जयपुर के एक अस्पताल में वेंटिलेटर पर 20 दिन में 442 मौतें, कोरोना से नहीं… साफ-सफाई की कमी से

जयपुर के अस्पताल में वेंटिलेटर पर 20 दिन में 442 मौतें (प्रतीकात्मक तस्वीर)

कोरोना की दूसरी लहर जहाँ देश भर में कहर बरपा रही है, वहीं राजस्थान से लगातार लापरवाही की खबर सामने आ रही हैं। ताजा मामला राजधानी जयपुर का है। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक जयपुर में प्रदेश के सबसे बड़े कोविड अस्पताल आरयूएचएस में महज 20 दिन के भीतर वेंटिलेटर पर 442 लोगों की मौत हो गई। आपको जान कर हैरानी होगी कि इनकी जान कोविड के कारण नहीं, एन्डोट्रिकियल (endotracheal) ट्यूब की सफाई न होने की वजह से हुए इन्फेक्शन के कारण गई है। 

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जानकारी के मुताबिक एन्डोट्रिकियल ट्यूब की सफाई दिन में 5-6 बार होनी चाहिए, मगर यहाँ पर उसे दो दिन में 3 बार ही साफ किया जा रहा है। सफाई न होने के कारण ब्लैक फंगस और बैक्टीरियल इन्फेक्शन हो रहा है और मरीजों की जानें जा रही हैं।

एन्डोट्रेकियल ट्यूब की एक बार की सफाई में मात्र 2-3 मिनट लगते हैं। पूरे दिन में 6 बार सफाई पर 12 से 18 मिनट लगेंगे। मगर अस्पताल प्रशासन अपने 12-18 मिनट बचाने के लिए हजारों जिंदगियों के साथ खिलवाड़ कर रहा है।

यहाँ पर इलाज करा रहे परिजनों का कहना है कि वेंटिलेटर की सफाई नहीं की जाती, ट्यूब नहीं बदली जाती। डॉक्टर भी समय पर देखने के लिए नहीं आते हैं। और तो और, स्टाफ की तरफ से कहा जाता है कि जब भी जरूरत हो तो उसे बुला लिया करें। वह काम के चक्कर में यहाँ-वहाँ रहता है, कम ही दिखाई देता है।

आरयूएचएस के बोर्ड ऑफ मेंबर रहे डॉ. नागेंद्र शर्मा ने भास्कर को बताया कि ट्यूब नियमित साफ न करने पर एन एरोबिक बैक्टीरियल इन्फेक्शन, ब्लैक फंगस, मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट बैक्टीरियल इन्फेक्शन का डर बना रहता है। एक्सपर्ट का कहना है कि ट्यूब में गंदगी के कारण छाती में कई तरह के संक्रमण हो सकते हैं। ट्यूब में सक्शन न हो तो यह ब्लॉक हो सकती है और मरीज की जान चली जाती है।

उल्लेखनीय है कि कोरोना की दूसरी लहर देश में लोगों को तेजी से संक्रमित कर रही है। रोजाना कोरोना के नए मामले रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं। इसके बावजूद राजस्थान सरकार आँखें मूँदकर बैठी है और अपनी नाकामियों के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है।

गौरतलब है कि केंद्र को कोसने वाली कॉन्ग्रेस शासित राजस्थान में पीएम केयर फंड के तहत प्राप्त 1500 वेंटिलेटर में से ज्यादातर डिब्बों में बंद पड़े हैं। ये वेंटिलेटर राज्य सरकार को 10 महीने पहले मिले थे। इन 1,500 वेंटिलेटरों में से 230 खराब हैं। कोरोनो महामारी के बावजूद इनकी साल भर से ना तो रिपेयरिंग हुई है, ना ही इन्हें बदला गया है। बताया गया कि जोधपुर में तो पीएम केयर फंड के 100 में से एक भी वेंटिलेटर को चालू नहीं किया गया है। इसके अलावा पहले से खरीद कर प्रदेश के अस्पतालों में लगाए गए 164 वेंटिलेटर भी काम नहीं कर रहे। वहीं, डॉक्टरों का कहना है कि मरीजों के हिसाब से अभी भी प्रदेश में 1000 और वेंटिलेटर्स की जरूरत है।

इसके अलावा राजस्थान में कुल 11.5 लाख (करीब 7 फीसदी) वैक्सीन के डोज खराब हो गए हैं। चुरू जिले में सबसे ज्यादा 39.7 प्रतिशत वैक्सीन बर्बाद हो गई। इस मामले में 24.60 फीसदी के साथ हनुमानगढ़ दूसरे नंबर पर है, जबकि 17.13 प्रतिशत वैक्सीन भरतपुर में बेकार हो गई है। वैक्सीन बर्बादी के मामले में यह जिला तीसरे नंबर पर है। वहीं 16.71 फीसदी वैक्सीन को बर्बाद करके कोटा चौथे नंबर पर है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया