हम 70 नहीं, 700 साल से मौजूद हैं, PM मोदी संविधान पढ़ें: राहत इंदौरी

मशहूर शायर राहत इंदौरी

सीएए के ख़िलाफ़ मुखर होकर मोदी सरकार की आलोचना करने वालों में एक नाम मशहूर शायर राहत इंदौरी का भी है। यूँ तो राहत इंदौरी समय दर समय अपनी शायरियों के जरिए सत्ता पर सवाल उठाते रहते हैं। लेकिन, इस बार उन्होंने संशोधित नागरिकता कानून के ख़िलाफ़ बड़वाली चौकी इलाके में चल रहे प्रदर्शन में शामिल होकर मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसी ‘शिक्षित व्यक्ति से’ संविधान समझने की सलाह दी है। 70 वर्षीय राहत इंदौरी ने कहा, मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दरख्वास्त करना चाहूँगा कि अगर वह संविधान पढ़ नहीं पाए हैं, तो किसी पढ़े-लिखे आदमी को बुला लें और उससे संविधान पढ़वाकर समझने की कोशिश करें कि इसमें क्या लिखा है और क्या नहीं।

इस प्रदर्शन में सीएए, एनपीआर और एनआरसी के मुद्दों पर दिल्ली के शाहीन बाग और इंदौर के अलग-अलग इलाकों में जारी विरोध प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए राहत इंदौरी ने कहा, “यह लड़ाई भारत के हर हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई की लड़ाई है। हम सबको मिलकर यह लड़ाई लड़नी है।” इसके बाद फैज अहमद फैज की नज्म “हम देखेंगे, लाजिम है कि हम भी देखेंगे” को एक धर्मविशेष के खिलाफ बताए जाने वाली बात की ओर सीधा इशारा करते हुए इंदौरी ने कहा कि कुछ लोगों ने फैज की इस कृति का मतलब ही बदल दिया।

इंदौरी के अनुसार, कुछ लोगों ने फैज की नज्म को गलत समझा, लेकिन इससे उन्हें कोई अचंभा नहीं हुआ। उनका मानना है कि ऐसा करने वाले लोग कम पढ़े लिखे हैं। और ऐसे लोग न तो हिंदी जानते हैं और न ही उर्दू।

राहत इंदौरी ने प्रदर्शन में केरल के नेता की वायरल वीडियो का भी मुद्दा उठाया और कहा “मैं 70 साल का हो गया हूँ, मुझे अभी तक मालूम नहीं पड़ा कि मैं जेहादी हो गया हूँ।”

उन्होंने कहा- मैं मर जाऊँ तो मेरी एक अलग पहचान लिख देना, लहू से मेरी पेशानी पे हिन्दुस्तान लिख देना। वे बोले- उठा शमशीर, दिखा अपना हुनर, क्या लेगा, ये रही जान, ये गर्दन है, ये सर, क्या लेगा…एक ही शेर उड़ा देगा परखच्चे तेरे, तू समझता है ये शायर है, कर क्या लेगा।

एक के बाद एक शायरियों को सुनाकर इंदौरी ने इस प्रदर्शन में सरकार के प्रति अपनी कुँठा निकाली। उन्होंने सुनाया- आँखों में पानी रखों, होंठो पे चिंगारी रखो, जिंदा रहना है तो तरकीबे बहुत सारी रखो…मैं वहीं कागज हूँ, जिसकी हुकूमात को हैं तलब, दोस्तों मुझ पर कोई पत्थर जरा भारी रखो।

यहाँ राहत इंदौरी नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज दिखाने पर तंज कसने से भी नहीं चूके। उन्होंने सुनाया कि- घरों के धंसते हुए मंजरों में रक्खे हैं, बहुत से लोग यहाँ मकबरों में रक्खे हैं…हमारे सर की फटी टोपियों पे तंज न कर, ये डाक्युमेंट हमारे अजायबघरों में रक्खे हैं।

लंबे समय से चल रहे बड़वाली के इस प्रदर्शन में राहत इंदौरी ने कई शायरियाँ सुनाने के बाद ये भी कहा, “मैं समझता हूँ कि नरेन्द्र मोदी को इससे बड़ा डाक्युमेंट कोई नहीं दे पाएगा, जो हमारे पास मौजूद है। और सिर्फ 70 साल के नही बल्कि 700 साल के मौजूद है।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया