बाहर पुलिस, घर में घुसे ‘खेद जताने’ कुछ मजहबी लोग, राहुल के पिता ने कहा – ‘अपने बच्चों की मानसिकता सुधारो, सबकी मदद हो जाएगी’

राहुल राजपूत के माता-पिता से ऑपइंडिया ने की बातचीत

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में साल 2018 में दूसरे मजहब की युवती से प्रेम करने के कारण अंकित सक्सेना को मारा गया। साल 2020 में यही वजह राहुल राजपूत की मौत का कारण बनी। अंकित फोटोग्राफर थे। राहुल कॉलेज के छात्र। दोनों के बीच कई समानताएँ थीं। दोनों ने दूसरे मजहब की लड़की से प्रेम किया। दोनों को लड़कियों के परिजनों ने ही बर्बरता से मारा। दोनों अपने घर में एकलौते लड़के थे और शायद दोनों ही अपने माँ बाप का आखिरी सहारा थे।

कट्टरपंथ का शिकार हुए दिल्ली के दो युवक- अंकित सक्सेना और राहुल राजपूत

अंकित सक्सेना का रेता गया गला जब हमारी स्मृतियों से धुँधला हो गया, तब हमें एक बार दोबारा चेतावनी के रूप में राहुल की लाश देखने को मिली। राहुल को मो अफरोज समेत 4-5 युवकों ने इतनी बेहरमी से पीटा कि अस्पताल में इलाज चलते-चलते उसकी मौत हो गई।

जाँच हुई तो पता चला कि समुदाय विशेष के युवक इस बात से नाराज थे कि 18 वर्षीय राहुल की उनकी बहन (16 साल की नाबालिग लड़की ) से दोस्ती थी और ये बात उन्हें सरासर नागवार थी। इसके लिए उन्होंने पूरी साजिश रची।

घटना वाले दिन राहुल के पास एक फोन आया। कॉल करने वाले ने कहा कि उन्हें अपने बच्चे को ट्यूशन पढ़ाना है इसलिए वह बाहर आए। फोन की जानकारी होते ही 18 साल का राहुल अपनी गली में आया। गली में 4-5 लोग पहले से मौजूद थे। सब उसे अपने साथ स्वर्ण सिंह रोड स्थित उसके घर के पास से नंदा रोड पर ले गए।

यहाँ इन लोगों ने उसे इतना पीटा कि उसकी हालत गंभीर हो गई। राहुल लड़खड़ाते हुए अधमरी हालत में घर पहुँचा। अस्पताल पहुँचकर उसकी मौत हो गई। पोस्टमॉर्टम में पता चला कि अंदरुनी चोटों ने राहुल की जान ले ली।

https://twitter.com/SwarajyaMag/status/1315596100418428928?ref_src=twsrc%5Etfw

ये अंदरुनी चोटें कौन सी थीं? राहुल के शरीर पर लगने वाली या समाज में कोढ़ की भाँति पनपने वाली। क्या राहुल को बेदर्दी से मारे गए लात घूँसे सिर्फ़ सामान्य लड़कों के बीच हुई झड़प थी। या ये उस कट्टरपंथ का परिणाम थी जो हमारे आस-पास लंबे समय से बढ़ रहा है लेकिन हम सेकुलर बन उसको सिर्फ़ नजरअंदाज किए जा रहे हैं।

राहुल की मौत को कुछ दिन बाद एक महीना बीत जाएगा और उसके कुछ दिन बाद एक साल। आप और हम उसे अंकित सक्सेना की तरह ही भुला देंगे। मगर, क्या राहुल के माता-पिता के जीवन में उसकी कमी कोई पूरी कर पाएगा जो आज भी राहुल के उस कमरे में बैठे मिलते हैं जहाँ वो बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता था।

राहुल राजपूत का घर

राहुल के माता-पिता से ऑपइंडिया की मुलाकात

मीडिया में यह पूरा मामला ठंडे बस्ते में जा चुका है। ऐसे में उसके माता-पिता कैसे हैं? इसे जानने के लिए ऑपइंडिया के सीनियर एडिटर रवि अग्रहरि राहुल के घर पहुँचे। स्वर्ण सिंह रोड पर स्थित राहुल का घर बाहर से आम घरों जैसा ही है। लेकिन भीतर बैठे राहुल के माता-पिता के चेहरे पर उसके न होने का सन्नाटा है। राहुल की एक बड़ी सी तस्वीर के सामने उसके माता-पिता हैं और आवाज में बेटे को खो देने का दर्द है।

https://twitter.com/TimesNow/status/1314875216187719680?ref_src=twsrc%5Etfw

उस खौफनाक दिन की सारी बातों को क्रमानुसार बताते हुए राहुल के पिता ने विस्तार से बात की। वह याद करते हुए कहते हैं कि 7 अक्टूबर को उस दिन राहुल को एक फोन आया था। फोन पर बच्चे को ट्यूशन पढ़ाने की बात हुई। उनके बेटे ने कहा यहाँ आ जाओ। लेकिन दूसरी ओर से कहा गया, ‘नहीं बाहर आ जाओ।’ राहुल यह सुनकर बाहर निकल गया। 

राहुल के पिता संजय राजपूत कहते हैं कि जब उनका बेटा बाहर गया, तो वहाँ 7-8 लोग हथियार लेकर खड़े थे। सब उसे आगे वाली गली में लेकर चले गए। वहाँ उसके साथ मार-पिटाई हुई और उसी कारण उसने दम तोड़ा।

कौन थे राहुल राजपूत को मारने वाले?

संजय राजपूत के अनुसार, जिन्होंने राहुल को मारा वह जहाँगीर पुरी इलाके के रहने वाले थे। इस इलाके के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि वहाँ रहते सभी धर्म के लोग हैं, मगर अधिकांश रोहिंग्या / बंगालियों (बांग्लादेशियों) का इलाका है। राहुल की हत्या के मामले में पुलिस ने 6 लोगों को अब तक गिरफ्तार किया है, इसकी जानकारी भी हमें संजय राजपूत से मिली। हालाँकि, उन्हें यह नहीं मालूम था कि ये 6 लोग कौन-कौन हैं।

घटना के बाद राहुल के लिए बिलखता परिवार (साभार: स्वराज्य, स्वाति गोया की ग्राउंड रिपोर्ट से)

बेटे के साथ इतनी निर्ममता किए जाने के बावजूद संजय राजपूत शायद समाज में सौहार्द बनाए रखने के लिए एक भी बार अपने मुख से मजहब विशेष को लेकर कोई कटु टिप्पणी नहीं करते।

हाँ, वह ये जरूर बताते हैं कि उनके बेटे को मारने वाले किस समुदाय के थे, लेकिन आगे बातचीत में वह स्पष्ट करते हैं कि उन्हें समुदाय से कोई लेना-देना नहीं है। वह बस चाहते हैं कि अपराध में शामिल सभी लोगों को कड़ी से कड़ी सजा मिले ताकि राहुल को न्याय मिल सके।

घटना के दो घंटे ही बाद हुई राहुल की मौत

राहुल राजपूत के पिता बताते हैं कि उनके बेटे पर हमलावरों ने धारधार चीजें को हाथ में दबा कर हमला किया। उन्हें मालूम था कि राहुल को कहाँ और कैसे मारा जाएगा कि वह मर जाए। वह सभी पहले से तैयार थे। वो सब प्रोफेशनल किलर थे, जो घर से सोच के आए थे कि बंदे को मार ही देना है।

राहुल की गंभीर अवस्था को देखकर उसके परिजनों ने पहले तो जल्दीबाजी में एक लोकल डॉक्टर से दवाई ली, फिर बिगड़ती हालत देख उसे जगजीवन राम अस्पताल में पहुँचाया गया। वहाँ उसका ट्रीटमेंट शुरू हुआ, लेकिन लगभग 2 घंटे बाद ही उसकी मौत हो गई। 

संजय राजपूत ने दूसरे पक्ष को दी अपने बच्चों की मानसिकता सुधारने की सलाह

संजय राजपूत हाल फिलहाल का एक वाकया हमसे साझा करते हुए यह भी बताते हैं कि कुछ समय पहले दूसरे समुदाय के कुछ लोग उनके घर के अंदर घुस आए। पुलिस बाहर बैठी थी लेकिन उन्हें इसकी कोई खबर तक नहीं हुई। उन्होंने सबको देखकर अपने आस-पड़ोसियों को बुलाया और बैठकर उनसे बात की। दूसरे पक्ष ने राहुल के परिजनों से घटना पर खेद जताया और कहा कि अगर कोई मदद चाहिए हो तो वह उन्हें बताएँ।

इस पर राहुल के पिता ने उन्हें समझाते हुए कहा, “मदद आपसे यही चाहिए कि आप अपने बच्चों की मानसिकता को बदल दो। हमारे साथ-साथ सबकी बहुत मदद हो जाएगी। आने वाली पीढ़ी तक की इससे मदद होगी। सिर्फ़ अपने बच्चों की मानसिकता बदल दो।”

समुदाय विशेष का गली में बढ़ा है आना-जाना, प्रशासन के लोग नहीं पूछते: संजय राजपूत

किशोर राहुल की मृत्यु के बाद से जहाँ उसके घर में उदासी है। वहीं दूसरे समुदाय से खतरा होने की बात पर वह कहते हैं कि कोई बताकर तो हमला नहीं करेगा। मगर, कुछ समय पहले कई मुल्ला जी को गली से आते-जाते देखा है। इस संबंध में एसीपी से भी शिकायत की है कि उनके घर के आस-पास समुदाय विशेष वालों का आना बढ़ गया है। वह कहते हैं, “पहले हम इन सब पर इतना ध्यान नहीं देते थे, लेकिन अब हमारी नजरों में लोग आ रहे हैं। हमने डीसीपी को भी बताया है। वह कहते हैं कि वो आगे कहेंगे।”

राहुल राजपूत के पिता बताते हैं कि जब घटना हुई थी, तब प्रशासन के कई लोग उनके घर पर आए लेकिन समय बीत जाने के बाद अब यहाँ कोई नहीं आता है। न्याय का आश्वासन भी परिवार को मीडिया के मौजूद होने तक मिला उसके बाद कोई नहीं आया। जो 6 पकड़े गए हैं। वही गिरफ्तार हैं, बाकी आगे क्या कार्रवाई हुई पता नहीं। संजय राजपूत कहते हैं कि मुख्य गवाह (राहुल की दोस्त लड़की) ने ही इन 6 लोगों को वेरीफाई किया।

मुख्य गवाह (राहुल की दोस्त) की सुरक्षा सुनिश्चित हो

उन्होंने पूरी घटना में मुख्य गवाह व राहुल की लड़की दोस्त के बारे में ऑपइंडिया को जानकारी देते हुए यह भी बताया कि अभी फिलहाल बच्ची अपने घर पर ही है। लेकिन उसके घर वाले उसे साफ-साफ मारने की धमकियाँ दे रहे हैं और पुलिस कह रही है कि यह उनके घर का मामला है जिसमें वह कुछ नहीं कर सकते। इसलिए वह लोग चाहते हैं कि उस लड़की की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

अपनी दोस्त के साथ राहुल राजपूत

वह बताते हैं कि जब लड़की ने राहुल को मारने वालों को पहचाना तब वह नारी निकेतन में रहती थी। मगर, अब वह वापस आ गई है। उसकी सुरक्षा में एक आदमी लगाया गया है पर कहते हैं कि लड़की के घर में उस आदमी के रहने की जगह नहीं है, इसलिए वह बाहर रहता है।

जब (लड़की) वह कॉल करती है, तभी वो आते हैं। लड़की कई बार राहुल के घरवालों को बताती है, “अगर यह मुझे मार देंगे तो मैं कॉल कैसे करूँगी।” आज (रिपोर्टिंग वाले दिन) भी उसने बताया था कि उसके घरवालों ने उसका गला दबा दिया था। वह कहते हैं कि ये कोशिश गवाह को मारने की है। क्योंकि अगर गवाह मर जाएगा तो उनका कोई क्या करेगा।

राहुल के चाचा ने हाथ जोड़कर माँगी थी राहुल की जिंदगी की भीख

गौरतलब है कि इस मामले में 7 अक्टूबर को एफआईआर हुई थी। इसकी एक कॉपी ऑपइंडिया के पास है। लड़के के चाचा धर्मपाल ने यह एफआईआर करवाई थी। इसमें उन्होंने बताया कि उन लोगों को 2 माह पहले ही पता चला था कि उनके भाई (संजय राजपूत) के बेटे राहुल का दूसरे पक्ष की लड़की के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा था, जिससे लड़की के घरवाले नाराज थे और मिलने को मना करते थे।

इस बात को जानने के बाद सभी राहुल की सुरक्षा को लेकर चिंतित थे। ऐसे में 7 अक्टूबर को 7 बजे के आसपास उनके पास एक दोस्त का फोन आया कि उनके भतीजे राहुल को 4-5 लड़के पीट रहे हैं। जब उन्होंने जाकर देखा तो वहाँ 5-6 लड़के थे और राहुल सड़क पर था। उन्होंने फौरन उसे बचाया।

एफआईआर में राहुल के चाचा ने मेहराज, अफरोज, शहनवाज, फैक, मामा, तामुद्दीन आदि का नाम लेते हुए कहा कि उन्होंने पूछा कि आखिर क्यों मारा तो उन्होंने कहा कि राहुल उनकी बहन से बातचीत करता है। इस पर धर्मपाल (राहुल के चाचा) ने समझाया पर उन सबने कहा, “हम इसको खत्म कर देंगे।” बड़ी मुश्किल से हाथ पाँव जोड़कर राहुल को उसके चाचा ने उन हमलावरों की चंगुल से छुड़ाया था।

इसके बाद उन्हें धमकी देकर वह लोग भी वहाँ से चले गए। धर्मपाल राहुल को लेकर घर आए तो उसकी तबीयत बिगड़ गई। उसे अस्पताल ले जाया गया। वहाँ उसकी मौत हो गई। राहुल को हमलावरों से बचाने पहुँचे चाचा का एफआईआर में साफ कहना है कि सभी आरोपितों ने राहुल को जान से मारने के इरादे से हमला किया था, इसलिए उसकी मौत हुई।