‘पब्लिक प्लेस-पब्लिक का पैसा, फिर जाति बताना जरूरी?’: हाई कोर्ट ने पूछा, सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा की नामकरण पट्टिका ढकने का आदेश

सम्राट मिहिर भोज को लेकर उपजे विवाद पर MP हाईकोर्ट

मध्य प्रदेश में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा पर उनके नाम के साथ ‘गुर्जर’ जोड़ने पर शुरू हुआ विवाद अब हाई कोर्ट में है। कोर्ट ने केस में एक समिति बनाते हुए आदेश दिया है कि जब तक जाँच समिति रिपोर्ट नहीं देती तब तक नेम प्लेट को ढके रखा जाए। साथ ही क्षत्रिय और गुर्जर समाज के लोगों बीच उठे विवाद को शांत करने के निर्देश दिए हैं। मामले में अगली सुनवाई 20 अक्टूबर को होगी।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक जाँच समिति को गठित कर यह जाँच करने का आदेश दिया है कि क्या सार्वजिनक स्थान पर (पब्लिक फंड से) स्थापित की गई राष्ट्रीय नायक की प्रतिमा को उससे जुड़ी जाति के साथ संदर्भित किया जा सकता है।

कोर्ट ने ग्वालियर शहर में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा स्थापना के बाद उपजे विवाद पर सुनवाई के दौरान यह समिति गठित की। यह पूरा विवाद क्षत्रिय समाज और गुजर्रों के बीच का है। जज शील नागू और जज आनंद पाठक के नेतृत्व वाली खंडपीठ ने राहुल साहू द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि देश के नागरिकों का यह कर्तव्य है कि राष्ट्रीय नायक को राष्ट्रीय नायक बने रहने दिया जाए और उन्हें धर्म, जाति, समुदाय या कोई भी समूह के नाम पर पेश किया जाए।

केस में सुनवाई के बाद कोर्ट ने निर्देश दिया कि 4 सदस्यीय समिति गठित की जाए जिसमें जिसमें आयुक्त ग्वालियर संभाग अध्यक्ष तथा पुलिस महानिरीक्षक, ग्वालियर रेंज समिति के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करें। उक्त समिति में गुर्जर समाज का एक प्रतिनिधि तथा क्षत्रिय समाज का एक प्रतिनिधि भी सम्मिलित होगा। 

कोर्ट ने कहा है कि जब तक ये समिति अपनी रिपोर्ट नहीं जमा करती तब तक सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा पर से नाम को ढका रखा जाए और केवल उनकी प्रतिमा ही लोगों के नजर में आए ताकि लोग उनके साहस और शौर्य से प्रेरणा ले सकें। आगे यह मामला 20 अक्टूबर को सुना जाएगा। कोर्ट ने दोनों समुदाय के बुजुर्गों से अपील की है कि वो अपने समुदाय के युवाओं को सम्राट की वीरता, चरित्र, प्रतिबिंबित महिमा के बारे में बताएँ।

बता दें कि ये पूरा विवाद सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा के साथ जोड़े गए ‘गुर्जर’ शब्द पर है, जिसे देख क्षत्रिय समाज के लोग भड़क गए थे और सारा विवाद शुरू हुआ था। प्रशासन का तर्क है कि नगर निगम ने जो प्रस्ताव पारित किया था उस पर मिहिर भोज ही लिखा है। इस केस में बीच में खबर आई थी कि कुछ अज्ञात लोगों ने प्रतिमा को क्षतिग्रस्त करने का भी प्रयास किया जिसके बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की गई थी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया