भारत में आएगी कोरोना की तीसरी लहर, वायरस के नए वैरिएंट्स पर पूरी तरह प्रभावी है वैक्सीन: मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार

केंद्र के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार ने कहा कि भारत में आएगी कोरोना वायरस की तीसरी लहर लेकिन कब, यह अभी निश्चित नहीं।

देश में कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर के बीच सरकार ने संक्रमण की तीसरी लहर पर चेतावनी जारी की है। केंद्र सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के विजय राघवन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि कोरोना वायरस संक्रमण की तीसरी लहर अवश्य आएगी लेकिन कब आएगी और कितनी खतरनाक होगी यह वर्तमान में निश्चित नहीं है।

देश में पिछले साल पहली लहर आई थी। साढ़े तीन महीने तक संक्रमण के मामलों के लगातार बढ़ते रहने के बाद 16 सितंबर को संक्रमण का पीक आया था। इस दिन पूरे देश भर से 97,860 नए संक्रमण के मामले सामने आए थे। इसके बाद नए मामलों में गिरावट आई और 19 नवंबर 2020 को मामले घटकर आधे रह गए।

करीब छह महीने तक संक्रमण के मामलों में उतार-चढ़ाव चलता रहा। 1 मार्च 2021 को कोरोना वायरस की दूसरी लहर की शुरुआत मानी जाती है जब संक्रमण के 12,270 नए मामले सामने आए। इसके बाद 1 अप्रैल 2021 को संक्रमण के 75,000 के लगभग नए मामले सामने आए। 30 अप्रैल को एक दिन में संक्रमण के 4.02 लाख नए मामले देखने को मिले। विशेषज्ञों के अनुसार मई के महीने में कोरोना वायरस संक्रमण कि दूसरी लहर का पीक देखा जा सकता है।

कोरोना वायरस की तीसरी लहर के अलावा प्रेस कॉन्फ्रेंस में वैज्ञानिक सलाहकार राघवन ने कोरोना वायरस के विभिन्न वैरिएंट्स पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि वायरस के जो भी नए वैरिएंट्स हैं वो मुख्य वायरस के समान ही प्रसारित होते हैं और उनमें किसी प्रकार के नए ट्रांसमिशन की कोई विशेषता नहीं होती है। उन्होंने बताया कि जिस प्रकार वास्तविक वायरस मानव शरीर में प्रवेश करके बढ़ता जाता है और मनुष्य को संक्रमित करता है उसी प्रकार वायरस के विभिन्न वैरिएंट्स भी व्यवहार करते हैं।

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नए वैरिएंट्स पर वैक्सीन के प्रभाव पर चर्चा करते हुए राघवन ने कहा कि कोरोना वायरस के नए वैरिएंट्स न केवल भारत अपितु पूरे विश्व भर में उत्पन्न होंगे। उन्होनें वैक्सीन के विषय में कहा कि वर्तमान में जो भी वैक्सीन उपलब्ध हैं सभी कोरोना वायरस के नए वैरिएंट्स पर प्रभावी हैं।

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केंद्र के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के विजय राघवन ने यह भरोसा दिलाया कि भारत और दुनिया भर के वैज्ञानिक कोरोना वायरस के इन नए वैरिएंट्स को निष्प्रभावी करने और उनसे सुरक्षा के लिए आवश्यक उपायों की खोज में जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि यह एक गहरे शोध का विषय है और भारत समेत विदेशों में भी इस पर शोध कार्यक्रम चल रहे हैं।

आपको बता दें कि कोई भी वायरस जो RNA अथवा DNA से मिलकर बना होता है वह अपनी संरचना में बदलाव करता ही है। एक बार जब वायरस मानव शरीर में प्रवेश करता है तो वह मानव कोशिकाओं के संपर्क में आता है और संख्या में कई गुना बढ़ जाता है। अब यदि व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रही तो वह वायरस के संवर्धन से लड़ती है और उसे रोक देती है। वायरस के बदलाव की यह प्रक्रिया स्वाभाविक है और इसे ही म्यूटेशन कहा जाता है। म्यूटेशन के बाद किसी वायरस का जो नया रूप बनता है उसे ही वैरिएंट कहा जाता है। कोरोना वायरस भी इसी तरीके से नए वैरिएंट बनाता है।  

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया