‘जब तक ठिकाने का पता नहीं चलता, न ही गिरफ्तारी से राहत और न कोई सुनवाई होगी’: सुप्रीम कोर्ट ने परमबीर सिंह को दिया झटका

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक परमबीर सिंह अपना ठिकाना नहीं बताते उन्हें कोई राहत नहीं दी जाएगी।

वसूली करने के आरोप में भगोड़ा करार दिए गए मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह को बड़ा झटका देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। शीर्ष अदालत ने भगोड़े पुलिस अधिकारी से स्पष्ट कहा है कि पहले वो अपने ठिकाने के बारे में बताएँ कि आखिर वो हैं कहाँ, इसके बाद ही उनकी याचिका पर सुनवाई होगी। उससे पहले कोर्ट न तो उनकी किसी भी याचिका पर सुनवाई करेगी और न ही उन्हें गिरफ्तारी से सुरक्षा देगी।

इसके जवाब में परमबीर सिंह के वकील ने उनकी ओर से कहा, “अगर मुझे साँस लेने की इजाजत मिले तो मैं गड्ढे से बाहर आ जाऊँगा।” विवादित पुलिस अधिकारी परमबीर सिंह का नाम 100 करोड़ रुपए की वसूली वाले मामले में सामने आने के बाद उनका ट्रांसफर महाराष्ट्र होम गार्ड के महानिदेशक (डीजी) के पद पर कर दिया गया था। उनके खिलाफ महाराष्ट्र में कम से कम पाँच आपराधिक केस चल रहे हैं। इसके अलावा गोरेगाँव में जबरन वसूली मामले में परमबीर सिंह के खिलाफ गैर-जमानती वारंट भी जारी हो चुका है। हालाँकि, इसी साल मई के महीने में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर वो छुट्टी पर चले गए थे, जिसके बाद से वह लापता चल रहे हैं।

परमबीर सिंह सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका पॉवर ऑफ अटार्नी के जरिए दायर की है। सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस एस के कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की सुनवाई की। बेंच में कौल के अलावा जस्टिस एमएम सुंदरेश भी थे। कोर्ट में सिंह की ओर से वरिष्ठ वकील पुनीत बेल ने उनकी पैरवी की। कोर्ट ने परमबीर सिंह के वकील से कहा, “आप सुरक्षात्मक आदेश माँग रहे हैं। किसी को नहीं पता कि आप कहाँ हैं। मान लीजिए आप विदेश में हैं और पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए कानूनी सहारा ले रहे हैं तो क्या होगा? हम नहीं जानते कि आपके मन में क्या चल रहा है। इसलिए तब तक कोई सुरक्षा और कोई सुनवाई नहीं होगी, जब तक हम नहीं जानते कि आप कहाँ हैं।”

बहरहाल कोर्ट ने मामले की सुनवाई को 22 नवंबर तक के लिए आगे बढ़ा दिया है।

भगोड़ा घोषित हो चुके हैं परमबीर सिंह

इससे पहले मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर रहे परमबीर सिंह के खिलाफ 17 नवंबर 2021 को मुंबई की एक अदालत ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया। अदालत ने मुंबई पुलिस के आवेदन को स्वीकार कर लिया है। मुंबई पुलिस की ओर से पेश सरकारी वकील शेखर जगताप ने अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट एसबी भाजीपले को तीनों आरोपितों के खिलाफ ठाणे की एक अदालत द्वारा जारी गैर-जमानती वारंट दिखाया।

जगताप ने कहा, “अगर परमबीर सिंह 30 दिनों के भीतर कानून के सामने नहीं आते हैं, तो मुंबई पुलिस उनकी संपत्तियों को कुर्क करने की प्रक्रिया शुरू करेगी।” उन्होंने बताया कि क्राइम ब्रांच मामले में दो अन्य आरोपितों विजय सिंह और रियाज भट के खिलाफ भी ऐसा ही आदेश दिए जाने की माँग कर रही है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया