अवसर पर किया गया। इस कार्यक्रम में हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए और विहंगम योग किया। जिस स्वर्वेद महामंदिर का उद्घाटन किया गया है, उसे 35 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस स्वर्वेद महामंदिर का उद्घाटन किया, उसका निर्माण विहंगम योग का प्रसार करने वाले विहंगम योग संस्थान ने कराया है। इस विशाल परिसर का निर्माण साल 2004 से चल रहा था, जिसकी दीवारों पर स्वर्वेद के 3137 दोहे भी लिखे हुए हैं। पीएम मोदी ने स्वर्वेद महामंदिर को योगतीर्थ और ज्ञानतीर्थ बताया।

प्रधानमंत्री मोदी बोले-योगतीर्थ और ज्ञानतीर्थ भी है ये महामंदिर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “आप संतों के सानिध्य में काशी के लोगों ने मिलकर विकास और नवनिर्माण के कितने ही नए कीर्तिमान गढ़े हैं। सरकार, समाज और संतगण, सब साथ मिलकर काशी के कायाकल्प के लिए कार्य कर रहे हैं। आज स्वर्वेद मंदिर का बनकर तैयार होना इसी ईश्वरीय प्रेरणा का उदाहरण है। ये महामंदिर, महर्षि सदाफल देव जी की शिक्षाओं का, उनके उपदेशों का प्रतीक है। इस मंदिर की दिव्यता जितना आकर्षित करती है, इसकी भव्यता हमें उतना ही अचंभित भी करती है। इसलिए मंदिर का भ्रमण करते हुए मैं खुद भी मंत्रमुग्ध हो गया था।”

पीएम मोदी ने कहा, “स्वर्वेद मंदिर भारत के सामाजिक और आध्यात्मिक सामर्थ्य का एक आधुनिक प्रतीक है। मैं देख रहा था, इसकी दीवारों पर स्वर्वेद को बड़ी सुंदरता के साथ अंकित किया गया है। वेद, उपनिषद्, रामायण, गीता और महाभारत आदि ग्रन्थों के दिव्य सन्देश भी इसमें चित्रों के जरिए उकेरे गए हैं। इसलिए, ये मंदिर एक तरह से आध्यात्म, इतिहास और संस्कृति का जीवंत उदाहरण है। यहाँ हजारों साधक एक साथ विहंगम योग की साधना कर सकते हैं। इसलिए, ये महामंदिर एक योगतीर्थ भी है, और साथ-साथ ये ज्ञानतीर्थ भी है।”

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “आजादी के 7 दशक बाद आज समय का चक्र एक बार फिर घूमा है। देश अब लाल किले से ‘गुलामी की मानसिकता से मुक्ति’ और अपनी ‘विरासत पर गर्व’ की घोषणा कर रहा है। जो काम सोमनाथ से शुरू हुआ था, वो अब एक अभियान बन गया है। आज काशी में विश्वनाथ धाम की भव्यता भारत के अविनाशी वैभव की गाथा गा रही है।”

उन्होंने कहा, “आज महाकाल महालोक हमारी अमरता का प्रमाण दे रहा है। आज केदारनाथ धाम भी विकास की नई ऊँचाइयों को छू रहा है। बुद्ध सर्किट का विकास करके भारत एक बार फिर दुनिया को बुद्ध की तपोभूमि पर आमंत्रित कर रहा है। देश में राम सर्किट के विकास के लिए भी तेजी से काम हो रहा है। अगले कुछ सप्ताह में अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण भी पूरा होने जा रहा है।”

क्या है स्वर्वेद महामंदिर?

स्वर्वेद का शाब्दिक अर्थ है- स्व: और वेद। स्व: का अर्थ है आत्मा और वेद का अर्थ है ज्ञान। इसलिए स्वर्वेद का अर्थ है -आत्मा का ज्ञान। अर्थात योग के जिस माध्यम से स्वयं का ज्ञान प्राप्त किया जाता है, वो स्वर्वेद है। इस मंदिर की दीवारों पर स्वर्वेद के 3137 दोहे उकेरे गए हैं। स्वर्वेद में विहंगम योग से जुड़ी सूक्तियाँ, दोहे लिखे हैं, जिसके रचयिता सद्गुरु सदाफल देव थे।

उन्होंने साल 1924 में विहंगम योग को आगे बढ़ाने के लिए संस्थान बनाया था। इस योग को 50 से अधिक देशों में प्रैक्टिस किया जाता है। इस स्वर्वेद मंदिर में रामायण, महाभारत, गीता, वेद और उपनिषद को चित्रित किया गया है। स्वर्वेद महामंदिर को 7 मंजिला बनाया गया है, जो मानव शरीर में स्थित 7 चक्रों को निरूपित करता है।

मकराना मार्बल से बने इस महामंदिर की ऊँचाई 180 फीट है, जिसका शीर्ष कमल के आकार का है। इसके मुख्य गुंबद में कमल पुष्प के आकृति की 125 पंखुड़ियाँ बनाई गई हैं। एक साथ 20 हजार से अधिक लोगों के योग करने की जगह प्रदान करने वाला स्वर्वेद महामंदिर दुनिया का सबसे बड़ा ध्यान केंद्र है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया