चेहरे पर निशान, संदेशखाली के अत्याचारों की गवाही: 28 से 70 साल की उम्र की 20 महिलाओं से मिली फैक्ट फाइंडिंग टीम, हाई कोर्ट के आदेश के बाद दौरा

संदेशखाली में प्रदर्शन करती महिलाएँ (फोटो साभार : रिपब्लिक भारत)

पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में टीएमसी नेता शेख शाहजहाँ और उसके गिरोह का आतंक किस तरह से था, उसकी एक-एक कड़ी अब बाहर आ रही है। पटना हाई कोर्ट के रिटायर्स चीफ जस्टिस की अगुवाई में एक 6 सदस्यी फैक्ट फाइंडिंग टीम ने संदेशखाली का दौरा किया। संदेशखाली में पीड़ितों ने जो आपबीती बयान की, उसे सुनकर फैक्ट फाइंडिंग टीम भी हैरान रह गई।

जानकारी के मुताबिक, उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली इलाके में पीड़ित महिलाओं एवं स्थानीय लोगों से मुलाकात के लिए फैक्ट फाइंडिंग टीम ने कलकत्ता हाई कोर्ट से इजाजत ली थी। पहले ये टीम 25 फरवरी को ही संदेशखाली जा रही थी, लेकिन उसे रोक लिया गया था। इसके बाद इस टीम ने कलकत्ता हाई कोर्ट में अपील की थी कि उसे संदेशखाली जाने की इजाजत दी जाए। इसके बाद ही ये टीम संदेशखाली पहुँच पाई।

पटना हाई कोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस एल नरसिम्हा रेड्डी की अगुवाई में फैक्ट फाइंडिंग टीम संदेशखाली में तीन गाँवों माझेरपाड़ा, नतुनपाड़ा और नस्करपाड़ा रास मंदिर गई, जहाँ पीड़ितों ने आपबीती सुनाई। एल नरसिम्हा रेड्डी ने कहा कि बड़ी संख्या में लोगों ने उत्पीड़न की शिकायतें की हैं। इस टीम में शामिल रहे पूर्व आईजी राजपाल सिंह ने बताया, “संदेशखाली में लोगों के उत्पीड़न की घटनाएँ भयावह हैं। स्थानीय प्रशासन और पुलिस शेख शाहजहाँ और उसके सहयोगियों के साथ काम करती दिख है। शेख शाहजहाँ गिरफ्तारी के बाद भी शेर (कोर्ट में पेश करते समय उसकी बॉडी लैंग्वुएज) की तरह पेश आ रहा है।”

फैक्ट फाइंडिंग टीम ने बताया कि शेख शाहजहाँ के साथ ही उत्तर सरदार और गिरोह के अन्य सदस्यों ने जमीनों पर हर तरफ कब्जे किए हैं। वो लोगों से उनका पैसा तक छीन लेते थे। इसमें से हिस्सा टीएमसी सरकार को भी भेजा जाता था।

फैक्ट फाइंडिंग टीम की सदस्य भावना बजाज ने संदेशखाली की घटनाओं को दिल बैठा देने वाला कहा। उन्होंने कहा कि पुलिस और सरकार इस पूरी घटना को दबाने में जुटे हैं, इसलिए भी सच्चाई बाहर नहीं आ पा रही है। उन्होंने कहा, “मैं 28 से 70 साल की उम्र की 20 महिलाओं से मिली। उसमें 70 साल की महिला अपनी बेटी और बहू की सुरक्षा को लेकर परेशान थी, वो एक कोने में रो रही थी। मैंने एक ऐसी पीड़ित से बिना कैमरे के बात की, जिनके चेहरे पर पड़े निशान उनके ऊपर हुए अत्याचारों की गवाही दे रहे थे। वो अपनी 4 साल की बच्ची को लेकर हर रात छिप जाती थी, ताकि खुद को और अपनी बच्ची को इन भेड़ियों से बचा सके। उसके पति गाँव छोड़कर भाग गए हैं।”

उन्होंने आगे बताया, “अधिकतर महिलाओं ने शिबू हाजरा का नाम लिया। वो हर रात एक महिला को अपने पास पार्टी ऑफिस में रोक लेता था। उन्होंने रेप और यौन उत्पीड़न जैसे शब्दों का इस्तेमाल तो नहीं किया, लेकिन उनके शरीर पर पड़े निशान उनकी हालत को बयाँ कर रहे थे। महिला ने कहा कि पुलिस उनकी सुनती ही नहीं है, ऐसे में पुलिस से कोई शिकायत करने की हिम्मत भी नहीं कर पाता।”

55 दिनों की फरारी के बाद गिरफ्तार हुआ शेख शाहजहाँ

बता दें कि जिला परिषद के सदस्य शेख शाहजहाँ को 29 फरवरी 2024 को गिरफ्तार किया गया, जो करीब 55 दिनों से फरार था। उसके खिलाफ 5 जनवरी 2024 को छापेमारी के दौरान ईडी की टीम पर ही हमला हो गया था। ईडी की टीम पीसीएस भ्रष्टाचार मामले में जाँच करने पहुँची थी। इसके करीब एक माह बाद 8 फरवरी से महिलाओं ने शेख शाहजहाँ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। उस पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न, जमीन हड़पने के आरोप लगाए गए। अभी तक शेख शाहजहाँ के खिलाफ दर्जनों महिलाएँ शिकायत दर्ज करा चुकी हैं, तो जमीन हड़पने के 700 से अधिक मामले उसके खिलाफ दर्ज किए जा चुके हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया