Cyclone Remal: 130-140km/h की रफ्तार से आएगा चक्रवात, तटीय जिलों में रेड अलर्ट, रेल-प्लेन सब ठप – तूफान के नाम में 13 देशों का कनेक्शन

रेमल चक्रवाती तूफान को लेकर अलर्ट जारी (फोटो साभार : ABPNews)

बंगाल की खाड़ी में बना चक्रवाती तूफान ‘रेमल’ रविवार (26 मई 2024) को ओडिशा, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश से टकराएगा। इस चक्रवाती तूफान की वजह से भारी तबाही की आशंका जताई जा रही है। हजारों को लोगों को तटीय इलाकों से निकाल कर ऊँचे स्थानों पर पहुँचाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि रेमल चक्रवाती तूफान की वजह से हवाएँ 130-140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलेंगी। ऐसे में ऐहतिहात के तौर पर रेल और हवाई यात्रा को रोका जा रहा है।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुताबिक, बंगाल की खाड़ी के ऊपर बना चक्रवाती तूफान ‘रेमल’ तटीय इलाकों की तरफ बढ़ रहा है। ये रविवार की रात को पश्चिम बंगाल के सागर द्वीप तथा बांग्लादेश के खेपुपारा के बीच समुद्र तट से टकराने वाला है। इस दौरान 130 से 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाओं के आगे बढ़ने का अनुमान है। मौसम विभाग ने भी पश्चिम बंगाल व उत्तरी ओडिशा के तटीय जिलों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है।

रेमल की वजह से समुद्र में 1.5 मीटर ऊंची लहरें उठने की आशंका है, जिससे तटीय पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के निचले इलाके डूब सकते हैं। मौसम विभाग ने मछुआरों को 27 मई की सुबह तक बंगाल की खाड़ी के उत्तरी भाग में समुद्र में न जाने की चेतावनी दी है। विभाग ने पश्चिम बंगाल के तटीय जिलों (दक्षिण और उत्तर 24 परगना) के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। यहां कुछ स्थानों पर भारी बारिश होने का अनुमान है।

भारत मौसम विज्ञान विभाग ने कोलकाता, हावड़ा और पूर्वी मिदनापुर सहित पश्चिम बंगाल के कई जिलों के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। एक अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया,’ चक्रवात रेमल के दौरान भूस्खलन के खतरे को देखते हुए कोलकाता हवाईअड्डा से रविवार दोपहर से 21 घंटे के लिए सभी उड़ानों को निलंबित कर दिया है। इस अवधि के दौरान 394 घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रद्द कर दी जाएँगी। वहीं, सियालदह और हावड़ा दोनों डिवीजनों में कई लोकल ट्रेनें, जो आमतौर पर कोलकाता और हावड़ा को आसपास के जिलों से जोड़ती हैं, उन्हें भी रद्द कर दिया गया है। कोलकाता में श्यामा प्रसाद मुखर्जी बंदरगाह में भी निर्देश जारी किये गए हैं ।

रेमल कैसे पड़ा इस चक्रवाती तूफान का नाम?

चक्रवाती तूफान के आने पर एक सवाल हमेशा उसके नामकरण के साथ जुड़ा रहा है। आखिर इन तूफानों के नाम कौन रखा है, कई बार ये नाम अजीब क्यों होते हैं? इस सवाल का जवाब छिपा है साल 2004 के एक अंतर्राष्ट्रीय समझौते में। दरअसल, विभिन्न क्षेत्रों में स्थित देशों के द्वारा विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की देखरेख में इन तूफ़ानों को नाम प्रदान किया जाता है। हिन्द महासागर क्षेत्र में आने वाले तूफ़ानों के नाम रखने के लिए सितंबर 2004 में एक समझौता हुआ। इस समझौते के तहत हिन्द महासागर क्षेत्र के आठ देश, बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्याँमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाईलैंड तूफ़ानों के लिए नामों का एक समूह देंगे, जिसमें से बारी-बारी से तूफान का नामकरण होगा। हालाँकि, अब इस समझौते में देशों की संख्या बढ़कर 13 हो गई है।

इसी क्रम में इस बार चक्रवाती तूफान का नाम रेमल है, जो ओमान द्वारा दिया गया है। ये अलग बात है कि रेमल का ओमान पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है, चूँकि ये सारे नाम सालों पहले तय हो जाते हैं, ऐसे में अपने क्रम के अनुसार नाम को पाते हैं।

चक्रवाती तूफानों के नाम, देशों की तरफ से मिले सुझाव

चक्रवातों के नाम रखे जाने क्यों जरूरी?

चक्रवातों को कोई एक नाम देना कई कारणों से महत्वपूर्ण होता है। यदि किसी क्षेत्र में एक साथ एक से अधिक चक्रवात बनते है तो इनका नामकरण तूफानों के भ्रम से बचने में मदद करता है। साथ ही नामकरण के कारण लोगों को इससे जागरूक करने और आपदा तैयारियों में भी मदद मिलती है। अंतरराष्ट्रीय संस्था विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की एक अंतरराष्ट्रीय समिति द्वारा चक्रवातों की लिस्ट और नामों का रखरखाव करता है। पहले चक्रवातों की लिस्ट में महिलाओं के नाम शामिल किया जाते थे बाद में इसमें पुरुषों के नाम को भी स्थान दिया गया।

दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नाम

चक्रवातों को दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जैसे भारत या दक्षिण एशियाई देशों में इसे साइक्लोन कहा जाता है। तो अफ्रीकी देशों में टॉरनेडो। इसी तरह से दक्षिण पूर्वी एशिया और चीन में साइक्लोन को टाइफून नाम से जानते हैं, तो उत्तरी अटलांटिक पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में इसे हरिकेन कहते हैं। उत्तर पश्चिम ऑस्ट्रेलिया में इसे विली-विली कहते हैं, तो दक्षिण पश्चिम प्रशांत और हिन्द महासागर में साइक्लोन और पश्चिम अफ्रीका और दक्षिणी संयुक्त राज्य अमेरिका में इसे टॉरनैडो कहते हैं।

गौरतलब है कि चक्रवात यानी साइक्लोन शब्द ग्रीक भाषा से प्रेरित है और साइक्लोस शब्द से बना जिसका अर्थ ‘सांप की कुंडली’ होता है। चक्रवात न केवल पृथ्वी पर दिखता हैं बल्कि मंगल, बृहस्पति और नेपच्यून ग्रहों पर भी देखे जाते है। उष्णकटिबंधीय चक्रवात गर्म महासागरों के ऊपर बनता है जो कम वायुमंडलीय दाब के कारण बनता है और तेज हवा का रूप ले लेता है। उष्णकटिबंधीय चक्रवात बंगाल की खाड़ी, अरब सागर और हिंद महासागर के ऊपर बनते हैं। साइक्लोन के बनने में साइक्लोजेनेसिस महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया