इस्लामी आतंकियों का मक्का मस्जिद पर कब्जा… ‘दुखी’ कट्टरपंथियों ने तोड़ा श्री भाग्यलक्ष्मी मंदिर, कॉन्ग्रेसी सरकार रही थी चुप

मक्का मस्जिद पर हमले की कीमत हिंदू मंदिर ने चुकाई

42 साल पहले नवंबर के महीने में सऊदी अरब की एक घटना ने हैदराबाद में कट्टरपंथी भीड़ को भड़का दिया था। ये वो घटना थी, जिसमें सलाफी समूह ने इस्लाम की सबसे पवित्र जगह मक्का की मस्जिद को अपने कब्जे में ले लिया था। अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से 20 नवंबर 1979 और इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से साल 1400 का पहला दिन। उस दिन मक्का मस्जिद में देश-विदेश से आए हजारों हज यात्री शाम के समय नमाज का इंतजार कर रहे थे।

करीब 400 से 500 हथियारबंद लोगों ने सभी नमाज अता करने आए लोगों को अपने काबू में कर लिया। इन हथियारबंद लोगों में कई औरतें और बच्चे भी थे। अल कुओंताय्बी नाम के आन्दोलन से जुड़े हुए इन हमलावरों ने मक्का शहर के बड़े मस्जिद पर कब्जा उस समय कर लिया, जब सऊदी बिन लादेन ग्रुप मस्जिद में कुछ मरम्मत का काम कर रही थी। इस से पहले की हमलावर टेलिफोन के तार काट पाते, उनके एक कर्मचारी ने बाहर इस बात की सूचना पहुँचा दी। दुनिया जान गई थी कि कुछ भयंकर होने वाला है।

हमलावरों ने एक साजिश के तहत कई बंधकों को मस्जिद के बाहर निकाल दिया और बाकी के बंधकों को अपने कब्ज़े में लेकर अंदर बंद रहे। अब बाहर कोई नहीं समझ पा रहा था कि अंदर कितने बंधक और कितने हमलावर मौजूद हैं। ऐसे माहौल में मदद के लिए पाकिस्तानियों से भी मदद माँगी गई। मगर कई दिन तक पाकिस्तानी कमांडो भी कुछ नहीं कर पाए।

आखिर में फ़्रांसिसी कमांडो का एक दस्ता Groupe d’Intervention de la Gendarmerie Nationale (GIGN) मक्का आया। चूँकि मक्का में गैर मुस्लिमों को घुसने की इज़ाजत नहीं होती तो पहले एक छोटे से आयोजन में तीन कमांडो ने धर्म परिवर्तन किया। फिर गैस के गोले अंदर फेंके गए, अंदर के चैम्बर में से हमलावरों को खुली जगह में आना पड़ा। दीवारों में ड्रिल कर के अन्दर अब बम फेंक दिए गए। फिर आगे की कार्रवाई में मस्जिद आजाद करवाया जा सका।

हालाँकि यह घटना घटी सऊदी अरब में, लेकिन इसका सीधा असर देखने को मिला भारत के शहर हैदराबाद में। काबा पर हमले के विरोध में MIM (अब यही AIMIM है) ने 23 नवंबर 1979 को हैदराबाद बंद का आह्वान किया। इस मामले में, भले ही हिंदू काबा के कब्जे में शामिल नहीं थे, हिंदुओं और हिंदू मंदिरों पर हमले हुए। जब हिंदू दुकानदारों ने बंद का विरोध किया तो मुस्लिम कट्टरपंथियों की भीड़ ने चारमीनार से सटे श्री भाग्यलक्ष्मी मंदिर पर हमला किया और उसे अपवित्र किया। मुस्लिम कट्टरपंथियों ने हिंदू दुकानों में भी आग लगा दी। यह दंगा तकरीबन 10 दिन तक चलता रहा।

जानकारी के मुुताबिक दिवाली नजदीक आ रही थी, तो कई हिंदू दुकानदारों ने MIM से अनुरोध किया कि उन्हें अपनी दुकानें खुली रखने की अनुमति दी जाए। इसके परिणामस्वरूप झड़पें हुईं और भाग्यलक्ष्मी मंदिर पर हमला किया गया। माँ लक्ष्मी की मूर्ति तोड़ दी गई।

यह दंगा तब तक चलता रहा, जब तक कि सऊदी अरब ने मस्जिद पर फिर से कब्जा नहीं कर लिया और इसमें कोई हैरत की बात नहीं है कि दंगों के बाद तत्कालीन सीएम चेन्ना रेड्डी के नेतृत्व वाली कॉन्ग्रेस सरकार ने एमआईएम दंगाइयों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। दंगों के दौरान दर्ज किए गए सभी मामलों को भी बाद में बंद कर दिया गया।

श्री भाग्यलक्ष्मी मंदिर माँ लक्ष्मी का मंदिर है और चारमीनार के दक्षिण-पूर्वी मीनार से सटा है। मंदिर का अस्थाई ढाँचा बांस-तिरपाल और टिन से निर्मित है, जिसकी पिछली दीवार चारमीनार की ही एक मीनार है। श्री भाग्यलक्ष्मी मंदिर का मौजूदा ढाँचा भी वहाँ कब से है, इसके बारे में कोई ठोस जानकारी उपलब्ध नहीं है। लेकिन, कहते हैं कि यहाँ कम से कम 1960 की दशक से तो जरूर पूजा-अर्चना हो रही है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया