भारत के मुस्लिमों को पाकिस्तान भेज दो: सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर जज साहब ने लिए ‘मजे’

सुप्रीम कोर्ट

भारत एक लोकतांत्रिक देश है। हर प्रकार की कला-संस्कृति को फलने-फूलने का एकसमान अवसर मिलता है यहाँ। अभिव्यक्ति की आजादी भी है यहाँ। लेकिन कुछ विकृत मानसिकता वाले लोग भी यहाँ मौजूद हैं, जो अपनी उल-जलूल हरक़तों से बाज नहीं आते और अधिकारों का हवाला देकर अक्सर ऊट-पटांग सवाल कर बैठते हैं जिनका कोई औचित्य ही नहीं होता।

ऐसा ही एक मामला देश की शीर्ष अदालत की चौखट तक पहुँचा, जिसमें भारतीय मुस्लिमों को पाकिस्तान भेजने की माँग करने संबंधी एक याचिका सामने आई। इस याचिका पर न्यायमूर्ति रोहिंग्टन एफ नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कड़ा रुख़ अख़्तियार किया और याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील से पूछा कि आपको अंदाज़ा भी है ये किस तरह की याचिका है? पीठ ने लगभग चेतावनी देते हुए यह भी कहा कि हम दलील सुनने के लिए तैयार हैं लेकिन आप इसका अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहिएगा। इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने दलील पेश न करने में ही भलाई समझी। इसके बाद कोर्ट ने उस याचिका को ख़ारिज कर दिया।

कोर्ट से परे भी चले ख़ारिज वाला डंडा

आइए अब लौटते हैं इस तरह की मानसिकता वाले लोगों पर। ऐसे लोग प्रमाणित करते हैं कि खाली दिमाग वाकई शैतान का होता है और उसी दिमाग की उपज होती है इस तरह की वाहियात याचिकाएँ। ऐसा ही कुछ ‘सूचना के अधिकार (RTI)’ नियम के साथ भी होता है। इसके तहत कई बार ऐसी सूचनाएँ माँगी जाती हैं, जिनका कोई सिर-पैर ही नहीं होता।

ख़ासतौर पर प्रधानमंत्री कार्यालय का RTI विभाग आए दिन अजीबोगरीब आवेदनों से परेशान है। माँगी गई जानकारियों की जरा लिस्ट देखिए। और सोचिए कि इस तरह की जानकारियों का भला क्या मक़सद हो सकता है!

  • प्रधानमंत्री कार्यालय में कितने सिलेंडर इस्तेमाल होते हैं
  • वहाँ सब्ज़ी कौन लाता है
  • पीएम मोदी कौन सा मोबाइल इस्तेमाल करते हैं
  • पीएम मोदी को खाने में क्या पसंद है

ऐसा ही एक मामला सेंट्रल बैंक से भी है। यहाँ RTI के माध्यम से सूचना माँगी गई कि कितने पोल्ट्री फार्म्स में Battery Cages का प्रयोग किया जाता है। बता दें कि Battery Cages उन पिंजरों का संग्रह होता है, जिसका उपयोग अण्डा देने वाली मुर्गियों के आवास के लिए किया जाता है।

इस सूचना का जवाब देने के लिए एक लंबी प्रक्रिया का पालन करना पड़ेगा। बैंक इसके लिए विभिन्न स्तरों पर जानकारी जुटाएगा, तब जाकर इसका जवाब जानकारी माँगने वाले तक पहुँचाया जाएगा। सूचना माँगने वाले को तो शायद इस बात का अंदाज़ा भी नहीं होगा कि एक लाइन में माँगी गई जानकारी को जुटाने में बैंक का कितना समय बर्बाद होगा। फिर अगर कोई त्रुटि या देरी हो जाए तो यह कहने में देरी नहीं होगी कि बैंक कोई काम ही नहीं करता।

कई बार RTI का दुरुपयोग भी होता है, जिसका इस्तेमाल ब्लैकमेल करने के लिए किया जाता है। बेहतर होता कि RTI के सही इस्तेमाल पर ध्यान दिया जाए। फिर भी अगर इस तरह के वाहियात और बेबुनियाद सवाल पूछे जाते हैं तो उनका जवाब भी उसी ढंग से देना चाहिए, जिससे पूछने वाले को उसका स्तर पता चल सके।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया