चेतावनी के बावजूद JNU में बाबरी पर आधारित विवादित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग, सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने वालों पर कार्रवाई की तैयारी

जेएनयू में विवादित डाक्यूमेंट्री 'राम के नाम' की हुई स्क्रीनिंग

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में वामपंथी छात्र संघ ने शनिवार (4 दिसंबर 2021) को बाबरी मस्जिद पर आधारित विवादित डॉक्यूमेंट्री ‘राम के नाम’ की स्क्रीनिंग की। इसके बाद जेएनयू प्रशासन आयोजकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की तैयारी कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, छात्र संगठन स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) ने यूनिवर्सिटी प्रशासन के स्क्रीनिंग रोकने की नोटिस को ताक पर रखते हुए शनिवार रात 9:30 बजे न सिर्फ फिल्म की स्क्रीनिंग की, बल्कि इसको देखने के लिए सैकड़ों छात्रों को परिसर में एकत्रित भी किया। स्क्रीनिंग के दौरान कोई माहौल ना बिगड़े इसको लेकर सिक्योरिटी बड़ी संख्या में मौजूद थी।

एसएफआई ने शुक्रवार (3 दिसंबर 2021) को इस कार्यक्रम के पैम्फलेट वितरित किए थे। इसके बाद जेएनयू प्रशासन ने शनिवार को एक नोटिस जारी कर चेतावनी दी थी। नोटिस में कहा गया था कि छात्रों के एक समूह द्वारा परिसर में ‘राम के नाम’ डाक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग करने की सूचना मिली है। छात्रों ने इस तरह के किसी भी कार्यक्रम की पूर्व अनुमति विश्वविद्यालय प्रशासन से नहीं ली है। नोटिस में कहा गया कि इस कार्यक्रम से शांति भंग और सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगड़ सकता है। इसलिए इस कार्यक्रम को तत्काल रद्द कर दें।

जेएनयू प्रशासन की नोटिस और चेतावनी के बावजूद छात्र संघ ने इस विवादित कार्यक्रम को तय समय पर ही आयोजित किया। जेएनयू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) की अध्यक्ष आइशी घोष ने फेसबुक पर वीडियो के माध्यम से कहा था कि कार्यक्रम को रद्द नहीं किया जाएगा और वह तय समय पर ही आयोजित किया जाएगा। वहीं, स्क्रीनिंग के बाद अब जेएनयू प्रशासन ने अनुशासनात्मक कार्रवाई की बात कही है।

जेएनयू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) की अध्यक्ष आइशी घोष ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा था कि उन्होंने यूनियन हॉल में ‘राम के नाम’ की स्क्रीनिंग निर्धारित की है। आइशी ने कहा, “आरएसएस-भाजपा के कठपुतली लोग जो इस यूनिवर्सिटी में बैठे हैं, इनको इस बात से दिक्कत है कि यह डॉक्यूमेंट्री बीजेपी की सच्चाई को दिखाता है। ये जो राइटविंग फंडामेंटलिस्ट लोग हैं, जो देश की कम्यूनल हारमनी को खराब करना चाहते हैं, उसकी सच्चाई को दिखाता है, ना कि कम्यूनल हारमनी को बिगाड़ता है। जेएनयूएसयू किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेगा। यह कार्यक्रम होगा और हम जेएनयू छात्र समुदाय से इस डॉक्यूमेंट्री को देखने के लिए रात नौ बजे बड़ी संख्या में एकत्र होने का अनुरोध करते हैं।”

बता दें कि जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी का विवादों से पुराना नाता रहा है। यह पहली बार नहीं है, जब राम के नाम पर जेएनयू ने माहौल बिगाड़ने की कोशिश की हो। इससे पहले भी वह कई बार ऐसा कर चुका है। जिसकी स्क्रीनिंग के लिए वामपंथी छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन की अनुमति लेना भी जरूरी नहीं समझा पर वह बाबरी मस्जिद पर आधारित विवादित डॉक्यूमेंट्री पिक्चर है। इसमें बाबरी विध्वंस और विध्वंस के बाद मारे जा रहे अल्पसंख्यकों के प्रोपेगेंडा को दिखाया गया है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया