‘ईद-ए-मिलाद नबी के जुलूस की इजाजत नहीं देना मुस्लिमों की अनदेखी’ – अमर जवान ज्योति में तोड़-फोड़ करने वाले दंगाइयों की धमकी

महाराष्ट्र सरकार के विरोध में अदालत जा सकती है रज़ा एकेडमी

रज़ा एकेडमी ने महाराष्ट्र सरकार के विरुद्ध न्यायालय जाने की धमकी दी है। उनका कहना है कि महाराष्ट्र की उद्धव सरकार अगर ईद-ए-मिलाद के जुलूस की इजाज़त नहीं देती है तो वह इसके विरोध में अदालत जाएँगे। 

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रज़ा एकेडमी ने शुक्रवार (23 अक्टूबर 2020) को बयान जारी करते हुए कहा कि ईद का जुलूस निकालने की इजाज़त नहीं देना मुस्लिम समुदाय के मज़हबी जज़्बातों की अनदेखी है। चानयीज कोरोना वायरस के चलते पैदा हुई महामारी की वजह से किसी भी सार्वजनिक स्थान पर भीड़ के इकट्ठा होने पर रोक लगाई गई है। इसमें धार्मिक आयोजनों की भीड़ भी शामिल है और ऐसा इसलिए किया गया, जिससे महामारी फैलने का ख़तरा न बढ़े। ईद-ए-मिलाद का आयोजन पैगंबर मोहम्मद के जन्मदिन के रूप में किया जाता है और इस वर्ष यह 29 अक्टूबर को है।

रज़ा एकेडमी का हिंसात्मक इतिहास

रज़ा एकेडमी देश के उन उपद्रवी संगठनों में से है, जिसके इतिहास में हिंसा की कोई कमी नहीं। इस साल रज़ा एकेडमी ने धमकी देते हुए कहा था कि क़ानून व्यवस्था बिगड़ सकती है अगर ‘मोहम्मद: द मेसेंजर ऑफ़ गॉड’ फिल्म पर पाबंदी नहीं लगाई जाती है। इस फिल्म में पैगंबर मोहम्मद के जन्म से लेकर 13 साल तक की उम्र का जीवनकाल दिखाया गया है। 

साल 2011 के अगस्त महीने में इस संगठन के नेताओं ने आज़ाद मैदान में विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया था, जो कुछ ही समय में हिंसात्मक दंगों में तब्दील हो गया था। हालात इतने भयावह और अनियंत्रित हो गए थे कि रज़ा एकेडमी के दंगाइयों ने ‘अमर जवान ज्योति’ में तोड़ फोड़ मचाई थी। इन दंगों में 2.72 करोड़ रुपए की सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान हुआ था। 

यह विरोध प्रदर्शन मुंबई में सांप्रदायिक हिंसा/दंगे भड़काने की मंशा से किए गए थे। वहीं आईबी ने अपनी जाँच रिपोर्ट में इस बात के संकेत दिए थे कि दंगों में पाकिस्तानी लोगों के शामिल हो सकते हैं। जिस क्षेत्र में दंगे हुए, वहाँ बांग्लादेशी नागरिकों के पासपोर्ट बरामद किए गए थे। पूरे घटनाक्रम में लगभग 65 आम नागरिक और 40 सुरक्षाबल घायल हुए थे।         

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया