माँ के साथ सो रहा था शिशु, उठा कर ले गए कुत्ते और मार डाला: बचा सिर्फ सिर, हाथ और 2 पैर, राजस्थान के सरकारी अस्पतालों का कुछ ऐसा है हाल

राजस्थान के सीकर जिले में कुत्तों ने 1 माह के बच्चे को मार डाला (प्रतीकात्मक फोटो, साभार: जागरण)

सोमवार (27 फरवरी, 2023) को राजस्थान के एक सरकारी हॉस्पिटल में अपनी माँ के साथ सो रहे एक बच्चे को आवारा कुत्ते उठा ले गए। इसके बाद नोच-नोच कर उसे मार डाला। बच्चा महज एक माह का था। बीते कुछ महीनों में कुत्तों द्वारा किए गए हमलों की घटनाओं में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। इसको लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि कुत्तों के हमले को कम करने के लिए नसबंदी और टीकाकरण सबसे बेहतरीन उपाय है।

दरअसल, महेंद्र मीणा नामक व्यक्ति राजस्थान के सिरोही जिले के सरकारी हॉस्पिटल में भर्ती था। जहाँ वह बेड पर लेटा हुआ था। वहीं उसकी पत्नी रेखा अपने बच्चों के साथ जमीन पर सो रही थी। इसी दौरान वार्ड में घुसकर कुत्ता एक महीने के बच्चे को उठाकर ले गया। रात करीब 1:30 पर नींद खुली तो रेखा ने देखा कि बच्चा गायब है। वह दौड़ बाहर गई तो हॉस्पिटल के बाहर बनी टंकी के पास कुछ कुत्ते बच्चे को नोच रहे थे। वह वहाँ गई तो कुत्ते बच्चे को उठाकर भाग गए। कुत्तों ने उसे नोच-नोच कर मार डाला।

मृत बच्चे को लेकर पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर जिला प्रशासन की ओर से गठित मेडिकल बोर्ड के प्रभारी डॉ शक्ति सिंह ने कहा है कि बच्चे का सिर, एक हाथ और दो पैर ही बचे थे। उसका पेट और एक हाथ नहीं था। यानी कि कुत्तों ने उसे बुरी तरह नोच खाया था।

ऐसी ही घटना हैदराबाद से भी सामने आई थी। यहाँ सड़क पर घूम रहे आवारा कुत्तों ने 4 साल के बच्चे को मार डाला था। इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। यह तो सिर्फ कुछ मामले ही हैं। लेकिन असल में आए दिन ऐसी घटनाएँ सामने आती रहती हैं। इनको लेकर प्रशासन भी समय समय पर विभिन्न तरह के उपाय करता है। हालाँकि इसके बाद भी कुत्तों के हमलों में लगाम नहीं लग पाई है।

इस मसले को लेकर एक बड़े वर्ग का यह मानना है कि कुत्ते हमेशा ही खतरे का कारण रहे हैं। खासतौर से बच्चों के लिए क्योंकि वह अपना बचाव खुद नहीं कर सकते। इसलिए कुत्तों को आबादी वाले इलाके से दूर कर देना चाहिए। वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि समाज के बीच में रहने वाले कुत्तों में आक्रामकता अपने बच्चों और अपने खाने के सामान को बचाने को लेकर प्राकृतिक रूप से आती है। इस समस्या का एकमात्र ऐसा उपाय जो लंबे समय तक कारगर साबित हो सकता है वह नसबंदी और टीकाकरण है।

पशुओं के हितों को लेकर बात करने वाली संस्था पीपुल फॉर एनिमल्स की सदस्य अंबिका शुक्ला का कहना है कि कुत्ते का काटना या हमला करना स्वाभाविक व्यवहार नहीं है। कुत्ते आत्मरक्षा में आक्रामक हो जाते हैं या फिर जब उन्हें यह लगता है कि उनके बच्चों को खतरा है। आमतौर पर उनके सेक्स वाले मौसम में भी वह उत्तेजित रहते हैं। इससे भी वह आक्रामक दिखाई देते हैं। हालाँकि सभी कुत्ते ऐसे नहीं होते। इसलिए सभी कुत्तों को एक ही नजर से देखना सही नहीं है।

अंबिका शुक्ला का यह भी कहना है कि कुत्तों का टीकाकरण और नसबंदी कोर्ट द्वारा अनिवार्य किया गया है। लेकिन यह सभी जगह नहीं होता। इसमें कुत्तों की गलती नहीं है। टीकाकरण और नसबंदी कुत्तों के हमलों को रोकने और उनकी जनसंख्या में कमी करने का सबसे अच्छा तरीका है। इसे हर नगरीय निकाय द्वारा अपनाया जाना चाहिए।

बता दें कि कुत्तों के हमले को कम करने के कई तरह के उपाय किए जा रहे हैं। इसको लेकर नोएडा प्राधिकरण ने पालतू कुत्तों और बिल्लियों का पंजीकरण, नसबंदी और टीकाकरण अनिवार्य कर दिया है। गुरुग्राम के नागरिक निकाय ने भी नोटिस जारी कर 11 विदेशी नस्लों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसमें से अमेरिकी पिट-बुल टेरियर्स, डोगो अर्जेन्टीनो और रॉटवीलर शामिल हैं। गाजियाबाद नगर निगम भी तीन नस्लों पर प्रतिबंध लगा चुका है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया